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Safalta Talks : एक दशक में 2 से बढ़कर 70% हुआ कंपनियों का डिजिटल मार्केटिंग बजट : पुनीत गुलाटी

Media Solution Initiative Published by: Pushpendra Mishra Updated Fri, 04 Oct 2024 03:23 PM IST
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सार

विषय: प्रतिस्पर्धी बाजार में हाउस ऑफ ब्रांड्स बनाने की रणनीतियां

अतिथि: पुनीत गुलाटी, सीईओ एवं फाउंडर हाउस ऑफ ब्रांड्स

Safalta Talks: Digital marketing budget of companies increased from 2% to 70% in a decade: Puneet Gulati
सफलता टाक मास्टर क्लास विद पुनीत गुलाटी - फोटो : Amar Ujala
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सफलता.कॉम द्वारा प्रतिस्पर्धी बाजार में हाउस ऑफ ब्रांड्स बनाने की रणनीतियां विषय पर आयोजित कराये गए मास्टर क्लास सेशन में हाउस ऑफ ब्रांड्स के संस्थापक एवं सीईओ पुनीत गुलाटी ने कहा कि 1991 से मैं ब्रांड्स को समझ रहा हूं। 2008 से 2016 के बीच डिजिटल का बूम आया। पहले जो कंपनियां होती थी उनमें सबसे ज्यादा एड बजट टेलीविजन के लिए होता था। एक ऑडियो-विजुअल मीडियम होने के कारण टेलीविजन से बहुत दूर तक की रीच कंपनी को आसानी से मिल जाती थी। इसके बाद कंपनियां रेडियो और प्रिंट मीडिया पर फोकस करती थीं। उस समय 1-2 पर्सेंट बजट इंटरनेट(डिजिटल) के लिए रखा जाता था। ये जो 8 साल थे इन्हीं में डिजिटल का उभार हुआ और कंपनियों के मार्केटिंग बजट में जिसका प्रतिशत एक से 2 था वो बढ़कर 15 से 20 प्रतिशत हो गया। जिसके बाद आज का समय देखें तो ये बिल्कुल अलग है। अब डिजिटल 70 प्रतिशत से अधिक है और बाकी एडवरटीजमेंट बचे प्रतिशत बजट में हैं।  

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अलग-अलग सेक्टर में दो दशक काम के अनुभव ने बनाया उद्यमी


एयरसेल, बरिस्ता, आउटलुक जैसे ब्रांड्स में 2 दशक से अधिक बिताने के बाद अचानक उद्यमी बनने का ख्याल कैसे आया सवाल पर पुनीत ने कहा कि अगर आपको एक लाजवाब बिरियानी बनानी है तो उसके लिए सामग्री, मसाले, बेहतर तरीके से पकाने के लिए आग, एक कुशल पाक कला में निपुण व्यक्ति की जरूरत होगी। साथ ही बिरियानी बनाते समय उसमें मसाले डालने की टाइमिंग सही होनी चाहिए। तो जो ये 4-5 पहलू जरूरी हैं एक बेहतर ब्रांड्स के लिए इन्हें मैंने बरिस्ता के सीईओ रहते हुए सीखा-समझा। मीडिया, रिटेल, इलेक्ट्रॉनिक, टेलीकॉम और फूड इंडस्ट्री का मुझे अनुभव था। बरिस्ता में 5 वर्षों तक जब मैं सीईओ रहा तो वहां मुझे बिजनेस एक्सपेंड का भी एक्सपोजर आ गया अच्छे से। कि कैसे बिजनेस किया जाता है, कैश फ्लो कैसे मैनेज करना है, अकाउंट शीट कैसे बनती है। एचआर, प्रोडक्शन, इन्वेंट्री से लेकर सब कुछ जानने के बाद खुद पर विश्वास कि मैं ये कर सकता हूं।

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2021 में जो ई-कॉमर्स 29 बिलियन डॉलर की मार्केट थी, 2025 में 180 बिलियन डॉलर की होने जा रही है
 

पिछले कुल सालों की बात करें तो डिजिटल मीडिया-इंटरनेट के जरिये व्यवसायों में 15 से 28-30 प्रतिशत तक ग्रोथ देखने को मिली है। क्योंकि किसी ब्रांड के लिए एक दशक पहले जब रणनीति बनती थी तो बड़े शहरों के लिए पहले तैयारी की जाती थी उसके बाद छोटे शहरों पर फोकस किया जाता था। अब डिजिटल पेनीट्रेशन पूरे भारत में एक जैसा है मतलब हर कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर किसी के मोबाइल में प्रतिदिन इक्वली 1.5 जीबी डेटा आ रहा है। उसी के साथ ई-कॉमर्स इंडस्ट्री ने भी बहुत ज्यादा विश्वास जगा दिया है। कि अगर वो इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन कोई प्रोडक्ट पसंद करके बुक करते हैं तो कुछ ही घंटे या दिन में उनके घर डिलीवर हो जाएगा। 2021-22 के अंदर ई-कॉमर्स का मार्केट 29 बिलियन डॉलर था जोकि 2023-24 में 80 बिलियन डॉलर का हो गया। और 2024-25 के लिए 180 बिलियन डॉलर प्रोजेक्टेड है।

 

नए ब्रांड्स की धमक, ऑनलाइन खरीदारी में लोगों की हिचक हो रही खत्म
 

जो बड़ी बात है बताने की वो ये कि बीते 10 सालों में ग्राहकों के खरीदने के तरीके में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। अब ग्राहक उन ब्रांड्स के साथ तो आ ही रहा है जो पहले से बाजार में स्थापित हैं उनके साथ अब नये ब्रांड्स जो विश्वस्नीयता पैदा कर रहे हैं उनके उत्पाद लेने से भी लोग नहीं हिचक रहे। जैसे मिंत्रा औऱ नायका बिल्कुल नए ब्रांड्स थे। जिन्होंने पुराने ई-कॉमर्स ब्रांड्स अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील को तगड़ा कम्प्टीशन दिया। इन पुराने ब्रांड्स को बाजार में स्थापित होने में दशकों का समय लग गया। अब लोग ज्यादा निडरता से ई-कॉमर्स पर जाकर अपने ऑर्डर बुक कर रहे हैं पहले जो उनके अंदर डर था वो जा चुका है।

 

टेक्नोलॉजी की मदद से आज 10 मिनट में कई कंपनियां दे रहीं प्रोडक्ट की डिलीवरी


भारत में एक्सपोर्ट्स का बिजनेस भी लगातार बढ़ रहा है। 2024-25 के लिए 1000 करोड़ का प्रोजेक्शन है। हमारी जीडीपी लगातार बेहतर हो रही है। 7.2% रही है इस बर्ष। देश में जो एग्रीकल्चर नीचे जा रहा था वो भी अब ग्रो कर रहा है। आज भारत विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। क्योंकि देश के मध्यमवर्गीय समाज का कद बढ़ा है। उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। वह तेजी से ज्यादा खर्च करने की कतार में शामिल हो रहे हैं। टेक्नोलॉजी ने भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए ई-कॉमर्स में ऑर्डर से डिलीवरी होने तक की जो जर्नी थी वो टेक्नोलॉजी कुछ मिनट की कर दी है। कई कंपनियां सिर्फ 10 मिनट में उत्पादों की डिलीवरी दे रही हैं। जिसमें नेवीगेशन भी शामिल होता है। कि अब प्रो़डक्ट वेयर हाउस से निकल चुका है, मैन रोड पर है अब घर के पास है और अब घर के दरवाजे पर आ चुका है। साथ ही आजकल स्मार्ट आंत्रप्रेन्योर लोगों की जरूरत के हिसाब से नए उत्पाद भी लांच कर रहे हैं।

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