Meena Kumari Death Anniversary: बाल कलाकार के रूप में की शुरुआत, अभिनय से बनाई पहचान, शराब की लत ने ली जान
बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री मीना कुमारी ने अपने शानदार अभिनय की वजह से हिंदी सिनेमा में एक खास मुकाम हासिल किया। 'ट्रेजडी क्वीन' के नाम से मशहूर मीना कुमारी का फिल्मी करियर जितना शानदार था, उनका निजी जीवन उतना ही दुख भरा था। बाल कलाकार के तौर पर शुरू हुआ उनका सफर लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया।आइए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं...
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को मुंबई में हुआ था। उनका असली नाम महजबीं बानो था। महज चार साल की उम्र में उन्होंने फिल्म 'लेदरफेस' (1939) से बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरुआत की। उस वक्त उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, जिसके चलते उन्हें कम उम्र में ही काम शुरू करना पड़ा। उनकी मासूमियत और अभिनय की काबिलियत ने जल्द ही लोगों का ध्यान खींचा। धीरे-धीरे वह बड़ी फिल्मों का हिस्सा बनने लगीं।
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1950 और 60 के दशक में मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी अभिनेत्री बन गईं। 'बैजू बावरा' (1952) से उन्हें पहली बड़ी कामयाबी मिली। इसके बाद 'परिणीता', 'दिल अपना और प्रीत पराई','साहिब बीबी और गुलाम' और 'काजल' जैसी फिल्मों में उनकी अदाकारी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। आंखों और आवाज से दर्द बयां करने की उनकी कला बेमिसाल थी। 'पाकीजा' (1972) उनकी सबसे यादगार फिल्म मानी जाती है, जिसमें उनका किरदार आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। दमदार अदाकारी की बदौलत उन्होंने तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किए।

मीना कुमारी का निजी जीवन उतना सुखद नहीं थी। अपने पति कमाल अमरोही से अलगाव और निजी जिंदगी की परेशानियों ने उन्हें शराब की लत की ओर धकेल दिया। यह लत उनकी सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हुई। 31 मार्च 1972 को महज 38 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनकी मौत की वजह लीवर सिरोसिस बताई गई।