Dhurandhar Review: किरदार को जीते हैं रणवीर, चौंका देंगे अक्षय खन्ना, निर्देशक आदित्य धर हैं असली 'धुरंधर'
Dhurandhar movie hindi review: रणवीर सिंह की नई फिल्म धुरंधर सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। कैसी है ये फिल्म और कैसी है कलाकारों को एक्टिंग? यहां जानिए...
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'ये नया हिंदुस्तान है, घर में घुसेगा भी मारेगा भी', बस इतनी सी कहानी है इस फिल्म की लेकिन इसको पिरोया बड़े ही करीने से गया है। निर्देशन, कलाकारों और कहानी पर की गई ये मेहनत जब आप सिनेमाघरों में देखते हैं तो आप सीट से चिपके रहते हैं। फिल्म किस बारे में है? इसमें क्या क्या दिखाया गया है ? चलिए जानते हैं..
कहानी इतनी कसी की साढ़े तीन घंटे यूं गुजर गए
फिल्म शुरू होती है कंधार हाईजैक की घटना से। आतंकवादियों की इस हरकत पर भारत के आईबी चीफ अजय सान्याल (आर माधवन) तगड़ा जवाब देना चाहते थे, पर सरकार ने उनके प्लान को नजर अंदाज कर दिया। इसके कुछ साल बाद आतंकवादी संसद हमले को अंजाम देते हैं, तब जाकर सरकार अजय सान्याल के प्लान 'धुरंधर' पर काम करने के लिए सहमत होती है।
प्लान के तहत हमजा (रणवीर सिंह) को अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान भेजा जाता है। यहां जाकर उसका पहला काम लयारी के माफिया रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) की गैंग में शामिल होना है। रहमान के बेटे को बचाने की कोशिश करके वो उसकी गैंग का हिस्सा बन जाता है।
इसी बीच हमजा वहां की हुकूमत के खास जमील यमाली (राकेश बेदी) की बेटी एलीना (सारा अर्जुन) को अपने फायदे के लिए प्यार में फंसा लेता है। आगे काम के सिलसिले में रहमान के साथ हमजा की मुलाकात आईएसआई चीफ मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल) से होती है। इकबाल, हमजा की आंखों के सामने ही 26/11 मुंबई हमले को अंजाम देता है।
दूसरी तरफ सियासत के लालच में जमील यमाली, एसपी चौधरी असलम (संजय दत्त) को रहमान डकैत को मारने का ऑफर देता है। अब क्या हमजा रहमान को बचाएगा? क्या रहमान और पाकिस्तान की हुकूमत को हमजा की सच्चाई पता चल जाएगी ? हमजा और एलीना की प्रेम कहानी का क्या अंजाम होगा? ये जानने के लिए 3 घंटे 30 मिनट की यह फिल्म देखनी होगी।
बड़े तो बड़े, छोटों का भी धमाकेदार अभिनय
फिल्म की कास्टिंग इतनी शानदार है कि आप इसे देखते हुए कई बार चौंकेंगे। शुरुआत आर माधवन से होती है। उनके सीन थोड़े कम हैं लेकिन जितने हैं उतने उनके जैसे कलाकार के लिए काफी हैं। उनके एक्सप्रेशन सब कह जाते हैं। रणवीर सिंह वैसे कितने ही मजाकिया क्यों न हों पर फिल्म में उन्होंने जो किया है, आप उनके फैन हो जाएंगे। वो बोले कम हैं पर उनका काम आप पर असर ज्यादा करेगा। फिल्म के हर सीन की जरूरत के हिसाब से वो खुद को बड़े ही अच्छे से ढालते हैं।
अक्षय खन्ना का फिल्म में बड़ा रोल है। 'छावा' में वो पल भर के लिए दिखते थे, यहां वो बार-बार और काफी वक्त तक दिखेंगे। अभिनय तो उनका हमेशा से ही तगड़ा रहा है, पर इस फिल्म में वो हैंडसम भी दिखे हैं। कई बार 90 के दशक के अक्षय खन्ना की भी याद आती है। सारा अर्जुन को फिल्म में 19 साल का ही दिखाया गया है। उन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। उनकी मासूमियत और खूबसूरती परदे पर दिखती है।
संजय दत्त का रोल बाकियों के मुकाबले छोटा है पर असरदार है। उनकी एंट्री मजेदार है और डायलॉग्स भी। अर्जुन रामपाल को ट्रेलर में देखकर खौफ लगा था, फिल्म में देखकर भी लगेगा। उनका काम ठीक ठाक और रोल उम्मीद से थोड़ा कम है। राकेश बेदी फिल्म की आन बान और शान हैं। उन्होंने गिरगिट जैसा मुश्किल किरदार बड़े ही प्यार से निभाया। वो ही आपको पूरी फिल्म में हंसाते हैं। इन सबके अलावा छोटे रोल में मानव गोहिल, सौम्या टंडन और बाकी सभी कलाकारों का काम बेहतरीन है।
निर्देशक की पैनी नजर है फिल्म की ताकत
निर्देशक और लेखक आदित्य धर इससे पहले विक्की कौशल अभिनीत 'उरी' का निर्देशन कर चुके हैं। उस फिल्म की तरह इस फिल्म में भी उन्होंने दर्शकों की नब्ज नहीं छोड़ी। आदित्य ने छोटी-छोटी बारीकियों पर बखूबी ध्यान दिया। पाकिस्तान का माहौल अच्छे से बनाया। कई सीन खौफनाक हैं और वो आपको अंदर तक महसूस होते हैं।
'किस्मत की सबसे अच्छी बात यह है कि ये बदलती जरूर है...', 'जब आप जीतने के लिए लड़ रहे हो तो नजरें और सब्र दोनों रखना होता है...' इस तरह के डायलॉग गहरा असर छोड़ जाते हैं। कलाकारों के लुक और मेकअप पर जमकर मेहनत हुई है। छोटे-छोटे किरदार भी मंझे हुए कलाकारों से करवाए ताकि कोई कमी न रहे।
तारीफ करनी होगी इस बात की कि इतनी सीरियस फिल्म के अंदर भी वह कई कॉमेडी सीन ले आते हैं और फिल्म कहीं भी हल्की भी नहीं होती। इस तरह की फिल्मों में अक्सर गाने और लव स्टोरी फिल्म की गति कम करते हैं पर आदित्य धर इसमें भी बचकर निकल जाते हैं। अंत में आपको महसूस होता है कि यह जबरदस्ती नहीं ढूंसे गए, बल्कि स्क्रिप्ट की जरूरत थे। फिल्म वास्तविक घटनाओं से होकर गुजरती है इसलिए कई रॉ फुटेज और ऑडियो भी पेश किए गए हैं। ये आपको याद दिलाते हैं कि आतंकवाद ने हमें कितने गहरे जख्म दिए हैं।
ट्रेलर और टीजर में दर्शकों ने जो एक्शन सीक्वेंस देखे थे फिल्म में उससे कुछ ज्यादा है। इन्हें अच्छे से शूट किया गया है और ये फिल्म की गति बढ़ाने का भी काम करते हैं। हिंसा है..पर बेवजह नहीं है। वीएफएक्स का इस्तेमाल कम है और सही जगहों पर किया गया है। लयारी और पाकिस्तान को दिखाते वक्त छोटी-छोटी बारीकियों का ध्यान रखा गया है। BGM सीन के हिसाब से बदलता रहता है। इंटेंस और एक्शन सीन में पुरानी फिल्मी गानों का बढ़िया यूज किया है।
ये फिल्म यकीनन कुछ नया लेकर आई है वो भी नए अंदाज में। यहां एक जासूस वाकई जासूस लगता है, न कि सुपरहीरो। कहानी असल घटनाओं से जुड़ी हुई है। फिल्म की लंबाई को लेकर कई लोगों के मन में सवाल हैं पर मुझे तो इसने कहीं बोर नहीं किया।
पहला हाफ दो घंटे का है क्योंकि इसमें पूरी कहानी बिल्डअप की गई है। दूसरा पार्ट डेढ़ घंटे का है, जिसमें कई सवालों के जवाब दिए गए हैं। कुल मिलाकर, ये नए इंडिया का नया सिनेमा है, जरूर देखना चाहिए। हां, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि यह ए-रेटिंग वाली फिल्म है और इसमें गालियां और खून-खराबा है, तो परिवार या बच्चों के साथ कतई न जाएं।