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दिल से किसान थे धर्मेंद्र, स्क्रिप्ट रोमन में लेते और डायलॉग्स उर्दू में लिखते थे; को-एक्टर ने सुनाए किस्से
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: सिराजुद्दीन
Updated Mon, 24 Nov 2025 03:41 PM IST
सार
Rajesh Kumar on Dharmendra: बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र के बारे में उनके साथी कलाकार राजेश कुमार ने कई किस्से सुनाए हैं। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा है?
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धर्मेंद्र, राजेश कुमार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
धर्मेंद्र बॉलीवुड के बड़े और मशहूर एक्टर थे। आज सोमवार को उनका निधन हो गया है। ऐसे में उनके फैंस उनके बारे में जानना हैं। धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म 'तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया' के को-एक्टर राजेश कुमार ने उनके बारे में कई किस्से सुनाए हैं। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा है।
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दिल से किसान थे धर्मेंद्र
राजेश कुमार ने बताया 'मुझे धर्मेंद्र जी के साथ काम करने का मौका मिला था। फिल्म के दौरान हम लोग उन्हें एक्टर के तौर पर जानते थे, लेकिन धीरे–धीरे मुझे उनका एक ऐसा रूप देखने को मिला जिससे मैं बहुत गहराई से जुड़ गया। वो सिर्फ एक फिल्म स्टार नहीं थे, बल्कि दिल से किसान थे। जब भी मिलते, हमेशा कहते 'ये रहा मेरा किसान दोस्त।' उस संबोधन में इतना अपनापन था कि मैं कभी नहीं भूल सकता।
राजेश कुमार ने बताया 'मुझे धर्मेंद्र जी के साथ काम करने का मौका मिला था। फिल्म के दौरान हम लोग उन्हें एक्टर के तौर पर जानते थे, लेकिन धीरे–धीरे मुझे उनका एक ऐसा रूप देखने को मिला जिससे मैं बहुत गहराई से जुड़ गया। वो सिर्फ एक फिल्म स्टार नहीं थे, बल्कि दिल से किसान थे। जब भी मिलते, हमेशा कहते 'ये रहा मेरा किसान दोस्त।' उस संबोधन में इतना अपनापन था कि मैं कभी नहीं भूल सकता।
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धर्मेंद्र
- फोटो : एक्स (ट्विटर)
किसानों को सही दाम मिलना चाहिए
एक बार उन्होंने मुझे और मेरे किसान साथियों को अपने घर बुलाया। हम खेतों में उगाई हुई प्राकृतिक सब्जियां और अनाज लेकर उनके घर पहुंचे। धर्म जी ने हमें करीब एक घंटा बैठाया, चाय पिलाई, किसानों से बात की और उनकी समस्याएं ध्यान से सुनीं। फिर उन्होंने मुझसे कहा, 'इनकी मार्केटिंग ठीक से करना। अगर मेरी मदद चाहिए हो तो बताना। इनको सही दाम मिलना चाहिए।' उस पल मैंने धर्मेंद्र जी को एक असली किसान-प्रेमी इंसान के रूप में देखा।
एक बार उन्होंने मुझे और मेरे किसान साथियों को अपने घर बुलाया। हम खेतों में उगाई हुई प्राकृतिक सब्जियां और अनाज लेकर उनके घर पहुंचे। धर्म जी ने हमें करीब एक घंटा बैठाया, चाय पिलाई, किसानों से बात की और उनकी समस्याएं ध्यान से सुनीं। फिर उन्होंने मुझसे कहा, 'इनकी मार्केटिंग ठीक से करना। अगर मेरी मदद चाहिए हो तो बताना। इनको सही दाम मिलना चाहिए।' उस पल मैंने धर्मेंद्र जी को एक असली किसान-प्रेमी इंसान के रूप में देखा।
फार्मिंग को लेकर उन्होंने कई क्रिएटिव आइडियाज दिए
किसानों के प्रति उनका लगाव गहरा था। वे खुद भी खेती करते थे। कई बार बोले कि लोनावला वाले फार्म पर चलेंगे, कुछ नया करेंगे, लेकिन तबियत थोड़ा कमजोर होने के कारण प्लान पूरा नहीं हो पाता था। फिर भी उनकी सोच हमेशा युवा रही। फार्मिंग को लेकर उन्होंने कई क्रिएटिव आइडियाज दिए और कहा कि खेती में बहुत संभावनाएं हैं, बस सही सोच और सही मार्केट चाहिए।
किसानों के प्रति उनका लगाव गहरा था। वे खुद भी खेती करते थे। कई बार बोले कि लोनावला वाले फार्म पर चलेंगे, कुछ नया करेंगे, लेकिन तबियत थोड़ा कमजोर होने के कारण प्लान पूरा नहीं हो पाता था। फिर भी उनकी सोच हमेशा युवा रही। फार्मिंग को लेकर उन्होंने कई क्रिएटिव आइडियाज दिए और कहा कि खेती में बहुत संभावनाएं हैं, बस सही सोच और सही मार्केट चाहिए।
राजेश कुमार एक्टर
- फोटो : सोशल मीडिया
'स्क्रिप्ट वे रोमन इंग्लिश में लेते थे लेकिन पीछे के पन्ने टर्न करके अपने डायलॉग्स उर्दू में लिखते थे'
पहली बार जब स्क्रीन पर उनके साथ काम किया तो मुझे देखते ही बोले 'मामा का रोल तो तू ही करेगा!' उस उम्र में भी उनका पैशन कम नहीं हुआ था। स्क्रिप्ट वे रोमन इंग्लिश में लेते थे लेकिन पीछे के पन्ने टर्न करके अपने डायलॉग्स उर्दू में लिखते थे। हर शॉट के बाद मॉनिटर चेक करते, अपनी परफॉर्मेंस को खुद बारीकी से देखते। वह रील-लाइफ ही नहीं बल्कि रियल-लाइफ हीरो थे।
पहली बार जब स्क्रीन पर उनके साथ काम किया तो मुझे देखते ही बोले 'मामा का रोल तो तू ही करेगा!' उस उम्र में भी उनका पैशन कम नहीं हुआ था। स्क्रिप्ट वे रोमन इंग्लिश में लेते थे लेकिन पीछे के पन्ने टर्न करके अपने डायलॉग्स उर्दू में लिखते थे। हर शॉट के बाद मॉनिटर चेक करते, अपनी परफॉर्मेंस को खुद बारीकी से देखते। वह रील-लाइफ ही नहीं बल्कि रियल-लाइफ हीरो थे।
कहा था- पहले 50 साल मैंने धर्मेंद्र नाम बनाने में लगाए, फिर बाकी जिंदगी मैंने धर्मेंद्र के लिए जी
राजेश कुमार ने बताया उनका स्वास्थ्य उम्र के साथ कमजोर होता गया, लेकिन उनका जज्बा कभी नहीं टूटा। उन्होंने एक बार कहा था। पहले 50 साल मैंने धर्मेंद्र नाम बनाने में लगाए, फिर बाकी जिंदगी मैंने धर्मेंद्र के लिए जी। ये लाइन उनकी पूरी जिंदगी समझा देती है। धर्मेंद्र सिर्फ एक नाम नहीं थे, वह एक जिम्मेदारी थे। कभी गिरे नहीं, कभी रुके नहीं।
राजेश कुमार ने बताया उनका स्वास्थ्य उम्र के साथ कमजोर होता गया, लेकिन उनका जज्बा कभी नहीं टूटा। उन्होंने एक बार कहा था। पहले 50 साल मैंने धर्मेंद्र नाम बनाने में लगाए, फिर बाकी जिंदगी मैंने धर्मेंद्र के लिए जी। ये लाइन उनकी पूरी जिंदगी समझा देती है। धर्मेंद्र सिर्फ एक नाम नहीं थे, वह एक जिम्मेदारी थे। कभी गिरे नहीं, कभी रुके नहीं।