सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Entertainment ›   Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores

स्मृतियां: जब 87 साल के धर्मेंद्र ने खुद को बताया न्यू-कमर, युवाओं को सिखाया- समंदर-ए-शोहरत के साहिल नहीं होते

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Mon, 24 Nov 2025 06:16 PM IST
सार

एक समय ऐसा भी था जब 87 साल की आयु में जिंदगी की तमाम बुलंदियों को देख चुके धर्मेंद्र ने खुद को न्यू-कमर बताया था। युवाओं को जिंदगी का फलसफा बताते हुए उन्होंने सिखाया था- समंदर-ए-शोहरत के साहिल नहीं होते...। कामयाबी और सुनहरी सफलताओं की चकाचौंध में रहने वाले लोगों को धर्मेंद्र की जिंदगी काफी कुछ सिखाती है... पढ़िए उनके ऐसे ही अद्वितीय अल्फाज जिसे उन्होंने जीवन सूत्र की तरह अपनाया 

विज्ञापन
Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores
अलविदा धर्मेंद्र: 89 साल की आयु में पंचतत्व में विलीन - फोटो : एएनआई / अमर उजाला ग्राफिक्स
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सुपरस्टार धर्मेंद्र हमारे बीच अपनी सादगी के साथ-साथ अनगिनत और अमिट स्मृतियां छोड़कर गए हैं। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसे बरगद की तरह रहे जिनकी छांह में न जाने कितने सितारों ने जमीं पर रेंगने से शुरुआत करने के बाद आसामां की बुलंदियों तक का सफर तय किया। 

Trending Videos

Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores
स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

धर्मेंद्र का अमिताभ बच्चन के करियर से भी अनोखा कनेक्शन
सिल्वर स्क्रीन की चमचमाती दुनिया किसी युवा को कितनी जल्दी अपने आगोश में लेकर मदांध कर सकती है, धर्मेंद्र इसे रेखांकित करते हुए आने वाली पीढ़ी को जरूरी फलसफे और सबक भी सिखाते हैं। अक्सर शोहरत की बुलंदियों तक जाने के बाद इंसानों के भीतर होने वाले बदलावों का जिक्र करते हुए धर्मेंद्र का अमिताभ बच्चन के करियर से भी अनोखा कनेक्शन है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि साढ़े 17 हजार रुपये में उन्होंने इसकी पटकथा सलीम खान (सलमान के पिता) से खरीदी थी।

विज्ञापन
विज्ञापन

Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores
स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

जब बहन के कहने पर छोड़नी पड़ी फिल्म
हालांकि, बाद में अपनी बहन की कसम और भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने ये कहानी प्रकाश मेहरा को दे दी थी। उन्हें इस फिल्म में अभिनय न करने का मलाल है, बहन के कहने पर छोड़नी पड़ी, लेकिन खुशी भी है... मालिक जिसके मुकद्दर में देता है उसके पास गया। अब अमिताभ खुद कहने लगे हैं ये बात। ये भी दिलचस्प है कि पहले ये रोल शत्रुघ्न सिन्हा के पास जाने वाला था, जिसे बाद में अभिताभ बच्चन ने किया। एक इंटरव्यू में धर्मेंद्र ने चंद पंक्तियों की मदद से युवाओं को कई अहम संदेश दिए थे। आप भी पढ़ें इस बेमिसाल व्यक्तित्व के गुरुमंत्र


आवाज-ए-खल्क नक्कार-ए-खुदा होती है (The people's voice is God's voice)
खिदमत-ए-खल्क भी नक्कार-ए-खुदा होती है 
--------
पैसे तो आएंगे... शोहरत तो नशा है साहब, चढ़ता है, उतर भी जाता है
मोहब्बत एक ऐसा जज्बा है जो दिलों में घर कर जाता है
----
ईगो कंटेजियस बीमारी है.. एक को हो तो दूसरे को भी झट से लग जाती है
--------
सबकुछ पाकर हासिल-ए-जिंदगी कुछ भी नहीं
मैंने देखे हैं एक से एक सिकंदर खाली हाथ जाते हुए
----

Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores
स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

मैंने देखे हैं एक से एक तैराक डूबते यहां
धर्मेंद्र को पूरी दुनिया ने जिस फिल्म इंडस्ट्री के माध्यम से जाना, कभी सिल्वर स्क्रीन की दुनिया की स्याह हकीकत के बारे में उन्होंने कहा था:


यहां कभी कोई कुछ भी नहीं होता
और कभी कोई जैसा कोई नहीं होता

ऐसे वैसे लोग बन जाते हैं कैसे-कैसे
मुझे तो मैं भी न बनना आया
वैसा बनूं तो कैसे
----
हम तीन में हैं न तेरह में हैं, मगर  खुदा के बंदों की उस गिनती में हैं
जो खुदा को मोहब्बत, मोहब्बत को खुदा कहते हैं
जोर-ए-मोहब्बत बना लिए हैं घर दिलों में
अब दिलों से निकाले हम कहां निकलते हैं
------
समंदर-ए-शोहरत के साहिल नहीं होते... 
मैंने देखे हैं एक से एक तैराक डूबते यहां

Dharmendra in Memories When Bollywood He-man called himself newcomer he taught youth ocean of fame no shores
स्मृति शेष धर्मेंद्र... - फोटो : पीटीआई-एएनआई

जां पे खेल जाने के इरादे बाकी हैं अभी...
युवाओं के दिलो-दिमाग में जोश और जुनून का संचार करते हुए धर्मेंद्र ने इन पंक्तियों के जरिये बड़ा संदेश दिया था। आप भी पढ़ें 87 साल की आयु में कैसे धर्मेंद्र ने सिखाया कि हमें जां पे खेल जाने के इरादे बाकी रखने चाहिए।

वक्त से कहा-
फेहरिश्त कारनामों की अपने
थमाकर हाथ में वक्त के
तामील हो
हुक्म दे दिया है

नक्श-ए-पा फतह के अपनी
छोड़ने बाकी हैं अभी
रूख हवाओं के मोड़ने बाकी हैं अभी
सबक खतरों को सिखाने बाकी हैं अभी
यलगार हो
बुलंद हो नारा-ए-जांबाजी
मिलेगा न सानी कोई वर्क-ए-तारीख अपना
जां पे खेल जाने के इरादे बाकी हैं अभी

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all Entertainment news in Hindi related to bollywood, television, hollywood, movie reviews, etc. Stay updated with us for all breaking news from Entertainment and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed