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Ambala News: देश में ही नहीं, विदेशों में भी हिंदी भाषा ने बढ़ाई शान
संवाद न्यूज एजेंसी, अंबाला
Updated Sat, 13 Sep 2025 01:11 AM IST
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रमालक्ष्मी शर्मा, हिंदी शिक्षिका, पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्योली।
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संवाद न्यूज एजेंसी
अंबाला सिटी। हिंदी भाषा का दायरा लगातार बढ़ रहा है। देश में नहीं, बल्कि विदेशों में भी हिंदी ने अपनी पहचान बनाई है। इसके साथ ही काफी हद तक सरकारी कार्यालयों में भी हिंदी का चलन बढ़ा है, जिससे सरकारी पत्र और कार्यालयों के बाहर भी हिंदी में नेम प्लेट नजर आने लगे हैं। हिंदी भाषा को लेकर शिक्षकों ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि देश में ही नहीं, विदेशों में भी हिंदी भाषा ने शान बढ़ाई है।
हिंदी बोलने और लिखने का बढ़ा चलन
पिछले कुछ वर्षों में हिंदी बोलने व लिखने का चलन बढ़ा है। अब काफी संख्या में पत्र भी हिंदी भाषा में लिखकर आने लगे हैं। सरकारी कार्यालयों में हिंदी भाषा बोलने का चलन बढ़ा है। विदेशों में भी हिंदी को प्राथमिकता तो दी ही जा रही है। विदेशों में हिंदी ने अपनी पहचान भी बनाई है। ऐसा सम्मान पहले कभी नहीं मिला। हिंदी भाषा अब सर्वोच्च भाषाओं में शामिल हो गई है।
रजनी, हिंदी शिक्षिका, राजकीय उच्च विद्यालय नंबर सात, अंबाला शहर।
हिंदी ने देश में ही नहीं विदेशों में भी बनाई पहचान
हिंदी ने बहुत तरक्की की है। पहले हिंदी भाषा बोलने में शर्म आती थी। ऐसा बीच के एक समय में दौर आया था, लेकिन अब हिंदी ने देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। हिंदी को पहचान दिलाने में कवि, साहित्यकारों का अहम रोल रहा। नई शिक्षा नीति में भी हिंदी का विकल्प है। सरल व लचीली भाषा होने से विदेशों में हिंदी का क्रेज बढ़ा है, इसी कारण विदेशों में भी लोग हिंदी भाषा सीख रहे हैं। यह हिंदी का प्यार है। अब हिंदी अच्छी स्थिति में है। हमें गर्व महसूस होता है कि हम हिंदी भाषी हैं।
रमालक्ष्मी शर्मा, हिंदी शिक्षिका, पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्योली।

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हिंदी बोलने और लिखने का बढ़ा चलन
पिछले कुछ वर्षों में हिंदी बोलने व लिखने का चलन बढ़ा है। अब काफी संख्या में पत्र भी हिंदी भाषा में लिखकर आने लगे हैं। सरकारी कार्यालयों में हिंदी भाषा बोलने का चलन बढ़ा है। विदेशों में भी हिंदी को प्राथमिकता तो दी ही जा रही है। विदेशों में हिंदी ने अपनी पहचान भी बनाई है। ऐसा सम्मान पहले कभी नहीं मिला। हिंदी भाषा अब सर्वोच्च भाषाओं में शामिल हो गई है।
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रजनी, हिंदी शिक्षिका, राजकीय उच्च विद्यालय नंबर सात, अंबाला शहर।
हिंदी ने देश में ही नहीं विदेशों में भी बनाई पहचान
हिंदी ने बहुत तरक्की की है। पहले हिंदी भाषा बोलने में शर्म आती थी। ऐसा बीच के एक समय में दौर आया था, लेकिन अब हिंदी ने देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। हिंदी को पहचान दिलाने में कवि, साहित्यकारों का अहम रोल रहा। नई शिक्षा नीति में भी हिंदी का विकल्प है। सरल व लचीली भाषा होने से विदेशों में हिंदी का क्रेज बढ़ा है, इसी कारण विदेशों में भी लोग हिंदी भाषा सीख रहे हैं। यह हिंदी का प्यार है। अब हिंदी अच्छी स्थिति में है। हमें गर्व महसूस होता है कि हम हिंदी भाषी हैं।
रमालक्ष्मी शर्मा, हिंदी शिक्षिका, पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्योली।
रमालक्ष्मी शर्मा, हिंदी शिक्षिका, पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्योली।