{"_id":"690913d7309a5bdaad02b1ea","slug":"average-electricity-bill-sent-for-five-years-compensation-of-rs-5000-will-have-to-be-paid-chandigarh-haryana-news-c-16-pkl1010-861145-2025-11-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"Chandigarh-Haryana News: पांच साल तक बिजली का औसत बिल भेजा, पांच हजार रुपये मुआवजा देना होगा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
    Chandigarh-Haryana News: पांच साल तक बिजली का औसत बिल भेजा, पांच हजार रुपये मुआवजा देना होगा
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                हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने लिया कड़ा संज्ञान  
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
                        
                                                                                      
                   
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। पांच साल से ज्यादा समय तक औसत आधार पर उपभोक्ता को बिजली बिल जारी करने पर हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने उपभोक्ता को पांच हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। जांच के बाद मुआवजे की राशि दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी। आयोग ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है कि इतने लंबे समय तक उपभोक्ता को वास्तविक रीडिंग के आधार पर बिल नहीं दिया गया और यह मामला निगमों की समीक्षा प्रणाली से बचा रहा।
आयोग के प्रवक्ता के मुताबिक इस प्रकार की शिकायतें पहले भी कई बार मिल चुकी हैं। आयोग ने अपने पूर्व आदेश में दोनों निगमों (उत्तर हरियाणा व दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम) के प्रबंध निदेशकों को इस प्रकार के मामलों में राहत या वसूली नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे। आयोग ने कहा कि पर्याप्त निगरानी और प्रणाली उपलब्ध होने के बावजूद उपभोक्ताओं से वर्षों तक औसत बिल वसूलना निगम की साख को धूमिल करता है। आयोग ने यह भी माना कि उपभोक्ता वास्तविक खपत के आधार पर भुगतान करने का उत्तरदायी है लेकिन सालों तक नियमित बिल मिलने के बाद एक साथ भारी राशि का बिल जारी करना अनुचित है हालांकि लैब रिपोर्ट में मीटर को जानबूझकर जलाने का आरोप लगाया गया है जिस पर आयोग ने टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि यह तकनीकी मामला निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। यदि उपभोक्ता इससे असहमत है तो वह उचित मंच पर अपील कर सकता है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                 
                                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
        
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चंडीगढ़। पांच साल से ज्यादा समय तक औसत आधार पर उपभोक्ता को बिजली बिल जारी करने पर हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने उपभोक्ता को पांच हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। जांच के बाद मुआवजे की राशि दोषी अधिकारियों से वसूली जाएगी। आयोग ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है कि इतने लंबे समय तक उपभोक्ता को वास्तविक रीडिंग के आधार पर बिल नहीं दिया गया और यह मामला निगमों की समीक्षा प्रणाली से बचा रहा।
आयोग के प्रवक्ता के मुताबिक इस प्रकार की शिकायतें पहले भी कई बार मिल चुकी हैं। आयोग ने अपने पूर्व आदेश में दोनों निगमों (उत्तर हरियाणा व दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम) के प्रबंध निदेशकों को इस प्रकार के मामलों में राहत या वसूली नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे। आयोग ने कहा कि पर्याप्त निगरानी और प्रणाली उपलब्ध होने के बावजूद उपभोक्ताओं से वर्षों तक औसत बिल वसूलना निगम की साख को धूमिल करता है। आयोग ने यह भी माना कि उपभोक्ता वास्तविक खपत के आधार पर भुगतान करने का उत्तरदायी है लेकिन सालों तक नियमित बिल मिलने के बाद एक साथ भारी राशि का बिल जारी करना अनुचित है हालांकि लैब रिपोर्ट में मीटर को जानबूझकर जलाने का आरोप लगाया गया है जिस पर आयोग ने टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा कि यह तकनीकी मामला निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है। यदि उपभोक्ता इससे असहमत है तो वह उचित मंच पर अपील कर सकता है।
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