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Haryana: बासमती के बाद अब मोटा चावल पाक को देगा मात, केंद्र सरकार ने निर्यात शुल्क हटाया; किसानों को होगा लाभ

सोमदत्त शर्मा, चंडीगढ़ Published by: नवीन दलाल Updated Tue, 29 Oct 2024 08:42 AM IST
सार

हरियाणा का बासमती चावल दर्जनभर से अधिक देशों में निर्यात होता है। खासकर धान का कटोरा कहे जाने वाले कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र के चावल की विदेशों में अधिक मांग है। अरबी देशों में इस चावल की सबसे अधिक खपत होती है।

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Haryana After Basmati, now coarse rice will beat Pakistan, Central Government removes export duty
धान - फोटो : संवाद
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विस्तार
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केंद्र सरकार द्वारा एक बार फिर चावल निर्यात नीति में किए गए बदलाव से हरियाणा के चावल निर्यातकों और धान उत्पादक किसानों की बांछें खिल गईं हैं। सरकार द्वारा गैर-बासमती चावल पर लगाया गया 10 प्रतिशत का निर्यात शुल्क पूरी तरह से हटाने का असर मंडियों में साफ दिखने लगा है। एक दिन में ही मंडियों में पीआर (मोटा चावल) धान के भाव एमएसपी रेट से 30 से 100 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हो गए हैं। यह एक महीने के भीतर चावल निर्यात शुल्क में दूसरी कटौती है। इससे पहले सितंबर में सरकार ने गैर-बासमती उबले चावल, भूरे चावल और धान पर निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था।

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सरकार द्वारा कॉमन धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2300 रुपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड- ए धान का समर्थन मूल्य 2320 रुपए प्रति क्विंटल दिया जा रहा है। वहीं, इस बार बासमती के साथ-साथ हरियाणा का मोटा चावल भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान को मात देता नजर आएगा। भारत में हरियाणा और पंजाब दोनों राज्य चावल उत्पादन वाले हैं। हरियाणा में इस बार 12.83 लाख हेक्टेयर में धान की बिजाई की गई है।
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इनमें से आधे रकबे में बासमती और आधे में गैर बासमती है। पिछले साल अलनीनो के कारण देश में कम बारिश हुई थी और धान की पैदावार प्रभावित हुई थी। भारत के चावल निर्यात प्रतिबंध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें बढ़ गई थीं जिससे थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों को फायदा हुआ था। एक्साइज ड्यूटी लगने के चलते भारत का चावल आयातक देेशों को महंगा पड़ता था, इसलिए वह सस्ते पाकिस्तान के चावल को खरीदते थे।

बासमती की महक कई देशों में, 18 लाख एमटी चावल का होता है निर्यात
हरियाणा का बासमती चावल दर्जनभर से अधिक देशों में निर्यात होता है। खासकर धान का कटोरा कहे जाने वाले कैथल, करनाल और कुरुक्षेत्र के चावल की विदेशों में अधिक मांग है। अरबी देशों में इस चावल की सबसे अधिक खपत होती है। इनके साथ ही अमेरिका, इंग्लैंड समेत अन्य देशों यह चावल खूब पसंद किया जाता है। हरियाणा में चावल उद्योग से करीब 1800 चावल मिल जुड़े हैं और करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र व सिरसा आदि जिलों में 100 से अधिक चावल व्यापारी एक्सपोर्ट करते हैं। पिछले वर्ष देश से 5.30 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया गया, जिसमें हरियाणा से 1.86 मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया गया, जिसकी हिस्सेदारी 35 प्रतिशत से अधिक है।

सरकार के इस फैसले से सभी को लाभ मिलेगा। एक्सपोर्टर के लिए अब चावल निर्यात करना आसान रहेगा और उसको आसानी से मार्केट मिल जाएगी। अब भारत का चावल अधिक निर्यात होगा। दूसरा, इससे बासमती और मोटे धान के साथ-साथ बीज की किस्मों के रेट बढ़ेंगे। मंडियों में एमएसपी से अधिक रेट आने लगा है।  -नरेश बंसल, प्रधान, तरावड़ी राइस मिलर्स एंड डीलर एसोसिएशन।

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