Haryana: अब निजी विश्वविद्यालय में भी प्रशासक लगा सकेगी सरकार, सख्त कार्रवाई करने व नियंत्रण लेने का अधिकार
हरियाणा सरकार के पास पाठ्यक्रम रद्द करने का अधिकार होगा। विश्वविद्यालय कर्तव्यों और दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने की स्थिति में नहीं है तो वह जांच करने के बाद पाठ्यक्रम या अध्ययन कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति रद्द कर सकेगी।
विस्तार
फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां व वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद हरियाणा सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को लेकर और सतर्क हो गई है। संस्थानों पर निगरानी व कार्रवाई का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक-2025 लाया है। इसके पास होने के बाद सरकार के पास निजी विश्वविद्यालयों पर शिकंजा कसने का पूरा अधिकार आ गया है। खामियां व लापरवाही मिलने की स्थिति में वह प्रबंधन भंग कर उसे अधिकार में ले सकेगी और वहां प्रशासक नियक्ति कर सकेगी। सख्त कार्रवाई भी कर सकेगी। सीएम नायब सैनी के नेतृत्व वाली सरकार इस विधेयक को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश कर पास करवाया दिया है।
दिल्ली में लाल किला के पास हुए बम धमाके के बाद जांच के घेरे में आए अल फलाह विवि में पुराने कानून में खामियों का ही फायदा उठाया था। विवि को निजी विश्वविद्यालय एक्ट के तहत स्थापित किया गया था। पर अपनी स्थापना के 11 साल बाद भी विवि ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से मान्यता नहीं ली थी। इसके तीन कॉलेजों में से केवल दो को कभी मान्यता मिली थी। मान्यता समाप्त होने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया था। यह भी देखा गया कि कुछ विश्वविद्यालयों ने एक्ट की धारा 34ए की उपधारा (3) का दुरुपयोग करते हुए राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना नए पाठ्यक्रम शुरू कर दिए। मौजूदा पाठ्यक्रमों में प्रवेश क्षमता बढ़ाई और पाठ्यक्रमों का नामकरण बदल दिया है।
पुराने कानून में यह थीं खामियां
पुराने कानून में विवि को मान्यता प्राप्त करने व सरकार को सूचित करने का अनिवार्य नियम है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी को हर साल अपनी वार्षिक रिपोर्ट, वित्तीय जानकारी (बैलेंस शीट और ऑडिट रिपोर्ट), शासन संस्थाओं व राज्य सरकार को देनी होती है। इन नियमों का पालन हो रहा है या नहीं अथवा पालन कराने को लेकर कोई उचित तंत्र नहीं था। दंड का प्रावधान तो है लेकिन इसमें जांच का कोई प्रावधान नहीं था। दंड किस तरह से देना है, उसकी भी कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई थी। इन्हीं सबका अल फलाह केे प्रबधंन ने फायदा उठाया।
कानून में संशोधन के प्रावधान -सरकार को जरूरत पड़ी तो वह किसी भी समय अधिनियम की धारा 44B या धारा 46 के अधीन प्रशासक की नियुक्ति कर सकेगी। प्रशासक अपनी नियुक्ति की तिथि से इस अधिनियम के अधीन सभी शक्तियों का प्रयोग करेगा और सभी कार्यों का निष्पादन करेगा। -विश्वविद्यालय सरकार की विशेष अनुमति के बिना छात्रों का प्रथम नामांकन प्रारंभ नहीं करेगा।
सरकार के पास पाठ्यक्रम रद्द करने का अधिकार होगा। विश्वविद्यालय कर्तव्यों और दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने की स्थिति में नहीं है तो वह जांच करने के बाद पाठ्यक्रम या अध्ययन कार्यक्रम को जारी रखने की अनुमति रद्द कर सकेगी। सरकार के पास शिक्षण, परीक्षा व अनुसंधान के मानकों या विश्वविद्यालय से संबंधित किसी अन्य मामले का पता लगाने के उद्देश्य से जांच करने का अधिकार होगा, ताकि पता लगाया जा सके कि विवि में कानूनों, अध्यादेशों, नियमों, उपनियमों, निर्देशों और आशय पत्र की शर्तों के प्रावधानों का अनुपालन कर रहा या नहीं। - सरकार किसी विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर गुणवत्ता बनाए रखने और उसके निरंतर संचालन के लिए हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग या किसी अन्य निकाय या व्यक्तियों के माध्यम से वार्षिक शैक्षणिक और प्रशासनिक लेखापरीक्षा करवा सकेगी।
प्रबंधन भंग करने से लेकर एक करोड़ तक जुर्माने का प्रावधान
कुप्रशासन, गलत सूचना और मानकों का पालन न करने पर राज्य सरकार की ओर से दंड का प्रावधान है। इसके तहत संकायों में प्रवेश को रोका जा सकता है या फिर दस लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। दंड लगाए जाने के 30 दिन संतोषजनक स्थिति नहीं मिलती है तो विश्वविद्यालय के प्रबंधन को भंग कर दिया जाएगा और विश्वविद्यालय की देखरेख, प्रबंधन और विनियमन के लिए एक प्रशासक नियुक्त करेगी। प्रशासक सभी संपत्तियों पर पूर्ण नियंत्रण रख्दि सकेगा। विश्वविद्यालय में तरल संपत्तियां हैं तो प्रशासक को सरकार की पूर्व स्वीकृति से विश्वविद्यालय की संपत्तियों और परिसंपत्तियों का निपटान करने का अधिकार होगा। छात्रों के हित में प्रशासक सरकार को सिफारिश प्रस्तुत कर सकेगा। नियुक्त प्रशासक नियमित पाठ्यक्रमों के छात्रों के अंतिम बैच के छात्रों को डिग्री, डिप्लोमा या पुरस्कार प्रदान कर दिए जाने तक विश्वविद्यालय के मामलों का प्रशासन जारी रखेगा। उसके बाद सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
गैरकानूनी या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर जांच हो सकेगी
विधेयक में प्रावधान है कि कोई ऐसा कार्य, चूक, अनियमितता, दुर्व्यवहार या अधिकार का दुरुपयोग जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक सुरक्षा, कानून और व्यवस्था प्रभावित हो या विश्वविद्यालय परिसर का गैरकानूनी या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए दुरुपयोग हुआ हैतो सरकार ऐसे मामलों की जांच के लिए आदेश दे सकेगी।
अधिकतम पांच व्यक्तियों की एक समिति भी नियुक्त कर सकती है। समिति को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी। समिति की रिपोर्ट पर कुलाधिपति, कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रायोजक निकाय को सात दिन का कारण बताओ नोटिस जारी का जवाब भी मांगेगी और नियमानुसार कार्रवाई करेगी।