कैसी हो गई दिल्ली की हालत: आई ड्रॉप, मास्क और नेबुलाइजर खरीदने भाग रहे लोग, हैरान कर देंगी केमिस्ट की बातें
Delhi AQI Level Today : दिल्ली में लगातार प्रदूषण का कहर बढ़ा जा रहा है। इसके कारण लोग आई ड्रॉप, मास्क और नेबुलाइजर खरीदने केमिस्ट की ओर भाग रहे हैं। आई ड्रॉप्स और नेजल स्प्रे की बिक्री में 10 से 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अस्पतावल के खर्चे और चक्कर काटने से बचने के लिए मरीज खुद ही दवाइयां खरीद रहे हैं।
विस्तार
राजधानी में सर्दियों की ठंड के साथ प्रदूषण का कहर बढ़ने से लोग मेडिकल स्टोर की ओर भाग रहे हैं। ऐसे में आई ड्रॉप, मास्क और नेबुलाइजर की बिक्री में तेजी आई है। इसकी मुख्य वजह आंखों में जलन, लालिमा और सांस लेने में दिक्कत की शिकायतें हैं। हालांकि, अधिकतर लोग बिना किसी दवा की पर्ची के ही अपनी मर्जी से दवाइयां खरीदने पहुंच रहे है। खुद दवा खरीदने के पीछे लोगों का तर्क अस्पतालों के खर्च, भीड़ और बार-बार चक्कर काटने के झंझट से छुटकारा पाना है। वहीं, दवा दुकानदारों का कहना है कि दिल्ली में हर साल बढ़ते प्रदूषण की वजह से आंखों की देखभाल और सांस से जुड़ी बीमारियों के प्रोडक्ट्स और दवाओं की डिमांड बढ़ जाती है।
खांसी की सिरप ही नहीं आई ड्रॉप की भी बढ़ी बिक्री
लुटियंस दिल्ली में एक केमिस्ट्स के मालिक सुरेश ने बताया कि जब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तो आई ड्रॉप्स, नेजल स्प्रे और मास्क की बिक्री में साफ तौर पर बढ़ोतरी होती है। उन्होंने बताया कि वे आमतौर पर देखते हैं कि खांसी के सिरप सबसे ज्यादा बिकते हैं, लेकिन इस मौसम में आई ड्रॉप ज्यादा तेजी से बिक रही हैं। वहीं, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) हॉस्पिटल के पास एक फार्मेसी के केमिस्ट श्रवण ने बताया कि आजकल लोग आंखों में जलन और लालिमा की शिकायत लेकर ज्यादा आ रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आई ड्रॉप्स, स्टीम इनहेलेशन इंस्ट्रूमेंट्स और नेजल स्प्रे सामान्य से कहीं ज्यादा बिक रहे हैं और इनकी मांग भी काफी बढ़ गई है। वहीं, एक अन्य केमिस्ट्स के अमित गुप्ता ने बताया कि ठंडे मौसम और प्रदूषण के कारण होने वाला सूखापन आई ड्रॉप की बिक्री में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण है। उन्होंने बताया कि आई ड्रॉप्स और नेजल स्प्रे की बिक्री में आसानी से 10 से 15 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही उन्होंने बताया कि इस मौसम में तेज ठंड और प्रदूषण की वजह से आंखें जल्दी सूख जाती हैं।
आई ड्रॉप लगातार सबसे ज्यादा डिमांड वाली चीजों में से एक
दिल्ली ड्रग ट्रेडर्स एसोसिएशन का कहना है कि यह मौसमी ट्रेंड जाना-पहचाना है। यूनियन के जनरल सेक्रेटरी आशीष देवराज ने बताया कि हर साल, जैसे ही सर्दी शुरू होती है और प्रदूषण का लेवल बढ़ता है, हम आई ड्रॉप, मास्क और उनसे जुड़ी चीजों की बिक्री में मौसमी बढ़ोतरी देखते हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान आई ड्रॉप लगातार सबसे ज्यादा डिमांड वाली चीजों में से एक होती हैं। देवराज ने कहा कि प्रदूषण की वजह से कई लोग आंखों में जलन और खुजली की शिकायत करते हैं और आमतौर पर बिक्री में लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।
उन्होंने बताया कि सर्दियों और ज्यादा प्रदूषण के समय नेबुलाइजर की बिक्री में भी मौसमी बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि नेबुलाइजर ऐसे प्रोडक्ट नहीं हैं, जिन्हें लोग बार-बार खरीदते हैं, क्योंकि ये लंबे समय तक चलते हैं और ज्यादातर घरों ने इन्हें कोविड के समय खरीदा था। हालांकि, जिन परिवारों में नवजात बच्चे या बुजुर्ग सदस्य होते हैं, वे इस मौसम में नेबुलाइजर खरीदते या बदलते हैं, जिससे डिमांड में थोड़ी बढ़ोतरी होती है।
बार-बार नेबुलाइजर खरीदने पहुंच रहे लोग
कुछ केमिस्टों ने बताया कि नेबुलाइजर की हालिया मांग अप्रत्याशित रही है। गोल मार्केट के पास एक और केमिस्ट के संचालक इरफान ने कहा कि आम तौर पर लोग ये उपकरण बार-बार नहीं खरीदते। क्योंकि ये महंगे और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं। लेकिन पिछले तीन दिनों में, लगभग पांच ग्राहकों ने नेबुलाइजर खरीदे, जिनमें एक विदेशी जोड़ा भी शामिल था जो अपने बच्चे के साथ दिल्ली घूमने आया था और बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। वहीं, केमिस्टों ने यह भी बताया कि ग्राहक उन्हीं प्रोडक्ट्स के लिए ज्यादा बार वापस आ रहे हैं। एक और केमिस्ट ने बताया कि लोग हर 10-12 दिन में आई ड्रॉप्स या नेजल स्प्रे के लिए वापस आ रहे हैं। साथ ही, कहा कि आंखों की ड्राइनेस दूर करने वाली आई ड्रॉप्स और गले की गोलियों की बिक्री में काफी बढ़ोतरी हुई है।
खर्चे और चक्कर काटने से बचने के लिए मरीज खुद ही खरीद रहे दवाइयां
ग्राहक यह भी कहते हैं कि फार्मेसी में उनके चक्कर बहुत बढ़ गए हैं। पहले, एक घर के लिए एक दवा काफी होती थी। अब उन्हें बुजुर्गों के लिए आई ड्रॉप्स, स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए मास्क और अपने लिए टैबलेट खरीदने पड़ रहे हैं। एक फार्मेसी के पास से दवा खरीदने आए 24 साल के अमित ने बताया कि अस्पताल जाने में बहुत खर्च होता है, इसलिए वह फार्मेसी जाते हैं और ओवर-द-काउंटर दवाओं और घरेलू नुस्खों से खुद ही इलाज करने की कोशिश करते हैं।
ओवर-द-काउंटर दवाएं क्या हैं?
ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाइयां वे होती हैं जिन्हें बिना डॉक्टर के पर्चे के सीधे लोगों को बेचा जा सकता है। ओटीसी दवाइयां कई तरह की बीमारियों और उनके लक्षणों का इलाज करती हैं, जिनमें दर्द, खांसी-ज़ुकाम, दस्त, कब्ज, मुंहासा आदि शामिल हैं।