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Jhajjar-Bahadurgarh News: किशोरी व युवतियां हो रही पोलीसाइस्टिक ओवरी सिंड्रोम का शिकार

संवाद न्यूज एजेंसी, झज्जर/बहादुरगढ़ Updated Fri, 09 May 2025 01:47 AM IST
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Teenagers and young women are becoming victims of polycystic ovary syndrome
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झज्जर। आधुनिकता की दौड़ के साथ रहन-सहन और खानपान में बदलाव के कारण किशोरी और युवतियां पोलीसाइस्टिक ओवरी सिंड्रोम का शिकार हो रही हैं। इसके चलते उनको अनियमित पीरियड आना, बाल झड़ने की समस्या, मुहासे निकलना और वजन बढ़ने की समस्याएं आ रही हैं।
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सिविल अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार केस आ रहे हैं। इसमें कुछ केस महिलाओं की ओपीडी और कुछ केस मित्रता क्लीनिक में आ रहे हैं। इससे पहले प्रतिदिन एक आध केस ही आता था, लेकिन अब संख्या बढ़ रही है। अस्पताल में आने वाली किशोरी व युवतियां बताती हैं कि किस प्रकार उनका रहन-सहन व खानपान में बदलाव हुआ है, जिस कारण उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं। शरीर में आलस्य और कमजोरी आना भी इसका एक कारण है।
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हार्मोनल विकार है पोलीसाइस्टिक ओवरी सिंड्रोम
चिकित्सकों के अनुसार पोलीसाइस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं में प्रजनन आयु (15–45 वर्ष) के दौरान होता है। इसमें अंडाशय में कई छोटी-छोटी सिस्ट (अंडाणु से भरी थैलियां) बन जाती हैं और हार्मोन का असंतुलन हो जाता है।

पीसीओएस के लक्षण
- अनियमित पीरियड्स- यह कभी-कभी महीनों तक नहीं आते।
- ओवुलेशन न होना- जिससे गर्भधारण में समस्या हो सकती है।
- टेस्टोस्टेरोन हार्मोन बढ़ने से चेहरे, छाती या पेट पर अत्यधिक बाल आना।
- बाल झड़ना।
- मुहासे और तैलीय त्वचा
- वजन बढ़ना, खासकर पेट के आसपास।
- थकान, मूड स्विंग्स और चिंता
- गर्भधारण में कठिनाई।


कारण...

जेनेटिक (परिवार में किसी को हो तो खतरा अधिक)
इंसुलिन रेसिस्टेंस (शरीर इंसुलिन ठीक से उपयोग नहीं कर पाता)
जीवनशैली (ज्यादा बैठना, फास्ट फूड, तनाव)

उपचार...
एलोपैथी- हार्मोनल दवाएं, इंसुलिन कंट्रोल करने की दवाएं,

आयुर्वेद/घरेलू उपचार- त्रिफला, अशोक चूर्ण, शतावरी, कुल्थी की दाल, एलोवेरा जूस, गुनगुना पानी और दालचीनी-शहद का सेवन।

योग और प्राणायाम (विशेषकर कपालभाति, भस्त्रिका, और सुगतासन)

केस-एक
अनियमित आ रहे पीरियड
शहर निवासी किशोरी ने बताया कि उसे शरीर में थका हुआ महसूस रहता है। नींद भी नहीं आती है। पीरियड एक माह में दो से तीन बार आ रहे हैं। इस कारण दिक्कत ज्यादा होती है। पढ़ाई में भी मन नहीं लग पाता।

केस-दो
मूड़ बार-बार बदलता है
मित्रा क्लीनिक में आई एक युवती ने बताया कि उसका मूड़ दिन में कई बार बदलता है। अजीब सी चिंता बनी रहती है। काम पर फोकस नहीं है।


पोलीसाइस्टिक ओवरी सिंड्रोम के केस लगातार आ रहे हैं। पहले एक आध केस आता था, लेकिन अब केस बढ़ें हैं। आने वाले सभी किशोरी, युवतियों की काउंसिलिंग की जाती है। उसके बाद महिला ओपीडी में उपचार के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जिले भर में 10 साल से 19 साल के बच्चों के लिए चलाए जा रहा है। कार्यक्रम के तहत नागरिक अस्पताल झज्जर में कार्यक्रम की ओर से 10 से 19 साल के बच्चों के लिए काउंसिलिंग के लिए मित्रता क्लीनिक बनाई हुई है।
- संदीप जांगड़ा, जिला किशोर स्वास्थ्य काउंसलर, सिविल अस्पताल, झज्जर
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