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सर्वोत्तम कर्म से ही जीवन में सर्वोत्तम बन सकते हैं : डॉ. विक्रांत
संवाद न्यूज एजेंसी, महेंद्रगढ़/नारनौल
Updated Mon, 07 Jul 2025 12:10 AM IST
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फोटो संख्या:52- आर्य समाज मंदिर में हवन करते समाज के लोग---स्रोत- आयोजक
महेंद्रगढ़। वेद प्रचार मंडल जिला महेंद्रगढ़ के प्रधान डॉ. प्रेम राज आर्य की अध्यक्षता में और आर्य समाज महेंद्रगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आर्य समाज मंदिर में साप्ताहिक यज्ञ और सत्संग किया गया।
डॉ. राजीव यादव के पिता स्वर्गीय श्योचंद की आत्मिक शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। डॉ. विक्रांत डागर ने कहा की यज्ञ सर्वोत्तम कर्म है, सर्वोत्तम कर्म से ही जीवन में सर्वोत्तम बन सकते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि एक सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है जो व्यक्ति और समाज दोनों के लिए कल्याणकारी है।
यज्ञ वातावरण को शुद्ध करता है, शरीर को स्वस्थ रखता है और मन को शांति देता है। डॉ. प्रेमराज आर्य ने कहा कि यज्ञ में दिए जाने वाले दान और आहुतियां समाज में धन के प्रवाह को बढ़ाते हैं। दिया हुआ दान और किया हुआ कर्म कभी निष्फल नहीं होते। यज्ञ के माध्यम से लोगों में लोक कल्याण की भावना जागृत होती है और वे दूसरों की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रेरित होते हैं।
आज विश्व का प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण के प्रदूषण को लेकर चिंतित है। यज्ञ निस्वार्थ भावना से प्राणी मात्र कल्याण को ध्यान में रखकर किए जाने वाला कर्म हैं। डॉ. सुरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि जैसे धरती में एक बीज डालें तो हजार गुणा धरती वापस देती है। यज्ञ ऐसी उपासना जिसका लाभ हर जीव, वनस्पतियों और मनुष्यों को मिलता है। इसलिय हम सबको यज्ञ नित्य प्रति करना चाहिए। इस अवसर पर केसर आर्या, पुष्पा शास्त्री, रानी आर्या, बीर सिंह मेघवनवास, महेंद्र दीवान, डॉ. आनंद कुमार, दीपक आर्य मौजूद रहे।
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यज्ञ वातावरण को शुद्ध करता है, शरीर को स्वस्थ रखता है और मन को शांति देता है। डॉ. प्रेमराज आर्य ने कहा कि यज्ञ में दिए जाने वाले दान और आहुतियां समाज में धन के प्रवाह को बढ़ाते हैं। दिया हुआ दान और किया हुआ कर्म कभी निष्फल नहीं होते। यज्ञ के माध्यम से लोगों में लोक कल्याण की भावना जागृत होती है और वे दूसरों की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रेरित होते हैं।
आज विश्व का प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण के प्रदूषण को लेकर चिंतित है। यज्ञ निस्वार्थ भावना से प्राणी मात्र कल्याण को ध्यान में रखकर किए जाने वाला कर्म हैं। डॉ. सुरेंद्र कुमार आर्य ने कहा कि जैसे धरती में एक बीज डालें तो हजार गुणा धरती वापस देती है। यज्ञ ऐसी उपासना जिसका लाभ हर जीव, वनस्पतियों और मनुष्यों को मिलता है। इसलिय हम सबको यज्ञ नित्य प्रति करना चाहिए। इस अवसर पर केसर आर्या, पुष्पा शास्त्री, रानी आर्या, बीर सिंह मेघवनवास, महेंद्र दीवान, डॉ. आनंद कुमार, दीपक आर्य मौजूद रहे।