{"_id":"68c5d4db9048d0a74d0b2a0c","slug":"knowing-the-divine-play-of-god-is-the-true-religion-radhey-radhey-maharaj-panipat-news-c-244-1-pnp1007-143684-2025-09-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"भगवान की लीला को जानना सच्चा धर्म : राधे-राधे महाराज","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
भगवान की लीला को जानना सच्चा धर्म : राधे-राधे महाराज
संवाद न्यूज एजेंसी, पानीपत
Updated Sun, 14 Sep 2025 02:02 AM IST
विज्ञापन

कथा सुनाते राधे राधे महाराज। स्रोत : सोशल मीडिया
विज्ञापन
संवाद न्यूज एजेंसी
पानीपत। सेक्टर 13-17 स्थित वृंदा एनक्लेव परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सत्संग समारोह का शनिवार को छठा दिन रहा। मुख्यातिथि विधायक प्रमोद विज के बेटे राहुल विज व मेयर कोमल सैनी रहीं।
कथावाचक राधे राधे महाराज ने बताया कि धर्म के द्वारा पुण्य की पूंजी बढ़ाई जा सकती है। निर्मल और पवित्र मन से भक्ति करने से भगवान के चरणों में स्थान पाया जा सकता है। जब प्यास लगती है, तभी पानी का महत्व समझ में आता है। उसी प्रकार भगवान के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करने के लिए हृदय से प्रभु को स्मरण करने की आवश्यकता है। किसी ने भगवान को देखा तो नहीं है लेकिन भगवान की कथा सुनने मात्र से ही मन के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं। जिसे भक्ति का एक बार स्वाद मिल गया वह भगवान की भक्ति में दिन-रात लीन हो जाता है जैसे जल का आधार समुद्र है उसी तरह जीवों का आधार परमात्मा है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल समर्पण की आवश्यकता है।
जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संग से जुड़ना अनिवार्य है क्योंकि हमारे सत्कर्म ही हमारी रक्षा करते हैं। हम धर्म से पुण्य की पूंजी बढ़ा सकते हैं लेकिन पाप की पूंजी तो अपने आप बढ़ती है। जीवन में बिना पुण्य के सुख नहीं है। भक्ति सिर्फ गंगा स्नान और मंदिर में पूजा करना ही नहीं है बल्कि ईश्वर का भजन करना, सत्कर्म करना, पुत्र, पति, स्वामी, समाज व मानवता की सेवा करना भी भक्ति है। नैमिषारण्य प्रसंग के बारे में महाराज ने कहा कि करीब छह हजार वर्ष पूर्व वहां धर्म सम्मेलन हुआ था। शौनक ऋषि ने एक हजार वर्ष तक चलने वाले अनुष्ठान का आयोजन किया था। कलियुग में लंबे अनुष्ठान का महत्व नहीं है क्योंकि त्रुटि की संभावनाएं अधिक हैं।

Trending Videos
पानीपत। सेक्टर 13-17 स्थित वृंदा एनक्लेव परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सत्संग समारोह का शनिवार को छठा दिन रहा। मुख्यातिथि विधायक प्रमोद विज के बेटे राहुल विज व मेयर कोमल सैनी रहीं।
कथावाचक राधे राधे महाराज ने बताया कि धर्म के द्वारा पुण्य की पूंजी बढ़ाई जा सकती है। निर्मल और पवित्र मन से भक्ति करने से भगवान के चरणों में स्थान पाया जा सकता है। जब प्यास लगती है, तभी पानी का महत्व समझ में आता है। उसी प्रकार भगवान के श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करने के लिए हृदय से प्रभु को स्मरण करने की आवश्यकता है। किसी ने भगवान को देखा तो नहीं है लेकिन भगवान की कथा सुनने मात्र से ही मन के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं। जिसे भक्ति का एक बार स्वाद मिल गया वह भगवान की भक्ति में दिन-रात लीन हो जाता है जैसे जल का आधार समुद्र है उसी तरह जीवों का आधार परमात्मा है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए केवल समर्पण की आवश्यकता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
जीवन को सार्थक बनाने के लिए सत्संग से जुड़ना अनिवार्य है क्योंकि हमारे सत्कर्म ही हमारी रक्षा करते हैं। हम धर्म से पुण्य की पूंजी बढ़ा सकते हैं लेकिन पाप की पूंजी तो अपने आप बढ़ती है। जीवन में बिना पुण्य के सुख नहीं है। भक्ति सिर्फ गंगा स्नान और मंदिर में पूजा करना ही नहीं है बल्कि ईश्वर का भजन करना, सत्कर्म करना, पुत्र, पति, स्वामी, समाज व मानवता की सेवा करना भी भक्ति है। नैमिषारण्य प्रसंग के बारे में महाराज ने कहा कि करीब छह हजार वर्ष पूर्व वहां धर्म सम्मेलन हुआ था। शौनक ऋषि ने एक हजार वर्ष तक चलने वाले अनुष्ठान का आयोजन किया था। कलियुग में लंबे अनुष्ठान का महत्व नहीं है क्योंकि त्रुटि की संभावनाएं अधिक हैं।
कथा सुनाते राधे राधे महाराज। स्रोत : सोशल मीडिया