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शास्त्र पठन से मिलती है समाधि : उपेंद्र मुनि
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प्रवचन करते उपेंद्र मुनि। संवाद
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संवाद न्यूज एजेंसी
समालखा। अनाज मंडी स्थित जैन स्थानक में उपेंद्र मुनि ने शनिवार को श्रुत समाधि के बारे समझाया। मुनि ने कहा कि ज्ञानाराधना-शास्त्र पठन से समाधि मिलती है। शास्त्रों को सुनने से ही शांति मिल सकती है जैसे कुंडल कान की बाह्य शोभा है श्रुत उसकी आध्यात्मिक शोभा है। जो ज्ञान की भक्तिपूर्वक आराधना करते हैं वे जिनेश्वर देव की आराधना करते हैं। गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि अर्जुन प्रिय वस्तु को प्राप्त करके प्रसन्न, अप्रिय के प्राप्त होने पर मन में उद्विग्नता न होना ही चित्त की समाधि है। कभी व्यक्ति प्रिय वस्तु को प्राप्त करने में सफल, कभी असफल होता हो।
सुख-दुख में समभाव रखो। जन्म-मरण की यह अनादि परंपरा है। कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि बहुत जन्म हो चुके हैं, मैं उन सब जन्मों की जानता हूं, इस जन्म-मरण की परंपरा को तू नहीं जानता। आचार्य के बच्चे भी नालायक हो सकते है। पूर्व जन्म में विद्यार्थियों ने किताब जलाई। बच्चा यदि आग को या सांप को पकड़ता है तो वह संकट को ही निमंत्रण देता है। सुख चाहने वाला भी पाप करता रहता है।

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सुख-दुख में समभाव रखो। जन्म-मरण की यह अनादि परंपरा है। कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि बहुत जन्म हो चुके हैं, मैं उन सब जन्मों की जानता हूं, इस जन्म-मरण की परंपरा को तू नहीं जानता। आचार्य के बच्चे भी नालायक हो सकते है। पूर्व जन्म में विद्यार्थियों ने किताब जलाई। बच्चा यदि आग को या सांप को पकड़ता है तो वह संकट को ही निमंत्रण देता है। सुख चाहने वाला भी पाप करता रहता है।
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