सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Haryana ›   Yamuna Nagar News ›   Guru Nanak Dev preached to congregation in Kapalmochan of Yamunanagar, bath of Kartik Purnima

Haryana: यमुनानगर के कपालमोचन में गुरु नानक देव ने दिया था संगत को उपदेश, आज होगा कार्तिक पूर्णिमा का स्नान

संवाद न्यूज एजेंसी, यमुनानगर (हरियाणा) Published by: नवीन दलाल Updated Thu, 14 Nov 2024 11:19 AM IST
विज्ञापन
सार

सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह महाराज विक्रमी संवत 1742 में पहली बार कपालमोचन में आए थे। उसके बाद संवत 1746 में भंगानी का युद्ध जीतने के बाद कपालमोचन में आए थे। वह 52 दिन तक यहां रूके थे। गुरु गोबिंद सिंह ने कपालमोचन व ऋणमोचन में स्नान कर अपने अस्त्र-शस्त्र धोए थे।

Guru Nanak Dev preached to congregation in Kapalmochan of Yamunanagar, bath of Kartik Purnima
कपालमोचन मेला - फोटो : संवाद
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

15 नवंबर को सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाएगा। गुरु नानक देव जी ने अपने चरणों से यमुनानगर की धरती को भी पवित्र किया था। जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर कपालमोचन में गुरु नानक देव जी ने संगत को एकता, भाईचारे व जरूरतमंदों की सेवा व मदद का उपदेश दिया था।

Trending Videos


इसके बाद सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी जब कपालमोचन में आए थे तो उन्होंने संगत को हुकम दिया था कि हर साल कपालमोचन में गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। जो भी व्यक्ति कपालमोचन में गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाएगा और यहां कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवरों में स्नान करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी। तभी से कपालमोचन का मेला अस्तित्व में आया। इस बार 11 से 15 नवंबर तक श्राईन बोर्ड द्वारा कपालमोचन मेला का आयोजन किया जा रहा है। आज रात 12 बजे लाखों श्रद्धालु कपालमोचन मेला में सरोवरों में स्नान कर मोक्ष की डुबकी लगाएंगे।
विज्ञापन
विज्ञापन


1584 में गुरु नानक देव जी आए थे कपालमोचन
वर्ष 1584 में गुरु नानक देव जी कपालमोचन में आए थे। उन्होंने इसी जगह पर संगत को उपदेश दिया था। उनके प्रवचन सुनने के लिए यहां लोगों की भीड़ जुट जाती थी। जब गुरु नानक देव कपालमोचन में आए थे, उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पंजाब समेत देश के विभिन्न प्रदेशों से लाखों श्रद्धालु हर साल कपालमोचन में गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव मनाने पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा सबसे पहले कपालमोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर, सूरजकुंड सरोवर व गुरुद्वारा के सरोवर में स्नान कर सरोवरों के किनारे दीपदान कर पूजा अर्चना की जाती है। 

कपालमोचन में 52 दिन रूके थे गुरु गोबिंद सिंह
सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह महाराज विक्रमी संवत 1742 में पहली बार कपालमोचन में आए थे। उसके बाद संवत 1746 में भंगानी का युद्ध जीतने के बाद कपालमोचन में आए थे। वह 52 दिन तक यहां रूके थे। गुरु गोबिंद सिंह ने कपालमोचन व ऋणमोचन में स्नान कर अपने अस्त्र-शस्त्र धोए थे। यहां ठहराव के दौरान गुरु गोबिंद सिंह सिंधू वन में संधाय गांव के पास तप करने जाते थे। इस दौरान वह अपना घोड़ा प्राचीन शिव मंदिर में बावड़ी के पास पेड़ से बांधते थे। यह मंदिर आज भी मौजूद है, जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। गुरु गोबिंद सिंह ने ही पवित्र सरोवरों की बेअदबी करने वालों पर पाबंदी लगाई। कपालमोचन में गुरुद्वारा साहिब पहली व दसवीं दोनों पातशाही हैं। दोनों गुरुद्वारा साहिब एक ही परिसर में स्थित हैं। जहां पर रोजाना श्रद्धालु शीश नवाने के लिए आते हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed