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Supreme Court: आयुष और एलोपैथिक डॉक्टर्स के बीच समानता का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ को सौंपा केस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Mon, 20 Oct 2025 03:44 PM IST
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सार

पीठ ने कहा कि हम राज्यों के इस तर्क को नजरअंदाज़ नहीं कर सकते कि (एलोपैथिक डॉक्टरों की) सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना था कि जनता का इलाज करने के लिए पर्याप्त अनुभवी चिकित्सक उपलब्ध हों।

Supreme court refers to larger bench question of parity between AYUSH and allopathic doctors
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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क्या आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी जैसी स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों को सेवा शर्तों, सेवानिवृत्ति की आयु और वेतनमान निर्धारित करने के लिए उन्हें एलोपैथिक डॉक्टर्स के समान माना जा सकता है, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए बड़ी पीठ को सौंप दिया है। 13 मई को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिनमें इस सवाल का जवाब मांगा गया था कि क्या सरकारी अस्पतालों और क्लीनिकों में आयुष चिकित्सकों से आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु अलग हो सकती है।
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पीठ ने क्या कहा
17 अक्टूबर को दिए गए एक आदेश में, पीठ ने कहा कि इस बात पर मतभेद हैं कि क्या दोनों पद्धतियों के डॉक्टरों को सेवा लाभों के लिए समान माना जा सकता है और इसलिए, इस मुद्दे पर एक आधिकारिक निर्णय की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि आयुष डॉक्टरों को एलोपैथिक डॉक्टरों के समान सेवानिवृत्ति लाभ और वेतनमान मिल सकते हैं या नहीं, इस पर पहले के फैसलों में अलग-अलग रुख अपनाया गया था।
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पीठ ने कहा कि हम राज्यों के इस तर्क को नजरअंदाज़ नहीं कर सकते कि (एलोपैथिक डॉक्टरों की) सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना था कि जनता का इलाज करने के लिए पर्याप्त अनुभवी चिकित्सक उपलब्ध हों। एलोपैथी में चिकित्सकों की जैसी कमी है, वैसी कमी स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों में नहीं है, खासकर जब स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों द्वारा महत्वपूर्ण जीवन रक्षक चिकित्सा और शल्य चिकित्सा देखभाल नहीं की जाती है। पीठ ने कहा कि 'हमारी राय है कि इस मुद्दे पर एक आधिकारिक फैसला होना चाहिए और इसलिए हम इस मामले को एक बड़ी पीठ को भेजते हैं। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह इस मामले को प्रशासनिक पक्ष से भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।'



 
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