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Bilaspur: वन बीट अधिकारी को खैर की मार्किंग के बदले रिश्वत लेने पर विजिलेंस ने धरा, गूगल पे से ली थी पेमेंट

संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 30 Dec 2025 11:14 AM IST
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सार

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में वन विभाग के एक बीट इंचार्ज को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। पढ़ें पूरी खबर...

Bilaspur forest beat officer caught by vigilance for accepting bribe in exchange for marking Khair trees
घूसखोरी (सांकेतिक तस्वीर)। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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खैर के पेड़ों की मार्किंग के बदले रिश्वत मांगने के आरोप में राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वन विभाग के एक बीट अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे हिरासत में लिया है। सतर्कता ब्यूरो थाना बिलासपुर में एफआईआर दर्ज की गई है।

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यह मामला सुरेश कुमार पुत्र प्रेम सिंह, निवासी चलेली, डाकघर नोआ, तहसील सदर व जिला बिलासपुर की शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत दर्ज किया गया है। शिकायत के अनुसार, शिकायतकर्ता वन विभाग का ठेकेदार है और वर्तमान में जिला बिलासपुर के सदर ब्लॉक क्षेत्र में खैर के पेड़ों की कटान का ठेका उसके पास है। नियमों के अनुसार खैर के पेड़ों की कटान से पूर्व संबंधित बीट अधिकारी द्वारा उनकी मार्किंग किया जाना अनिवार्य होता है। आरोप है कि इस कार्य के बदले आरोपी बीट अधिकारी समीर मोहम्मद ने शिकायतकर्ता से तीन लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। शिकायत में बताया गया है कि बाद में बातचीत के बाद यह सौदा एक लाख रुपये में तय हुआ। तय राशि की पहली किश्त के रूप में सोमवार को अभियुक्त ने शिकायतकर्ता से 50,000 रुपये गूगल पे के माध्यम से अपने बैंक खाते में प्राप्त किए।

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डिजिटल लेन-देन की पुष्टि होने के बाद राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने कार्रवाई करते हुए आरोपी बीट अधिकारी समीर मोहम्मद को हिरासत में ले लिया। मामले में आगे की जांच जारी है और लेन-देन से संबंधित साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने स्पष्ट किया है कि सरकारी कार्य के बदले रिश्वत लेने के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को कानून के अनुसार सजा दिलाई जाएगी।

खैर कटान को लेकर जिले में पहले भी सवालों में रहा है विभाग
बताते चलें कि इस साल खैर के अवैध कटान के मामलों को लेकर पहले भी वन विभाग कई बार सवालों के घेरे में आया है। मामला उठने के बाद किसी कर्मचारी पर कार्रवाई और फिर विभागीय जांच के बाद फाइल बंद हो जाती है। ऐसे में अब ठेकेदार की शिकायत के बाद वन बीट अधिकारी का रिश्वत के आरोप में हिरासत में जाना इन सवालों को और भी पुख्ता कर देता है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब मामला विजिलेंस में गया है। इससे पहले श्री नयना देवी जी में 2018 में हुए करोड़ों के अवैध खैर कटान की फाइल अभी भी अभियोजन की मंजूरी के लिए सरकारी दफ्तरों की धूल फांक रही है। विजिलेंस ने अपनी कार्रवाई 2 साल पहले पूरी कर दी है। लेकिन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर अभियोजन की मंजूरी न मिलने से मामला कोर्ट ही नहीं पहुंच रहा है। ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के हौसले और बढ़ जाते हैं।
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