{"_id":"69317cbfea5a8c88840d5555","slug":"former-president-ram-nath-kovind-attended-the-convocation-ceremony-of-atal-bihari-vajpayee-university-2025-12-04","type":"story","status":"publish","title_hn":"बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हुए शामिल","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हुए शामिल
अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर
Published by: विजय पुंडीर
Updated Thu, 04 Dec 2025 05:51 PM IST
विज्ञापन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के छठवें दीक्षांत समारोह मे मुख्य अथिती के रूप में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल रमेन डेका ने की। अति विशिष्ट अतिथि के तौर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विशिष्ट अतिथि उपमुख्यमंत्री अरुण साव तथा उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा शामिल हुए। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य डॉ. दिवाकर नाथ वाजपेयी उपस्थित रहे।
Trending Videos
समारोह में 64 शोद्यार्थियों को शोध उपाधि, 92 गोल्ड मेडल एवं 36950 स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधि दी गई। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह दिन छात्रों के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने विद्यार्थियों, विशेषकर पदक विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनकी यह उपलब्धि केवल उनकी मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि इसके पीछे माता-पिता का त्याग, परिवार का सहयोग और गुरुओं का अमूल्य मार्गदर्शन भी निहित है। यह हर विद्यार्थी के लिए एक सुनहरा यादगार पल है, जिसे वे जीवनभर याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में कई बार बेटों से आगे निकल रही हैं और इस विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदक विजेताओं में भी बेटियों की संख्या उल्लेखनीय है।
विज्ञापन
विज्ञापन
पूर्व राष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी की ऊर्जा और आत्मविश्वास की सराहना करते हुए कहा कि भारत आज दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी है और वर्तमान युवा इसका ऐतिहासिक साक्षी और भागीदार हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से स्नातक होना शिक्षा की पूर्णता नहीं है, बल्कि इक्कीसवीं सदी में सफलता के लिए निरंतर सीखना, कौशल निखारना और आत्मविकास अनिवार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से आत्म-प्रबंधन, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और प्रभावी संचार जैसी क्षमताओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही सफलता मिलने पर आत्ममंथन और विनम्रता बनाए रखने की सीख दी।