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Bilaspur News: भराड़ी व डंगार क्षेत्र में जिला परिषद परिसीमन का विरोध शुरू
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Thu, 08 May 2025 11:20 PM IST
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-गतवाड़ पंचायत को कुठेड़ा में जोड़ने के प्रस्ताव पर लोगों में रोष
-बिना विचार-विमर्श के लिए गए निर्णय को बताया जनविरोधी
-भौगोलिक असंतुलन से विकास कार्यों पर पड़ेगा असर
-बोले, जल्द संशोधन नहीं हुआ तो होगा जनआंदोलन
संवाद न्यूज एजेंसी
भराड़ी (बिलासपुर)। भराड़ी व डंगार क्षेत्र में जिला परिषद वार्डों के परिसीमन को लेकर जारी नई अधिसूचना ने विवाद खड़ा कर दिया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता में इस निर्णय को लेकर भारी आक्रोश में है। वर्षों से डंगार वार्ड में सम्मिलित रही गतवाड़ पंचायत को अब कुठेड़ा वार्ड में शामिल करने का प्रस्ताव है। जिसे स्थानीय लोग भौगोलिक और सामाजिक दृष्टि से पूरी तरह अव्यवस्थित बता रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह निर्णय न केवल असंगत है, बल्कि जनभावनाओं की भी अनदेखी करता है। कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं और इसे बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के लागू कर दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ जिला परिषद सदस्य मदन धीमान, पूर्व सदस्य अमी चंद सोनी, सुभाष ठाकुर, इंदु शर्मा, बीडीसी सदस्य चमन, पंचायत प्रधान नवल बजाज, उपप्रधान अजय शर्मा समेत कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों तारा चंद, रामसिंह, संजीव चौधरी और संजय ठाकुर ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने बताया कि कई पंचायतों को ऐसे वार्डों में शामिल कर दिया गया है जिनसे उनकी कोई भौगोलिक सीमाएं नहीं मिलतीं। जैसे, भराड़ी पंचायत को डंगार वार्ड में जोड़ दिया गया है, जबकि उसके बीच की लेहड़ी सरेल पंचायत को हटवाड़ वार्ड में भेज दिया गया है। इससे क्षेत्रीय समन्वय, प्रशासनिक कामकाज और विकास योजनाओं पर सीधा असर पड़ेगा।
गतवाड़ पंचायत का उदाहरण देते हुए प्रतिनिधियों ने बताया कि यह पंचायत हटवाड़ वार्ड की अन्य पंचायतों के समीप है, फिर भी इसे कुठेडा वार्ड में जोड़ने का प्रस्ताव है, जबकि समीपवर्ती पंचायतें हटवाड़ में रखी गई हैं। यह निर्णय लोगों की सुविधा के बजाय असुविधा को जन्म देगा। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस परिसीमन के प्रस्ताव को दोबारा विचार में लाया जाए और जनहित में समुचित संशोधन किए जाएं। चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जन आंदोलन शुरू करने को विवश होंगे। साथ ही यह भी मांग रखी कि परिसीमन की प्रक्रिया पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद कर पूरी की जाए और पंचायतों की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही सीमाओं का निर्धारण हो, ताकि विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
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संवाद न्यूज एजेंसी
भराड़ी (बिलासपुर)। भराड़ी व डंगार क्षेत्र में जिला परिषद वार्डों के परिसीमन को लेकर जारी नई अधिसूचना ने विवाद खड़ा कर दिया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम जनता में इस निर्णय को लेकर भारी आक्रोश में है। वर्षों से डंगार वार्ड में सम्मिलित रही गतवाड़ पंचायत को अब कुठेड़ा वार्ड में शामिल करने का प्रस्ताव है। जिसे स्थानीय लोग भौगोलिक और सामाजिक दृष्टि से पूरी तरह अव्यवस्थित बता रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह निर्णय न केवल असंगत है, बल्कि जनभावनाओं की भी अनदेखी करता है। कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं और इसे बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के लागू कर दिया गया। इस निर्णय के खिलाफ जिला परिषद सदस्य मदन धीमान, पूर्व सदस्य अमी चंद सोनी, सुभाष ठाकुर, इंदु शर्मा, बीडीसी सदस्य चमन, पंचायत प्रधान नवल बजाज, उपप्रधान अजय शर्मा समेत कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों तारा चंद, रामसिंह, संजीव चौधरी और संजय ठाकुर ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने बताया कि कई पंचायतों को ऐसे वार्डों में शामिल कर दिया गया है जिनसे उनकी कोई भौगोलिक सीमाएं नहीं मिलतीं। जैसे, भराड़ी पंचायत को डंगार वार्ड में जोड़ दिया गया है, जबकि उसके बीच की लेहड़ी सरेल पंचायत को हटवाड़ वार्ड में भेज दिया गया है। इससे क्षेत्रीय समन्वय, प्रशासनिक कामकाज और विकास योजनाओं पर सीधा असर पड़ेगा।
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गतवाड़ पंचायत का उदाहरण देते हुए प्रतिनिधियों ने बताया कि यह पंचायत हटवाड़ वार्ड की अन्य पंचायतों के समीप है, फिर भी इसे कुठेडा वार्ड में जोड़ने का प्रस्ताव है, जबकि समीपवर्ती पंचायतें हटवाड़ में रखी गई हैं। यह निर्णय लोगों की सुविधा के बजाय असुविधा को जन्म देगा। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस परिसीमन के प्रस्ताव को दोबारा विचार में लाया जाए और जनहित में समुचित संशोधन किए जाएं। चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जन आंदोलन शुरू करने को विवश होंगे। साथ ही यह भी मांग रखी कि परिसीमन की प्रक्रिया पंचायत प्रतिनिधियों से संवाद कर पूरी की जाए और पंचायतों की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही सीमाओं का निर्धारण हो, ताकि विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।