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Hamirpur (Himachal) News: प्रशिक्षण का अभाव बना बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान में बाधा
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर (हि. प्र.)
Updated Sun, 14 Sep 2025 01:17 AM IST
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हमीरपुर। पशु चिकित्सकों में प्रशिक्षण का अभाव बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया शुरू करने में बाधा बन रहा है। पशु चिकित्सक बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की विधि नहीं जानते हैं। इस कारण जिला में बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
हालांकि विभाग ने आठ से दस पशु चिकित्सकों को प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया था, लेकिन दूसरे चरण का प्रशिक्षण बाकी है। अन्य पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण नहीं मिल पाया। यही वजह है कि जिला में पहली बार बकरियों में शुरू होने वाले कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया रुकी है।
गाय-भैंस की तरह बकरियों का भी कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस तकनीक के तहत बकरियों के लिए बीटल और बरबरी नस्ल के बकरों का सीमन 16 पशु अस्पतालों में उपलब्ध करवाया गया था। विभाग ने करीब 1100 टीके उपलब्ध करवाए थे।
एक बकरी के कृत्रिम गर्भाधान पर 25 रुपये का खर्च आएगा। बीटल और बरबरी नस्ल की बकरियां दूध और मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। कृत्रिम गर्भाधान से अच्छे नस्ल के मेमने पैदा होंगे, जिससे पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी। बकरी पालन एक अच्छा व्यवसाय है।
यह है कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया
आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मादा पशु को स्वाभाविक रूप से गर्भित करने के स्थान पर कृत्रिम विधि से गर्भित करवाया जाता है। इस प्रयोग से पशुओं की नस्ल में सुधार आता है। कृत्रिम विधि में प्रयोग के लिए अच्छी नस्ल के नर पशु का ही उपयोग किया जाता है। ऐसे में जन्म लेने वाले बच्चे में नस्ल के कारण कोई परेशानी, कमजोरी या बीमारी नहीं आती।
कोट
बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। कुछ वरिष्ठ पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है। अन्य पशु चिकित्सकों को भी प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है।
-सतीश कपूर, उपनिदेशक, पशु पालन विभाग, हमीरपुर

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हालांकि विभाग ने आठ से दस पशु चिकित्सकों को प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया था, लेकिन दूसरे चरण का प्रशिक्षण बाकी है। अन्य पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण नहीं मिल पाया। यही वजह है कि जिला में पहली बार बकरियों में शुरू होने वाले कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया रुकी है।
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गाय-भैंस की तरह बकरियों का भी कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) शुरू करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस तकनीक के तहत बकरियों के लिए बीटल और बरबरी नस्ल के बकरों का सीमन 16 पशु अस्पतालों में उपलब्ध करवाया गया था। विभाग ने करीब 1100 टीके उपलब्ध करवाए थे।
एक बकरी के कृत्रिम गर्भाधान पर 25 रुपये का खर्च आएगा। बीटल और बरबरी नस्ल की बकरियां दूध और मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। कृत्रिम गर्भाधान से अच्छे नस्ल के मेमने पैदा होंगे, जिससे पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी। बकरी पालन एक अच्छा व्यवसाय है।
यह है कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया
आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मादा पशु को स्वाभाविक रूप से गर्भित करने के स्थान पर कृत्रिम विधि से गर्भित करवाया जाता है। इस प्रयोग से पशुओं की नस्ल में सुधार आता है। कृत्रिम विधि में प्रयोग के लिए अच्छी नस्ल के नर पशु का ही उपयोग किया जाता है। ऐसे में जन्म लेने वाले बच्चे में नस्ल के कारण कोई परेशानी, कमजोरी या बीमारी नहीं आती।
कोट
बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। कुछ वरिष्ठ पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है। अन्य पशु चिकित्सकों को भी प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है।
-सतीश कपूर, उपनिदेशक, पशु पालन विभाग, हमीरपुर