{"_id":"691c758626b92776a30cb018","slug":"himachal-high-court-seeks-response-from-the-government-on-the-regularization-of-smc-teachers-2025-11-18","type":"story","status":"publish","title_hn":"Himachal News: एसएमसी शिक्षकों के नियमितीकरण पर हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Himachal News: एसएमसी शिक्षकों के नियमितीकरण पर हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Wed, 19 Nov 2025 05:00 AM IST
सार
मंगलवार को एसएमसी शिक्षकों के नियमितिकरण मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि महाधिवक्ता इस मामले में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखें। पढ़ें पूरी खबर...
विज्ञापन
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
विज्ञापन
विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को एसएमसी शिक्षकों के नियमितिकरण मामले में सुनवाई हुई। यह शिक्षक 13- 14 साल से प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। इन्होंने अदालत से मांग की है कि जिस तरह से सरकार ने विद्या उपासक, पैरा टीचर और पीटीए शिक्षकों को नियमित किया है, उसी आधार पर एसएमसी शिक्षकों को भी नियमित किया जाए। अदालत को बताया कि इन शिक्षकों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर की गई है और नियुक्तियों के समय पारदर्शिता बरती गई है।
Trending Videos
न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि महाधिवक्ता इस मामले में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखें। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि एसएमसी के लिए 5 फीसदी कोटा निर्धारित किया है। प्रदेश में करीब 1800 एसएमसी शिक्षक कार्यरत हैं। प्रदेश सरकार ने 2012 के बाद शिक्षकों की कमी के चलते पहली से 12वीं तक बच्चों को पढ़ाने के लिए एसएमसी आधार पर अध्यापकों की नियुक्ति शुरू की। हिमाचल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एसएमसी शिक्षकों को हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।
विज्ञापन
विज्ञापन
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि शिक्षकों के पद खाली होने की वजह से फौरी तौर पर एसएमसी शिक्षकों को भर्ती किया गया है, जिससे प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बरकरार रखा जा सके। सरकार ने तर्क दिया था कि नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने तक यह शिक्षक अस्थायी तौर पर नियुक्त किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 24 नवंबर 2020 को एसएलपी को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को शिक्षकों की नियुक्ति आरएंडपी के तहत करने के निर्देश दिए थे।