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हिमाचल: राज भूषण चौधरी बोले- पांवटा साहिब में यमुना स्वच्छ करने का प्रोजेक्ट पूरा, गंगा मिशन के शोध को मंजूरी

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 16 Dec 2025 05:59 PM IST
सार

मंगलवार को केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने संसद में राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार के सवाल के जवाब में जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में यमुना नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए शुरू की गई परियोजना पूरी हो चुकी है। अब इसका नियमित संचालन राज्य सरकार कर रही है।

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Himachal Raj Bhushan Chaudhary says project to clean the Yamuna river in Paonta Sahib is complete
केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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केंद्र सरकार ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में यमुना नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए शुरू की गई परियोजना पूरी हो चुकी है। अब इसका नियमित संचालन राज्य सरकार कर रही है। केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने मंगलवार को यह जानकारी संसद में राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार के सवाल के जवाब में दी।

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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पांवटा साहिब में यमुना नदी में गिरने वाले गंदे पानी को रोकने और उसका उपचार करने के लिए 11.57 करोड़ रुपये की लागत से इंटरसेप्शन और डायवर्जन प्रणाली तथा 1.72 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है। यह परियोजना पूरी हो चुकी है और इसका संचालन हिमाचल प्रदेश सरकार के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। इससे यमुना नदी की जल गुणवत्ता में सुधार आने की उम्मीद है।

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 67वीं कार्यकारी समिति की बैठक में अनुसंधान आधारित नदी संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया है। गंगा बेसिन में वैज्ञानिक निष्कर्षों और डेटा आधारित योजना को मजबूत करने के लिए कुल पांच अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं पर लगभग 16 करोड़ रुपये की लागत आएगी। उन्होंने बताया कि इन शोध परियोजनाओं में हिमालय क्षेत्र में स्थित गंगा के प्रमुख स्रोत ग्लेशियरों की निगरानी, गंगा नदी के लिए डिजिटल ट्विन का विकास, उच्च रिजॉल्यूशन सोनार तकनीक से नदी तल का सर्वेक्षण, पेलियो चैनलों के माध्यम से जलभृत प्रबंधन और ऐतिहासिक भौगोलिक नदी डेटाबेस का निर्माण शामिल है। इनका उद्देश्य नदी संरक्षण और जल प्रबंधन को वैज्ञानिक आधार देना है।

राज भूषण चौधरी ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन इस बात पर विशेष ध्यान दे रहा है कि अनुसंधान के नतीजे कागजों तक सीमित न रहें। इसके लिए एक तंत्र बनाया गया है, जिसके तहत केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय भूमिजल बोर्ड और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान जैसे संगठनों को परियोजना कार्यान्वयन और संचालन समितियों में शामिल किया गया है, ताकि वैज्ञानिक निष्कर्षों को राज्य और जिला स्तर पर व्यावहारिक उपायों में बदला जा सके। इससे पहले राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने संसद में सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या सरकार ने गंगा मिशन की बैठक में किसी अनुसंधान परियोजना को मंजूरी दी है, वैज्ञानिक निष्कर्षों को लागू करने की क्या व्यवस्था है और हिमाचल प्रदेश में जल गुणवत्ता सुधार, बाढ़ जोखिम कम करने और संधारणीय भूजल प्रबंधन के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।
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