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HP High Court : दवा, सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम में दोषी ठहराए व्यक्ति की सजा बरकरार, जानें पूरा मामला

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 03 Sep 2025 04:00 AM IST
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सार

Himachal Pradesh High Court : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालतों की ओर से पारित सजा के फैसले को बरकरार रखा है। इसमें आरोपी को बिना लाइसेंस के एलोपैथी दवाएं रखना और बेचने के आरोप में दवा और सौंदर्य प्रसाधन (ड्रग एंड कॉस्मेटिक) अधिनियम में दोषी ठहराया गया था। जानें पूरा मामला...

HP High Court Punishment of person convicted under Drugs Cosmetics Act upheld know the whole case
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मैक्लोडगंज के एक व्यक्ति की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने निचली अदालतों की ओर से पारित सजा के फैसले को बरकरार रखा है। इसमें आरोपी को बिना लाइसेंस के एलोपैथी दवाएं रखना और बेचने के आरोप में दवा और सौंदर्य प्रसाधन (ड्रग एंड कॉस्मेटिक) अधिनियम में दोषी ठहराया गया था। अदालत ने कहा कि जब दवाई एक क्लीनिक के अंदर अलमारी पर रखी जाती है तो स्वाभाविक रूप से अनुमान लगाया जा सकता है कि वह बिक्री के लिए थी। अभियुक्त के पास दवाओं को रखने के लिए कोई लाइसेंस या प्रमाण पत्र नहीं था।

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अदालत ने कहा कि इलेक्ट्रोपैथी और इलेक्ट्रो होम्योपैथी को हिमाचल प्रदेश में मान्यता प्राप्त नहीं थी। इसीलिए अभियुक्त के पास एलोपैथी दावों को रखने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था। सजा को कम करने के तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि इस तरह के अपराधों का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। अदालत ने कहा कि ऐसे कृतियों को रोकने के लिए कठोर सजा आवश्यक है।

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यह मामला 15 जून 2001 का है, जब ड्रग्स इंस्पेक्टर नवनीत मारवाह ने पुलिस की मदद से मैक्लोडगंज के मानव हेल्थ क्लिनिक का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान क्लीनिक में बड़ी मात्रा में एलोपैथी दवाएं मिली। ड्रग इंस्पेक्टर ने क्लीनिक से दवाओं को रखने और बेचने के लिए कोई वैध लाइसेंस या पंजीकृत चिकित्सा व्यवसाय होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा, लेकिन आरोपी ऐसा करने में असमर्थ रहा। ड्रग इंस्पेक्टर ने गवाहों की उपस्थिति में दवाओं को जब्त कर लिया और एक शिकायत दर्ज की। ट्रायल कोर्ट ने संजय के मानव को ड्रग्स और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम की धारा 27 बी(ii) में मुकदमा दर्ज किया और निचली अदालत ने उसे एक महीने की साधारण कैद और 5 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मशाला ने भी सजा को बरकरार रखा।
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