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Mandi Cloud Burst: पीड़ित ने सुनाईं दास्तां, अचानक पहाड़ी से आया मलबा और मिट गया स्याठी गांव का नामोनिशान

संवाद न्यूज एजेंसी, धर्मपुर (मंडी)। Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 02 Jul 2025 05:00 AM IST
सार

Mandi Cloud Burst: अचानक पहाड़ी से मलबा आया और आंखों के सामने स्याठी गांव का नामोनिशान मिट गया। तबाही का यह मंजर बयां किया स्थानीय निवासी धनदेव ने...

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Mandi Cloud Burst victim narrated story suddenly debris came from the hill and Syathi village was wiped out
बादल फटने के बाद धर्मपुर के स्याठी गांव में तबाही का मंजर। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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सभी गे पैहले मिंजो लगया पता... राती दो बजे बिजली कड़की। इते गे बाद पहाड़ियां गे चट्टान खिसकने रा अंदाजा जे हुआ... पैहले लोक ठुआले... कुंडियां लगाई के सुती रे थे। सारे घरे ते बाहर कढे कने भगी कने सुरक्षित जगह पहुंचाए। इती ले बाद एड़ा मंजर देखया कि यकीन नी होया। अचानक पहाड़ी से मलबा आया और आंखों के सामने स्याठी गांव का नामोनिशान मिट गया। स्थानीय निवासी धनदेव ने तबाही का यह मंजर बयां किया।

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धनदेव ने बताया कि पंचायत लौंगणी के स्याठी गांव की अनुसूचित जाति की बस्ती के डेढ़ दर्जन परिवारों के 10 मकान और पशुशालाएं, 20 खच्चर, 30 बकरियां, 8 भेड़ें, 5 भैंसें और 50 से अधिक सदस्यों के गहने, कपड़े, फर्नीचर, बाइक मलबे में बह गए। दो से तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। धनदेव ने बताया कि जैसे तैसे लोग अपने घर से ऊपर स्कूल और मंदिर के पास ही पहुंचे और तब तक पंचायत प्रधान, उपप्रधान अन्य लोग वहां इकट्ठा हो गए। सुबह 4:00 बजे पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह, एसडीएम जोगिंद्र पटियाल, तहसीलदार रमेश कुमार और एसएचओ धर्मपुर से पैदल चलकर मौके पर पहुंचे और प्रभावितों को 10-10 हजार रुपये फौरी राहत, तिरपाल तथा राशन सामग्री उपलब्ध करवाई।

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नंगे पांव ही घर से निकलना पड़ा, मलबे में सब हुआ खत्म
प्रत्यक्षदर्शी महिला ने रोते बिलखते हुए बताया कि नंगे पांव ही घर से निकलना पड़ा। सब कुछ घर में ही रह गया और मलबे की चपेट में आकर सब खत्म हो गया। तन पर पहने कपड़े ही बचे हैं। पांव में जूते तक नहीं है। प्रदेश सरकार जमीन के साथ मकान उपलब्ध करवाए अन्यथा कहां जाएंगे।

जालपा माता मंदिर में आश्रय
सभी प्रभावितों को माता जालपा के मंदिर स्याठी-त्रयांबला में रहने और खाने की व्यवस्था स्थानीय पंचायत और लोगों ने की है। पूर्व जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बस्ती में वर्ष 2014 में भी ल्हासा गिरने से नुकसान हुआ था और ये परिवार तब से लेकर अब तक अपने लिए सुरक्षित जगह उपलब्ध कराने की मांग सरकार से करते रहे हैं। यह बस्ती नाले के साथ बसी थी और यह जोन स्लाइडिंग क्षेत्र में है।
 
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