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Himachal News: भिंडी की रोग रहित नई किस्म तैयार, 25 फीसदी अधिक पैदावार; फल व तना छेदक कीट नहीं लगेगा

सोमदत्त शर्मा, सोलन। Published by: अंकेश डोगरा Updated Thu, 13 Nov 2025 05:00 AM IST
सार

नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ‘सोलन अधिराज’ नाम की भिंडी की किस्म तैयार की है। इसकी खासियत यह है कि यह बीमारी रहित होगी। पढ़ें पूरी खबर...

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Scientists of Nauni University have developed a new variety of ladyfinger Solan Adhiraj
नौणी विवि की ओर से तैयार की गई सोलन अधिराज भिंडी के पौधे। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भिंडी की नई किस्म तैयार की है। ‘सोलन अधिराज’ नाम की इस किस्म की खासियत यह है कि यह बीमारी रहित होगी। इस किस्म में फल व तना छेदक कीट नहीं लगेगा। साथ ही शोध के दौरान किसी भी प्रकार को काई संक्रमण नहीं मिला। दावा किया जा रहा है कि 70 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म में अब तक निकाली गई भिंडी की किस्मों से 25 फीसदी तक अधिक उपज होगी। साथ ही अन्य कंपनियों के बीजाें से इसका बीज औसतन काफी कम कीमत में बाजार में उपलब्ध होगा। यह मैदानी और मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैयार होगी।

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नौणी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और कृषि विज्ञान केंद्र चंबा के प्रभारी डॉ. धरमिंदर कुमार ने अन्य वैज्ञानिकों के सहयोग से इस किस्म को तैयार किया है। अनुसंधान कार्य विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र जाच्छ (कांगड़ा) में किया गया। नौणी विवि के निदेशक अनुसंधान डॉ. संजीव चौहान ने बताया कि सोलन अधिराज को विशेष रूप से प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों की परिस्थितियों के अनुरूप उच्च उपज देने वाली और कीट-सहनशील भिंडी किस्म के रूप में विकसित किया है। तीन वर्षों तक चले शोध में विभिन्न स्थानों पर किए गए परीक्षणों में इस किस्म को बेहतर पाया गया। इसमें औसतन 203.74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दी, जो प्रचलित तुलना किस्म पी-8 से काफी अधिक है। क्योंकि पी-8 किस्म अभी 153.61 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज दे रही है।

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रेशा रहित होने से अधिक मांग
इस किस्म की खास बात है कि विभिन्न स्थानों पर खुले खेतों में किए गए परीक्षणों में इस किस्म में किसी प्रकार का संक्रमण नहीं पाया गया। साथ ही इसके पौधे औसतन 170.43 सेंमी ऊंचे होंगे और 70-80 दिनों में तैयार होंगे। यह भिंडी लंबी होगी और तैयार होने पर रेशारहित होगी, जिसकी बाजार में काफी अधिक डिमांड है। वहीं इसे गर्मियों में खरीफ मौसम में हिमाचल के निचले एवं मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकेगा। सका बीज काफी सस्ता मिलेगा, जबकि वर्तमान में निजी कंपनियां भिंडी का बीज लगभग 1200 रुपये प्रति किलोग्राम तक बेच रही हैं।

भिंडी की नई किस्म निजी क्षेत्र की हाईब्रिड किस्मों का सस्ता और प्रभावी विकल्प बनेगा। इस किस्म में जहां संक्रमण नहीं लगेगा, वहीं फल व तना छेदक कीट की समस्या भी नहीं आएगी। ‘सोलन अधिराज’ का विकास प्रदेश में भिंडी उत्पादन को बढ़ावा देने, कीट-सहनशीलता सुधारने और बीज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।- प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल, कुलपति नौणी विवि
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