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Una News: गोबिंद झील का पानी कम न होने से गेहूं के खेतों में पहुंच रहे प्रवासी पक्षी
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पड़ताल
पहले दिसंबर में पानी उतरने से साइबेरियन पक्षियों को झील किनारे ही मिल जाता था भोजन
खेताें में पहुंच रहे साइबेरियन पक्षियों के झुंड, किसान परेशान
जोगिंद्र देव आर्य
थानाकलां (ऊना)। गोबिंद सागर झील में इस वर्ष जलस्तर सामान्य से अलग स्थिति में रहने के कारण साइबेरियन प्रवासी पक्षियों के सामने गंभीर भोजन संकट उत्पन्न हो गया है। हर साल सर्दियों के मौसम में झील का पानी घटने पर किनारों पर ताजी हरी घास और जलीय वनस्पतियां उग आती हैं, जो इन प्रवासी पक्षियों का मुख्य आहार होती हैं। लेकिन, इस बार झील का पानी किनारों तक भरा रहने के कारण यहां प्राकृतिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। भोजन की कमी के चलते प्रवासी पक्षी अब झील से सटे खेतों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे गेहूं की नई फसल को नुकसान पहुंच रहा है। इस स्थिति ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गोबिंद सागर झील के जलस्तर में आए इस बदलाव ने जहां प्रवासी पक्षियों के सामने भोजन का संकट खड़ा कर दिया है, वहीं किसानों की मेहनत और आजीविका पर भी प्रतिकूल असर डालना शुरू कर दिया है।
पहले झील का पानी समय पर उतर जाता था और किनारों पर हरी घास उग आती थी, जिससे पक्षी वहीं भोजन कर लेते थे। इस बार हालात बदल गए हैं और पक्षी सीधे खेतों में पहुंच रहे हैं। -किसान राकेश कुमार
प्रवासी पक्षियों के झुंड लगातार गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक क्षति का खतरा है। -किसान अशोक कुमार
जिला प्रशासन को इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि किसानों को नुकसान न हो। -किसान जीत कुमार
धुंधला और लठियाणी पंचायत के कई गांवों में प्रवासी पक्षियों के झुंड खेतों में आ रहे हैं, जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है। -किसान नेता देशराज मोदगिल
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पहले दिसंबर में पानी उतरने से साइबेरियन पक्षियों को झील किनारे ही मिल जाता था भोजन
खेताें में पहुंच रहे साइबेरियन पक्षियों के झुंड, किसान परेशान
जोगिंद्र देव आर्य
थानाकलां (ऊना)। गोबिंद सागर झील में इस वर्ष जलस्तर सामान्य से अलग स्थिति में रहने के कारण साइबेरियन प्रवासी पक्षियों के सामने गंभीर भोजन संकट उत्पन्न हो गया है। हर साल सर्दियों के मौसम में झील का पानी घटने पर किनारों पर ताजी हरी घास और जलीय वनस्पतियां उग आती हैं, जो इन प्रवासी पक्षियों का मुख्य आहार होती हैं। लेकिन, इस बार झील का पानी किनारों तक भरा रहने के कारण यहां प्राकृतिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। भोजन की कमी के चलते प्रवासी पक्षी अब झील से सटे खेतों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे गेहूं की नई फसल को नुकसान पहुंच रहा है। इस स्थिति ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गोबिंद सागर झील के जलस्तर में आए इस बदलाव ने जहां प्रवासी पक्षियों के सामने भोजन का संकट खड़ा कर दिया है, वहीं किसानों की मेहनत और आजीविका पर भी प्रतिकूल असर डालना शुरू कर दिया है।
पहले झील का पानी समय पर उतर जाता था और किनारों पर हरी घास उग आती थी, जिससे पक्षी वहीं भोजन कर लेते थे। इस बार हालात बदल गए हैं और पक्षी सीधे खेतों में पहुंच रहे हैं। -किसान राकेश कुमार
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प्रवासी पक्षियों के झुंड लगातार गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों को आर्थिक क्षति का खतरा है। -किसान अशोक कुमार
जिला प्रशासन को इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि किसानों को नुकसान न हो। -किसान जीत कुमार
धुंधला और लठियाणी पंचायत के कई गांवों में प्रवासी पक्षियों के झुंड खेतों में आ रहे हैं, जिससे फसलों को नुकसान हो रहा है। -किसान नेता देशराज मोदगिल