World Mosquito Day: हिमाचल में साल दर साल बढ़ रहे हैं डेंगू के मामले, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पहुंचा मच्छर
World Mosquito Day 2025 : विश्व मच्छर दिवस हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन मच्छरों से होने वाली बीमारियों, जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस, के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। वहीं, हिमाचल में भी डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

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हिमाचल प्रदेश में डेंगू के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार वर्ष 2022 में डेंगू के लगभग 2,100 मामले सामने आए थे। 2024 में यह संख्या बढ़कर 3,359 तक पहुंच गई। इस दौरान मामलों में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रदेश में मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी, एनाफिलीज और क्यूलेक्स मच्छर पाए जाते हैं। एडीज एजिप्टी मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया फैलाता है। एनाफिलीज मच्छर मलेरिया का वाहक है और क्यूलेक्स मच्छर जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी फैला सकता है। अब तक इनका प्रभाव मैदानी जिलों ऊना, सोलन और कांगड़ा में ज्यादा देखने को मिलता था। अब शिमला और कुल्लू जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी डेंगू के मामले अधिक आ रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन इस खतरे को और बढ़ा रहा है। औसत तापमान में वृद्धि और बारिश के बाद लंबे समय तक बनी रहने वाली नमी मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रही है। यही कारण है कि पहले जहां ठंडी जलवायु मच्छरों को रोकती थी, अब वहीं संक्रमण के मामले दर्ज हो रहे हैं। मच्छर आम तौर पर 20 से 30 डिग्री तापमान पर अधिक सक्रिय रहते हैं। 15 से नीचे और 35 डिग्री से अधिक तापमान पर इनकी गतिविधि धीमी हो जाती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण अब पहाड़ी क्षेत्रों में भी तापमान उनके अनुकूल हो गया है।
डेंगू में तेज बुखार, आंखों के पीछे दर्द, शरीर और जोड़ों में तेज दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते और प्लेटलेट्स की कमी जैसे लक्षण सामने आते हैं। मलेरिया के मामले में ठंड लगकर तेज बुखार, पसीना आना, सिरदर्द और थकान आम लक्षण हैं। चिकनगुनिया में तेज बुखार के साथ हाथ-पांव और जोड़ों में सूजन, दर्द होता है। जापानी इंसेफेलाइटिस और जिका वायरस के मामलों में बुखार, उल्टी, चक्कर और मानसिक भ्रम जैसे गंभीर लक्षण सामने आते हैं। समय पर पहचान और उपचार से बड़ी जटिलताओं को टाला जा सकता है।
मच्छरों से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सबसे अहम है घर और आसपास के वातावरण को साफ रखना। मच्छर स्थिर और गंदे पानी में पनपते हैं। इसलिए कूलर, गमलों, टायर, पानी की टंकियों और नालियों की नियमित सफाई जरूरी है। घर की खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाना, मच्छरदानी का उपयोग करना और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना मच्छरों के काटने से बचाता है। बच्चों और बुजुर्गों को मच्छर रिपेलेंट क्रीम या कॉइल का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। बरसात के मौसम में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इस दौरान मच्छरों की संख्या सबसे अधिक होती है। सामुदायिक स्तर पर नियमित फॉगिंग, कचरे का सही निस्तारण और जलभराव रोकने के प्रयास भी बेहद जरूरी हैं।