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पुलवामा हमला: 11 शहीदों की विधवाओं को बच्चों के 18 साल के होने का इंतजार, अनुकंपा नियुक्ति पर सरकार का जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: गुलाम अहमद Updated Thu, 27 Jul 2023 03:13 AM IST
सार

केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए जवानों के 19 परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है। तीन और की नियुक्ति प्रक्रिया में है।

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11 widows of Pulwama martyrs wait for children to turn 18 to apply for govt jobs centre reply in Parliament
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय - फोटो : Rajya sabha
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विस्तार
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वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में मारे गए जवानों की करीब एक दर्जन विधवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए जवानों के 19 परिजनों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी गई है। तीन और की नियुक्ति प्रक्रिया में है।

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14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। नित्यानंद राय ने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा, 11 विधवाओं ने अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अपने बच्चों के 18 साल के होने तक इंतजार करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ बच्चे चार साल तक के हैं। इनमें शहीद सीआरपीएफ हेड कांस्टेबल मनोज बेहरा की बेटी और कांस्टेबल भागीरथ सिंह का सात साल का बेटा शामिल है।
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आतंकी हमले में मारे गए सीआरपीएफ के 40 जवानों के परिजनों को दी गई आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरियों का विवरण साझा करते हुए राय ने कहा कि प्रत्येक परिवार को पूरा मुआवजा दिया गया है, जिसमें केंद्र या राज्य सरकारों और व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट दाताओं द्वारा दी गई या दान की गई 1.5 करोड़ रुपये से तीन करोड़ रुपये तक राशि शामिल है। उन्होंने बताया कि आठ शहीदों के परिजनों को कुल मुआवजा 1.5 करोड़ रुपये से दो करोड़ रुपये के बीच मिला, 29 शहीदों के परिवारों को दो करोड़ रुपये से 2.5 करोड़ रुपये के बीच मिला। मंत्री ने कहा कि तीन शहीदों के परिवार को 2.5 करोड़ रुपये से तीन करोड़ रुपये के बीच मुआवजा मिला।

370 हटने के बाद कश्मीर में हुईं 29,295 भर्तियां
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 निरस्त करने के बाद से अबतक 29,295 पदों पर भर्तियां की गई हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि यहां भर्तियों सहित कई प्रशासनिक सुधार हो रहे हैं। 370 हटने के बाद से बड़े स्तर पर भर्ती अभियान हुए। वहीं, भर्ती एजेंसियों ने 7,924 पदों के लिए विज्ञापन भी निकाले हैं और 2,504 पदों के लिए परीक्षाएं करवाई गई हैं।

पिछले पांच सालों में उच्च शिक्षा के 98 छात्रों ने की खुदकुशी
सरकार ने राज्यसभा को बताया कि पिछले पांच वर्षों में उच्च शिक्षा के 98 छात्रों ने आत्महत्या कर ली। जान देने वालों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और आईआईएसईआर के विद्यार्थी शामिल हैं। शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा, 2023 में ही अब तक उच्च शिक्षा के 20 बच्चों ने खुदकुशी की है। इनमें नौ केंद्रीय विश्वविद्यालयों और सात बच्चे आईआईटी के हैं। पांच साल में खुदकुशी करने वाले 98 में 39 विद्यार्थी आईआईटी, 25 एनआईटी, 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों , चार आईआईएम, तीन आईआईएसईआर और 2 बच्चे आईआईआईटी के थे।

2020 के बाद अनाथ बच्चों की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि पिछले तीन वर्षों में सरकार के बच्चों के गोद लेने वाले पोर्टल केयरिंग पर अनाथ, परितक्त व समर्पण किए जाने वाले बच्चों के पंजीकरण में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। वर्ष 2020-21 के दौरान ऐसे बच्चों की संख्या 4,521 थी, जो 2022-23 में बढ़कर 5,663 हो गई।

पांच वर्ष से कम उम्र के 49 लाख बच्चे कमजोर
इस साल जून में देश में पांच वर्ष से कम उम्र के करीब 49 लाख बच्चे कमजोर या लंबाई के हिसाब से कम वजन वाले पाए गए। पोषण ट्रैकर एप पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कमजोर या लंबाई के अनुपात में कम वजन वाले पांच वर्ष के करीब सात करोड़ बच्चों की जून में मापी की गई। उनमें करीब सात फीसदी कुपोषित या कमजोर पाए गए।

32 हजार छात्रों ने छोड़ी उच्च शिक्षा
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में पंजीकृत 32 हजार से ज्यादा छात्रों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इनमें आधे से ज्यादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। ज्यादातर छात्र पीजी अथवा पीएचडी कार्यक्रमों में पंजीकृत थे।

236 जिले सिर पर मैला ढोने से मुक्त नहीं
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र सरकार ने कहा है कि देश के 236 जिलों ने अब तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त होने की घोषणा नहीं की है। हालांकि, किसी जिले में यह प्रथा जारी रहने की सूचना नहीं है। उन्होंने बताया, 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त होने की घोषणा की है। 766 जिलों में से 530 ने सिर पर मैला ढोने की प्रथा से मुक्त होने की घोषणा की है।

माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वालों में सबसे ज्यादा ओडिशा के
शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाई छोड़ने वाले सबसे ज्यादा बच्चे ओडिशा के हैं। उसके बाद मेघालय और बिहार का नंबर है। आंकड़ों, के मुताबिक देश में माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में राष्ट्रीय ड्रॉपआउट दर 12.6 फीसदी है। जबकि ओडिशा में यह दर 27.3 फीसदी है। वहीं, मेघालय में 21.7 फीसदी, बिहार में 20.5 फीसदी और असम में 20.3 फीसदी है।

वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव से 55.60 लाख का नुकसान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद को बताया कि 2019 से वंदे भारत ट्रेनों पर पथराव के कारण रेलवे को 55.60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वैष्णव ने कहा कि ऐसी घटनाओं में शामिल 151 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किसी यात्री की जान जाने या किसी यात्री के सामान की चोरी या क्षति की कोई घटना सामने नहीं आई है।

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