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दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा सौदा करने जा रहा भारत, खरीदेगा 114 नए लड़ाकू विमान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Mon, 03 Sep 2018 04:41 AM IST
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114 new fighter aircraft is going to buy India
Rafale Deal
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राफेल सौदे को लेकर एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार पर हमलावर है, वहीं मोदी सरकार इन सब से परे एक और डील करने जा रही है। सरकार अब 20 अरब डॉलर (1.4 लाख करोड़ रुपए) के 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रही है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा। 
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सूत्रों के मुताबिक वायु सेना ने अरबों डॉलर के खरीद सौदे के लिए आरएफआई (सूचना के लिए अनुरोध) या शुरूआती निविदा जारी की है। अधिकारियों ने कहा कि भारत में अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी लाने के मकसद से हाल में शुरू रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारतीय कंपनी के साथ मिलकर विदेशी विमान निर्माता लड़ाकू विमानों का उत्पादन करेंगे। वायु सेना पुराने हो चुके कुछ विमानों को बाहर करने के लिए अपने लड़ाकू विमान बेड़े की गिरती क्षमता का हवाला देते हुए विमानों की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दे रही है।
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सरकार द्वारा पांच साल पहले वायु सेना के लिए 126 मध्यम बहु भूमिका लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) की खरीद प्रक्रिया को रद्द करने के बाद लड़ाकू विमानों के लिए यह पहला बड़ा सौदा होगा। इससे पहले राजग सरकार ने सितंबर 2016 में 36 राफेल दोहरे इंजन वाले लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस सरकार के साथ करीब 59000 करोड़ रूपये के सौदे पर दस्तखत किए थे।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण 114 और विमान खरीदने की डील को जल्दी ही हरी झंडी देने वाली हैं। माना जा रहा है कि यह डील अगले महीने तक हो जाएगी। बता दें कि भारत को अभी और लड़ाकू विमान खरीदने की जरूरत है। इससे पहले डील में भी भारत ने 136 वीमान खरीदने की डील की थी लेकिन तब भारत ने सिर्फ 36 लड़ाकू विमान ही खरीदे थे।

इस नई परियोजना के तहत पहले 18 विमान भारत आएंगे। इसके बाद विदेशी विमानन प्रमुख और भारत की डील पर 3 से 5 साल बाद नई रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत भारत में उत्पादित किया जाएगा। 

वहीं बता दें कि फ्रांस के साथ केंद्र सरकार के करार को लेकर कांग्रेस के हमलों के बीच तीन राफेल लड़ाकू विमान रविवार को पहली बार भारत पहुंच गए हैं। ये विमान तीन दिन तक ग्वालियर एयरबेस पर रहेंगे और वायुसेना के पायलट इन पर प्रशिक्षण हासिल करेंगे। ये लड़ाकू विमान ऑस्ट्रेलिया में एक अंतरराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में शामिल होने गए थे। वहां से लौटते हुए ग्वालियर आए।
 
इस युद्धाभ्यास में वायुसेना ने भी हिस्सा लिया था। इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के ट्रांसपोर्ट और सुखोई-30 विमान भी शामिल हुए थे। वायुसेना के पायलट राफेल लड़ाकू विमान तो फ्रांसीसी वायुसेना के पायलट मिराज 2000 लड़ाकू विमानों को उड़ाएंगे। वायुसेना को उम्मीद है कि सितंबर 2019 तक 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति होने लगेगी। 

इन 36 विमानों को वायुसेना की दो स्क्वॉड्रन में बांटा जाएगा। एक स्क्वॉड्रन को हरियाणा के अंबाला में जबकि दूसरी पश्चिम बंगाल की हाशिमारा में तैनात की जाएगी। कांग्रेस समेत विपक्ष मोदी सरकार पर ज्यादा कीमत में राफेल सौदा करने का आरोप लगा रही है जबकि सरकार करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से लगातार इनकार कर रही है। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को दावा किया कि मोदी सरकार के पास राफेल विमान करार को लेकर उठाए जा रहे सवालों का कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले को कोर्ट ले जाने से पहले पार्टी जरूरी दस्तावेज मिलने का इंतजार करेगी। उन्होंने कहा कि राफेल करार बहुत बड़ा घोटाला है। यह करार विमान खरीद नीति को दरकिनार कर किया गया। रक्षा और विदेश मंत्रियों को भी इस करार के बारे में अंधेरे में रखा गया। 
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