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Gujarat: बीमा के पैसों ने पहुंचाया जेल! मौत का किया गया नाटक, 17 वर्षों बाद आरोपी गिरफ्तार; पढ़िए पूरा मामला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदाबाद
Published by: आदर्श शर्मा
Updated Wed, 08 Nov 2023 08:01 PM IST
सार
गिरफ्तारी के बाद अनिल सिंह चौधरी ने स्वीकार किया कि उसने और उसके पिता ने उसकी मौत का नाटक करके दुर्घटना बीमा राशि हड़पने की योजना बनाई थी। पुलिस ने कहा कि योजना के अनुसार, अनिल सिंह चौधरी ने 2004 में एक दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी ली और फिर एक कार खरीदी। पढ़िए पूरा मामला....
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विस्तार
मौत का नाटक करने के लिए अपने परिवार के सदस्यों की मदद से एक भिखारी की हत्या करने के बाद 17 वर्षों बाद उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति को गुजरात से पुलिस ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने बुधवार को जानकारी देते हुए कहा कि बीमा राशि में 80 लाख रुपये का दावा करने के लिए यह खेल रचा गया था। एक पुलिस विज्ञप्ति में कहा गया है कि एक विशेष सूचना पर कार्रवाई करते हुए अपराध शाखा के अधिकारियों ने अहमदाबाद शहर के निकोल इलाके से उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के भट्टा-पारसौल गांव के मूल निवासी अनिल सिंह, विजयपाल सिंह चौधरी को गिरफ्तार कर लिया।
बता दें 31 जुलाई 2006 को आगरा के रकाबगंज पुलिस स्टेशन ने एक कार चालक, जिसे उसके पिता ने अनिल सिंह चौधरी के रूप में पहचाना था, की एक दुर्घटना के बाद आग में जलने से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। हाल ही में अहमदाबाद अपराध शाखा को अपने सूत्रों से पता चला कि अनिल सिंह चौधरी अभी भी जीवित है और एक नए नाम राजकुमार चौधरी के तहत निकोल क्षेत्र में रह रहा है।
दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी के लिए रची साजिश
गिरफ्तारी के बाद अनिल सिंह चौधरी ने स्वीकार किया कि उसने और उसके पिता ने उसकी मौत का नाटक करके दुर्घटना बीमा राशि हड़पने की योजना बनाई थी। पुलिस ने कहा कि योजना के अनुसार, अनिल सिंह चौधरी ने 2004 में एक दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी ली और फिर एक कार खरीदी। आरोपी अनिल सिंह चौधरी, उनके पिता और भाइयों ने ट्रेनों में भीख मांगने वाले एक भिखारी को भोजन की पेशकश का लालच दिया। वे भिखारी को आगरा के पास एक होटल में ले गए और उसे नशीला पदार्थ मिला हुआ भोजन परोसा। इसके बाद आरोपियों ने बेहोश भिखारी को अपनी कार में फेंक दिया और इसे दुर्घटना की तरह दिखाने के लिए जानबूझकर वाहन को बिजली के खंभे से टकरा दिया। बाद में उन्होंने भिखारी को ड्राइवर की सीट पर बिठाया और यह दिखाने के लिए कार में आग लगा दी कि दुर्घटना के कारण वाहन में आग लग गई।
पिता ने बीमा का पैसा परिवार में बांटा
पुलिस ने कहा विजयपाल सिंह चौधरी ने अपने बेटे की दुर्घटना मृत्यु बीमा में 80 लाख रुपये का दावा किया और परिवार के सदस्यों के बीच राशि वितरित की। विज्ञप्ति में कहा, अनिलसिंह चौधरी 2006 में अहमदाबाद आए और फिर कभी उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गांव वापस नहीं गए। उसने अपना नाम बदलकर राजकुमार चौधरी रख लिया और इसी नाम से ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड भी हासिल कर लिया। पकड़े जाने से बचने के लिए अनिल सिंह चौधरी 17 साल पहले अहमदाबाद आने के बाद न तो अपने पैतृक गांव वापस गया और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को फोन किया।
पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा, आगे की कार्रवाई के लिए उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जाएगा।
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बता दें 31 जुलाई 2006 को आगरा के रकाबगंज पुलिस स्टेशन ने एक कार चालक, जिसे उसके पिता ने अनिल सिंह चौधरी के रूप में पहचाना था, की एक दुर्घटना के बाद आग में जलने से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। हाल ही में अहमदाबाद अपराध शाखा को अपने सूत्रों से पता चला कि अनिल सिंह चौधरी अभी भी जीवित है और एक नए नाम राजकुमार चौधरी के तहत निकोल क्षेत्र में रह रहा है।
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दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी के लिए रची साजिश
गिरफ्तारी के बाद अनिल सिंह चौधरी ने स्वीकार किया कि उसने और उसके पिता ने उसकी मौत का नाटक करके दुर्घटना बीमा राशि हड़पने की योजना बनाई थी। पुलिस ने कहा कि योजना के अनुसार, अनिल सिंह चौधरी ने 2004 में एक दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी ली और फिर एक कार खरीदी। आरोपी अनिल सिंह चौधरी, उनके पिता और भाइयों ने ट्रेनों में भीख मांगने वाले एक भिखारी को भोजन की पेशकश का लालच दिया। वे भिखारी को आगरा के पास एक होटल में ले गए और उसे नशीला पदार्थ मिला हुआ भोजन परोसा। इसके बाद आरोपियों ने बेहोश भिखारी को अपनी कार में फेंक दिया और इसे दुर्घटना की तरह दिखाने के लिए जानबूझकर वाहन को बिजली के खंभे से टकरा दिया। बाद में उन्होंने भिखारी को ड्राइवर की सीट पर बिठाया और यह दिखाने के लिए कार में आग लगा दी कि दुर्घटना के कारण वाहन में आग लग गई।
पिता ने बीमा का पैसा परिवार में बांटा
पुलिस ने कहा विजयपाल सिंह चौधरी ने अपने बेटे की दुर्घटना मृत्यु बीमा में 80 लाख रुपये का दावा किया और परिवार के सदस्यों के बीच राशि वितरित की। विज्ञप्ति में कहा, अनिलसिंह चौधरी 2006 में अहमदाबाद आए और फिर कभी उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गांव वापस नहीं गए। उसने अपना नाम बदलकर राजकुमार चौधरी रख लिया और इसी नाम से ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड भी हासिल कर लिया। पकड़े जाने से बचने के लिए अनिल सिंह चौधरी 17 साल पहले अहमदाबाद आने के बाद न तो अपने पैतृक गांव वापस गया और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को फोन किया।
पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा, आगे की कार्रवाई के लिए उसे उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया जाएगा।