सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   2016: Govt vs judiciary- confrontation at its peak

2016: न्यापालिका बनाम सरकार- टकराव अपने चरम पर 

राजीव सिन्हा/ नई दिल्ली Updated Fri, 30 Dec 2016 04:52 AM IST
विज्ञापन
2016: Govt vs judiciary- confrontation at its peak
विज्ञापन
जजों की नियुक्ति के चलते उपजे कड़वाहट को दूर करना आने वाले वर्ष में न्यायपालिका और कार्यपालिका का मुख्य मकसद होगा। हालांकि टकराव इस कदर बढ़ गया है कि निकट भविष्य में इसके थमने की संभावना कम ही है। जजों की कमी के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का चल रहा सिलसिला पूरे चरम पर है।
Trending Videos


मोदी सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति में हो रही देरी के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। वहीं भारत केप्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर न केवल अदालती कार्यवाही केदौरान बल्कि कई अन्य मंचों पर सरकार को उदासीनता पर नाराजगी जता चुके हैं। प्रधान न्यायाधीश तो इसे लेकर कई बार भावुक भी हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केसाथ साझा कर रहे मंच पर प्रधान न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री से सीधे तौर पर इस संबंध में कुछ करने केलिए कहा।
विज्ञापन
विज्ञापन


चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर तीन जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में न्यायपालिका और कार्यपालिका केरिश्तों में आई कड़वाहट खत्म या कम करने की जिम्मेदारी अगले चीफ जस्टिस जेएस खेहर पर होगी। सरकार का पक्ष है कि दिसंबर, 2015 केबाद सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति केलिए अब तक कोई सिफारिश नहीं आई।

जनवरी से सुप्रीम कोर्ट में 8 जज कम हो जाएंगे

2016: Govt vs judiciary- confrontation at its peak
यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सात जज कम है और दो जनवरी को न्यायमूति टीएस ठाकुर के सेवानिवृत्त होने के बाद यह संख्या आठ हो जाएगी। जाहिर है कि इन नियुक्तिं को भरने के लिए सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को ही पहल करनी है। 

अगले चीफ जस्टिस जेएस खेहड़ केलिए पहली चुनौती इन पदों को जल्द से जल्द भरना होगी। इसके लिए जरूरी है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका एक-दूसरे का सहयोग करें। इतना ही नहीं 24 हाईकोर्ट में 430 रिक्तियां भी भरी जानी है, जो एक बड़ी चुनौती है। इनमें से तो 279 जजों केपद के लिए हाईकोर्ट कोलेजियम से ही सिफारिश नहीं आई है। 

ऐसा नहीं है कि ये रिक्तियां पिछले कुछ वर्षों में हुई हैं बल्कि धीरे-धीरे यह नासूर बनता जा रहा है। भले ही सरकार यह कहकर अपना पीठ थपथपा रही हो कि हमने इस वर्ष विभिन्न हाईकोर्ट में 126 नियुक्तियां की है लेकिन मौजूदा संकट को देखते हुए यह प्रयास नाकाफी है। स्थिति और भी बदतर न हो सरकार और न्यायपालिका को मिलकर काम करने की दरकार है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed