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PM Speech: 25 साल का खाका, करीब 25 बार सामर्थ्य-संकल्प का जिक्र, पीएम मोदी ने किसे बताया सारे-हिसाब से ऊपर?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: विभास साने Updated Mon, 15 Aug 2022 10:55 AM IST
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सार

PM Narendra Modi Independence Day 2022 Speech Analysis: आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन में किसी बड़ी योजना का जिक्र नहीं था, बल्कि पचहत्तर से सौ साल का सफर तय करने से जुड़ी बातें थीं।

76th independence day PM Narendra Modi Speech Analysis red fort planning for next 25 years 25 times says power
76वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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76वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लाल किले की प्राचीर से दिया गया राष्ट्र के नाम संबोधन कई मायनों में अलग रहा। इस बार मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसे बड़े एलान नहीं थे, बल्कि आजादी के पचहत्तर साल से सौ साल तक का सफर यह देश कैसे तय करेगा, इससे जुड़े संकल्पों का जिक्र था। प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से साफ था कि देश जिन दो शब्दों के सहारे अगले 25 साल का सफर तय कर सकता है, वे शब्द हैं- सामर्थ्य और संकल्प। उन्होंने अपने भाषण में करीब-करीब 25 बार सामर्थ्य-संकल्प शब्द का जिक्र किया। पंच प्रणों के बारे में बताया और लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी के नारे को विस्तार दिया। तीन पीड़ाएं भी जाहिर कीं। जानिए, प्रधानमंत्री के भाषण की अहम बातें...

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1. पंडित नेहरू का जिक्र, सावरकर को भी याद किया

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत में रानी लक्ष्मीबाई से लेकर तात्या टोपे और बिरसा मुंडा तक का जिक्र किया। महात्मा गांधी का पुण्य स्मरण किया तो भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को याद किया तो वीर सावरकर और दीनदयाल उपाध्याय का भी नाम लेना नहीं भूले। उन्होंने स्वामी विवेकानंद से लेकर महर्षि अरविंद और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का भी जिक्र किया। 

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2. अगले पच्चीस वर्ष की यात्रा 

प्रधानमंत्री के भाषण में जिन दो शब्दों का सबसे ज्यादा बार उल्लेख हुआ, वे शब्द थे सामर्थ्य और संकल्प। उन्होंने कहा कि इस देश की मिट्टी में इनहेरेंट सामर्थ्य है। बड़े-बड़े सोशल साइंस एक्सपर्ट भी यह कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक तिरंगे ने पिछले दिनों कैसे देश के अंदर के मौजूद इतने बड़े सामर्थ्य को इस तरह दिखा दिया है। भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य और विश्वास के साथ आगे आ रही है। 

3. शास्त्रीजी, अटलजी के नारे में एक और शब्द जोड़ा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम बार-बार शास्त्री जी को याद करते हैं। जय जवान-जय किसान का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जय विज्ञान कहकर उस नारे में एक कड़ी जोड़ दी और देश ने उसे प्राथमिकता भी दी। अब अमृतकाल के लिए एक और अनिवार्यता है। जय अनुसंधान। यानी इनोवेशन। मुझे देश की युवा पीढ़ी पर भरोसा है। आज यूपीआई-भीम इसका उदाहरण है। विश्व में रियल टाइम डिजिटल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का 40 फीसदी भारत में होता है।  

4. तीन पीड़ाएं भी जाहिर कीं

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से तीन पीड़ाएं जाहिर कीं। ये पीड़ाएं थीं महिलाओं का सम्मान नहीं होना, भ्रष्टाचार बढ़ना और भाई-भतीजावाद होना। प्रधानमंत्री यह कहते हुए भावुक हो गए कि यह शायद लाल किले का विषय नहीं है, लेकिन मेरे भीतर का दर्द मैं कहां कहूंगा? देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा? किसी न किसी कारण से हमारे अंदर हमारे बोलचाल, व्यवहार और शब्दों में एक ऐसी विकृति आई है कि हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं? नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है। यह सामर्थ्य मैं देख रहा हूं और इसलिए मैं इस बात का आग्रही हूं।   

उन्होंने कहा कि इस पच्चीस साल के अमृतकाल में अगर हम समय रहते नहीं चेते तो दो विकृतियां विकराल रूप ले लेंगी। एक है- भ्रष्टाचार। दूसरी है- भाई-भतीजावाद। भारत जैसे लोकतंत्र में, जहां लोग गरीबी से जूझ रहे हैं, वहां हम एक तरफ देखते हैं कि लोगों के पास रहने की जगह नहीं है, दूसरी तरफ वे लोग हैं, जिनके पास चोरी किया हुआ माल रखने की जगह नहीं है। भाई-भतीजावाद भी सिर्फ राजनीति के क्षेत्र में नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी एक समस्या बना हुआ है।

5. अगले 25 वर्ष के लिए पंच प्रण

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला प्रण है कि अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा। यह बड़ा संकल्प है- विकसित भारत, उससे कुछ कम नहीं। दूसरा प्रण है कि किसी भी कोने में हमारे मन और आदतों के भीतर गुलामी का एक भी अंश अब भी मौजूद है तो उसे किसी भी हाल में रहने नहीं देना है। तीसरा प्रण है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। इसी विरासत ने हमें स्वर्णकाल दिया, इसी विरासत ने समयानुकूल हमें बदलाव के लिए प्रेरित किया। इसलिए इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह है- एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में एकता हो, न कोई अपना, न कोई पराया। पांचवां प्रण है कि नागरिकों का कर्तव्य, जिससे प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता। 

6. महिलाएं सबसे बड़ी ताकत, इनका योगदान सारे हिसाब-किताब से ऊपर

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में तीन मौकों पर महिला सशक्तीकरण की बात कही। उन्होंने कहा कि घर में भी एकता की नींव तभी रखी जाती है, जब बेटा-बेटी एकसमान हों। लैंगिक समानता एकता की पहली सीढ़ी है। जब भी पारिवारिक तनाव की बात होती है तो भारत की पारिवारिक व्यवस्था की याद आती है। संयुक्त परिवार की पूंजी हमारी माताओं-बहनों के त्याग के कारण बनी हुई है। यह हमारी विरासत है। 

उन्होंने कहा कि भारत की नारी शक्ति एक नए सामर्थ्य और विश्वास के साथ आगे आ रही है। आने वाले 25 साल में कई गुना योगदान मैं नारी शक्ति, माताओं-बहनों का देख रहा हूं। यह सारे हिसाब-किताब से ऊपर और सारे मानदंडों से अतिरिक्त है। हम इस पर जितना ध्यान देंगे, जितने अवसर बेटियों को देंगे, वे हमें बहुत कुछ लौटाकर देंगी। वे देश को ऊंचाई पर ले जाएंगी। इस अमृतकाल में जो सपने पूरे करने में मेहनत लगने वाली है, उसमें नारी शक्ति जुड़ जाएगी तो मेहनत कम होगी और समय सीमा कम हो जाएगी।  

7. तिरंगा साफा

यह नौवां मौका था, जब प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया। हर मौके पर प्रधानमंत्री के साफे का रंग बदलता रहा। इस बार उन्होंने तिरंगे की धारियों वाला साफा पहना था। यह पीछे की ओर से लंबा था। पिछली बार वह केसरिया साफे में नजर आए थे। इससे पहले वह इस मौके पर पीले, गुलाबी और सुनहरे रंग के साफे भी पहन चुके हैं।

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