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एसोसिएट एडिटर। खाते में 22 बरस का तजुर्बा। कुछ प्रिंट में, कुछ न्यूज़ एजेंसी में। सबसे लंबा पड़ाव डिजिटल में। पत्रकारिता का जुनून। कुछ रगों में, उससे भी ज़्यादा डीएनए में। मातृ भाषा हिंदी नहीं, लेकिन पहला प्यार हिंदी से ही। ख़बर बनाने-बताने और किस्सागोई के अंदाज़ में बुनने का शौक़। शुरुआत रिपोर्टिंग से हुई। राजनीति, आरटीआई, पर्यावरण जैसी बीट पर काम किया। संसद भी कवर की। देवी अहिल्या की नगरी इंदौर में जन्म। मन तो लगा था मौसीक़ी और नज़्मों में, पर हुए एमबीए, वह भी मार्केटिंग में। लेकिन कलम आकर ... ...और पढ़ें
एसोसिएट एडिटर। खाते में 22 बरस का तजुर्बा। कुछ प्रिंट में, कुछ न्यूज़ एजेंसी में। सबसे लंबा पड़ाव डिजिटल में। पत्रकारिता का जुनून। कुछ रगों में, उससे भी ज़्यादा डीएनए में। मातृ भाषा हिंदी नहीं, लेकिन पहला प्यार हिंदी से ही। ख़बर बनाने-बताने और किस्सागोई के अंदाज़ में बुनने का शौक़। शुरुआत रिपोर्टिंग से हुई। राजनीति, आरटीआई, पर्यावरण जैसी बीट पर काम किया। संसद भी कवर की। देवी अहिल्या की नगरी इंदौर में जन्म। मन तो लगा था मौसीक़ी और नज़्मों में, पर हुए एमबीए, वह भी मार्केटिंग में। लेकिन कलम आकर चली जर्नलिज़्म में। राजनीतिक-सामरिक महत्व की ख़बरों, ग्राफिक्स और AI में दिलचस्पी। मराठा साम्राज्य के इतिहास में रुचि। शिवाजी सावंत के उपन्यास और गुलज़ार के रूहानी लफ़्ज़ जितने पसंद, उतने ही रास आते हैं पाश और दुष्यंत।
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