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8thCPC: 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तें-OPS बहाली सहित इन मुद्दों पर होगा टकराव, 16 दिसंबर के लिए सरकार अलर्ट

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Thu, 04 Dec 2025 12:56 PM IST
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8th CPC Pay Commission Old Pension Scheme and reference points agenda setting Union Government preparation new
8वां वेतन आयोग - फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय कर्मचारी संगठन, 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' ने आठवें वेतन आयोग की 'संदर्भ की शर्तों' (टीओआर) में बदलाव की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाई थी। वहां से कोई सार्थक जवाब नहीं मिला। नतीजा, अब कॉन्फेडरेशन ने 8वें वेतन आयोग की 'संदर्भ शर्तों' में बदलाव व ओपीएस बहाली सहित कई मुद्दों पर संघर्ष का ऐलान कर दिया है। '16 दिसंबर' को लेकर सरकार अलर्ट है। वजह, इस दिन कॉन्फेडरेशन से जुड़े सभी कर्मचारी, अपनी मांगों को लेकर सभी कार्य स्थलों पर दोपहर के भोजन के समय विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद सभी कार्य स्थलों से एक प्रस्ताव, केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।   
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'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' के महासचिव एसबी यादव ने बताया, इस विरोध प्रदर्शन की तिथि और कर्मचारियों की मांगों को लेकर, तीन दिसंबर को एक पत्र भेजकर केंद्र सरकार को सूचित कर दिया गया है। यह पत्र कैबिनेट सचिव के अलावा वित्त सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव और पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के सचिव (पेंशन) को भी प्रेषित किया गया है। पत्र में जिन मांगों का जिक्र हुआ है, उनमें कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन में संशोधन और अन्य मुद्दों पर परिसंघ और कर्मचारी पक्ष की राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम द्वारा दिए गए सुझावों/विचारों को शामिल करके 8वें वेतन आयोग के विचारार्थ विषयों को संशोधित किया जाए। केंद्र सरकार, मूल वेतन/पेंशन के साथ 50% डीए/डीआर का विलय करें। एक जनवरी 2026 से अंतरिम राहत (आईआर) के रूप में वेतन/पेंशन का 20% प्रदान किया जाए। 
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एनपीएस/यूपीएस को समाप्त कर, सभी कर्मचारियों के लिए ओपीएस बहाल की जाए। पेंशनभोगियों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, संभवतः सेवानिवृत्ति की तिथि और केंद्रीय वेतन आयोग की स्वीकृत सिफारिशों जैसे कारकों के आधार पर। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कोविड महामारी के दौरान रोके गए डीए/डीएआर की तीन किश्तें (18 महीने) जारी की जाएं। सरकार, कर्मियों की पेंशन के कम्यूटेड हिस्से को 15 साल के बजाय 11 साल बाद बहाल करे। अनुकंपा नियुक्ति पर लगाई गई 5% की सीमा हटाई जाए। 

सभी मामलों में मृतक कर्मचारी/उसके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की जाए। सभी विभागों में सभी संवर्गों के रिक्त पदों को भरा जाए। सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग और निगमीकरण बंद हो। तंत्र, जेसीएम के अनुसार संघों/महासंघों के लोकतांत्रिक कामकाज को सुनिश्चित किया जाए। सरकार, लंबित संघों/महासंघों को मान्यता प्रदान करे। एआईपीईयू ग्रेड-सी यूनियन, एनएफपीई और आईएसआरओएसए की मान्यता रद्द करने के आदेश वापस लिए जाएं। सेवा संघों/महासंघों पर नियम 15 1 (C) को लागू करना बंद किया जाए। संघ पदाधिकारियों का प्रतिशोधात्मक उत्पीड़न बंद हो। सीए संदर्भ संख्या 3/2001 के मामले में, जेसीएम के अंतर्गत मध्यस्थता बोर्ड द्वारा दिए गए निर्णयों का तत्काल कार्यान्वयन हो, जिस पर आम सहमति बन गई है। आकस्मिक, संविदा श्रमिकों और जीडीएस कर्मचारियों को नियमित किया जाए और स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान दर्जा दिया जाए। 
 

इससे पहले कॉन्फेडरेशन ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगाई थी। कॉन्फेडरेशन का कहना था कि 'पेंशनभोगियों' और उनके परिवारों के लिए पेंशन संशोधन को आयोग में शामिल किया जाए। विभिन्न पेंशन योजनाओं के अंतर्गत पेंशन एवं पेंशन लाभों में संशोधन और संदर्भ शर्तों (टीओआर) से गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की 'अवित्तपोषित लागत' शब्दावली को टीओआर से हटाना, यह बात भी कर्मचारियों की मांग का हिस्सा है। अनफंडेड स्कीम/पुरानी पेंशन पर भी 'कॉन्फेडरेशन' ने महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग की है। केंद्र सरकार के कर्मचारी एवं श्रमिक परिसंघ, जो डाक, आयकर, लेखा परीक्षा, सर्वेक्षण, केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, जनगणना, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, इसरो आदि 130 विभागों के 8 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है, ने टीओआर में संशोधन की मांग की थी। 

8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के प्रभावी होने की तिथि, संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में ऐसी किसी भी तिथि का कोई उल्लेख नहीं है। यह एक स्थापित तथ्य है कि केंद्र सरकार के कर्मियों के वेतन, भत्ते और पेंशन लाभों का संशोधन 10 वर्षों में एक बार होगा। चौथा वेतन आयोग 01.01.1986, पांचवां वेतन आयोग 01.01.1996, छठा वेतन आयोग 01.01.2006 और सातवां वेतन आयोग 01.01.2016 से लागू हुआ है। इसके मद्देनजर, यह स्वतः और न्यायोचित है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को भी 01.01.2026 से लागू किया जाना चाहिए। इसे 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल किया जाए। विभिन्न पेंशन योजनाओं के अंतर्गत पेंशन व पेंशन लाभों में संशोधन और संदर्भ शर्तों (टीओआर) से "गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत" शब्दावली को हटाया जाए। ये बातें भी पीएम मोदी को लिखे गए पत्र का हिस्सा हैं। 

8वें केंद्रीय वेतन आयोग के संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में पुरानी पेंशन योजना, एकीकृत पेंशन योजना और राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत कवर किए गए पारिवारिक पेंशनरों सहित मौजूदा 69 लाख पेंशनरों के पेंशन में संशोधन, पेंशन में समानता या पेंशन के कम्यूटेशन की बहाली की अवधि सहित उनके अन्य पेंशन लाभ आदि के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। 'कॉन्फेडरेशन' ने अपने पत्र में पीएम मोदी से आग्रह किया था कि इन बातों को संदर्भ की शर्तों में शामिल किया जाए। उन सिद्धांतों की जांच हो, जो पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की संरचना को नियंत्रित करते हैं। इसमें पेंशन में संशोधन, पेंशन में समानता, जैसी बातें भी शामिल हैं। किसी भी तारीख को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के मामले में यानी जो 1/1/2026 से पहले या 1/1/2026 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। 

कर्मचारियों की चिंता टीओआर के पैरा (ई) (ii) में “गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अनफंडेड लागत” वाक्यांश के उपयोग से उत्पन्न होती है, जो न तो पेंशनभोगियों का उल्लेख करता है और न ही आयोग के दायरे में उनके अधिकारों और हितों को मान्यता देता है। 'कॉन्फेडरेशन' के मुताबिक,  यह शब्दावली अनुपयुक्त है, क्योंकि यह संवैधानिक और न्यायिक रूप से संरक्षित पेंशन अधिकारों को राजकोषीय देनदारियों के बराबर मानती है और सभी पिछले वेतन आयोगों में सरकार द्वारा अपनाए गए मानवीय, कल्याण-उन्मुख दृष्टिकोण से हटाती है। मौजूदा पेंशनभोगी, टीओआर को नकारात्मक मानते हैं और आशंका जताते हैं कि सरकार 8वें सीपीसी को परोक्ष रूप से 'सभी अनफंडेड व्यय' को हटाने के लिए अनिवार्य तौर पर काम कर रही है। यह मानते हुए कि उनके वेतन के एक हिस्से के रूप में योगदान, अकेले इस तरह के 'वित्त पोषण' का निर्माण कर सकता है। यह उन सरकारी कर्मियों की मेहनत की अनदेखी है, जिन्होंने अपने लंबे सेवा करियर के दौरान समाज और राष्ट्र के लिए बहुमूल्य 'योगदान' दिया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि सांसदों, विधायकों, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, या अन्य संवैधानिक पदाधिकारियों की पेंशन के संदर्भ में ऐसी कोई शब्दावली (अनफंडेड स्कीम) का उपयोग कभी नहीं किया गया है। हालांकि उनकी पेंशन भी गैर-अंशदायी है और भारत के समेकित कोष से ली जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इसकी बार-बार पुष्टि की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि: "पेंशन नियोक्ता की इच्छा पर भुगतान किया जाने वाला इनाम नहीं है। नियोक्ता धन की कमी का बहाना करके जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है।

विजय कुमार बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि पेंशन अनुच्छेद 300 ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने डीएस नाकरा मामले में कहा कि, "पेंशन एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है जो उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करता है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के लिए इस आश्वासन के साथ अथक परिश्रम किया कि बुढ़ापे में उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा"। सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार, विशेष रूप से देवकीनंदन प्रसाद बनाम बिहार राज्य 197 में, इस बात की पुष्टि की है कि पेंशन एक संपत्ति अधिकार है और इसे विधि के प्राधिकार के बिना वापस नहीं लिया जा सकता। पेंशन एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है जो कर्मचारियों को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करता है।

यह आश्वासन देता है कि बुढ़ापे में उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा, जिससे यह एक संवैधानिक दायित्व बन जाता है। एक आदर्श नियोक्ता के रूप में, भारत सरकार का अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की गरिमा और कल्याण को बनाए रखना नैतिक और कानूनी दायित्व है। यह समझना ज़रूरी है कि जब पेंशन वैध हो और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसकी पुष्टि की गई हो, तो "पेंशनभोगी" शब्द को विषय-वस्तु की सूची से हटाना असंगत है। ऐसे में 'गैर-अंशदायी पेंशन योजना की अवित्तपोषित लागत' केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों पर लागू नहीं होती, क्योंकि केंद्र सरकार एक आदर्श नियोक्ता है। 

कॉन्फेडरेशन ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की थी कि उन कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली हो, जिनकी भर्ती 1/4/2004 के बाद हुई थी, जिनकी संख्या 26 लाख है और जो एनपीएस या यूपीएस के अंतर्गत आते हैं। केंद्र सरकार के कर्मचारी एनपीएस और यूपीएस को बदलकर सीसीएस पेंशन नियम 1972 (अब 2021) के तहत पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की जोरदार मांग कर रहे हैं। मुश्किल से लगभग एक लाख कर्मचारी, एनपीएस से यूपीएस पेंशन योजना में शिफ्ट हुए हैं। कर्मचारियों ने एकीकृत पेंशन योजना पर असंतोष व्यक्त किया है। वे सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को ही पसंद करते हैं। हालांकि, 8वें सीपीसी के संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में इसे शामिल नहीं किया गया है।

8वें केंद्रीय वेतन आयोग के लाभ भारत सरकार द्वारा केंद्रीय वित्तपोषित स्वायत्त और वैधानिक निकायों व ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) को भी प्रदान किए जाएंगे, जो डाक विभाग की रीढ़ हैं। यह मांग भी संदर्भ शर्तों में  शामिल की जाए। 8वें वेतन आयोग के गठन और उसके कार्यान्वयन में हो रही देरी के कारण तत्काल प्रभाव से 20% अंतरिम राहत प्रदान करने का अनुरोध किया गया है। इसके चलते आयोग के कार्यान्वयन में देरी और मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति से होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की जा सकती है। लगभग 1.2 करोड़ केंद्र सरकार के कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ेगा, जो सरकारी तंत्र को चलाते हैं। इसके बाद वे विकासात्मक गतिविधियों में अधिक उत्साह से भाग ले सकेंगे। 

आयोग, केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए स्वास्थ्य योजना की समीक्षा करेगा। उसमें बदलाव की सिफारिश करेगा ताकि भारत सरकार के स्वायत्त और वैधानिक निकायों में कार्यरत सभी कर्मचारी इसके दायरे में आ सकें। जिला मुख्यालयों पर अधिक सीजीएचएस वेलनेस सेंटर खोलने और कर्मचारियों व पेंशनभोगियों के लिए कैशलेस और परेशानी मुक्त चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करना, यह बात भी आयोग की संदर्भ शर्तों में शामिल हो। आयोग, संसद की स्थायी समिति की सीजीएचएस संबंधी सिफारिशों के अनुसार, कर्मचारियों व पेंशनभोगियों के लिए सीजीएचएस योजना में बदलावों का सुझाव देगा। 
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