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केरल: पालतू जानवरों को रोकने के आरडब्ल्यूए के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर
एजेंसी, कोच्चि
Published by: Kuldeep Singh
Updated Mon, 19 Jul 2021 04:42 AM IST
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सार
- अधिवक्ताओं के एस हरिहरपुत्रन और भानु थिलक के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, पीएफए ने कहा कि उसे राज्य भर में विभिन्न अपार्टमेंट एसोसिएशन, हाउसिंग सोसाइटी और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ पालतू जानवरों के मालिकों/पालतू माता-पिता से काफी शिकायतें मिली हैं।

केरल हाईकोर्ट

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विस्तार
केरल के कई बहुमंजिले इमारतों और सोसाइटी अपार्टमेंटस में निवासियों को अपने घरों में पालतू जानवर रखने पर हाउसिंग सोसायटी, अपार्टमेंट एसोसिएशन और आरडब्ल्यूए ने रोक लगा रखी है।
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हाउसिंग सोसायटी, अपार्टमेंट एसोसिएशन और आरडब्ल्यूए के इस फैसले को केरल उच्च न्यायालय में एक पशु कल्याण संगठन द्वारा चुनौती दी गई है। पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) द्वारा दायर जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि पालतू जानवरों पर प्रतिबंध लगाना अवैध, मनमाना और अनुचित है।
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याचिका में यह भी कहा गया कि ‘ऐसे संघ उप-नियमों को नहीं बना सकते हैं या देश के कानून के साथ अलग तरीके से संशोधन नहीं कर सकते हैं, यहां तक कि आम सहमति या पूर्ण बहुमत से भी।’
अधिवक्ताओं के एस हरिहरपुत्रन और भानु थिलक के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, पीएफए ने कहा कि उसे राज्य भर में विभिन्न अपार्टमेंट एसोसिएशन, हाउसिंग सोसाइटी और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ पालतू जानवरों के मालिकों/पालतू माता-पिता से काफी शिकायतें मिली हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘ऐसी एसोसिएशनों से पालतू जानवरों के मालिकों/पालतू जानवरों के माता-पिता को नोटिस और नोटिस दिए जाने की भी शिकायतें मिली हैं, जिसमें उन्हें अपने पालतू जानवरों को छोड़ने के लिए कहा गया है।’ पीएफए ने आगे तर्क दिया कि जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960 के तहत, ‘बिना किसी उचित कारण के पालतू जानवर को छोड़ना अपराध है और किसी भी परिस्थिति में यह संभावना है कि पालतू को भूख या प्यास के कारण दर्द होगा।’
याचिकाकर्ता संगठन ने कहा कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने 2015 में दिशा-निर्देश जारी किए जो पालतू जानवरों के मालिकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं कि उनके पालतू जानवर दूसरों के लिए परेशानी का कारण न बनें, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी स्रोत से किसी भी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए।
पालतू जानवरों का परित्याग करना और ऐसा करना कानून का उल्लंघन है। याचिका में सभी अपार्टमेंट एसोसिएशनों, आरडब्ल्यूए और हाउसिंग सोसाइटियों को 2015 के एडब्ल्यूबीआई दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश देने की मांग की गई है। यह पालतू जानवरों को रखने पर प्रतिबंध के मुद्दों को हल करने के लिए स्थानीय स्व-सरकारी निकायों को निर्देश देने की भी मांग करता है।