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MiG-21: पाकिस्तान के एफ-16 को ढेर करने वाले अभिनंदन की 'स्वॉर्ड आर्म्स' होगी रिटायर, जानें इसके बारे में सबकुछ

स्पेशल डेस्क, नई दिल्ली Published by: जयदेव सिंह Updated Wed, 21 Sep 2022 11:34 AM IST
सार

मिग-21 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रंस क्यों रिटायर हो रहीं है? इस ‘स्वॉर्ड आर्म्स’ का क्या इतिहास है? मिग-21 कब से भारतीय सेना का हिस्सा हैं? अब तक क्यों सेना का हिस्सा बने हुए हैं? आइये जानते हैं…

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Abhinandan Varthaman’s MiG-21 squadron retire  All you need to know
MIG-21 - फोटो : Social Media
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विस्तार
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भारतीय वायु सेना अपने श्रीनगर स्थित मिग -21 स्क्वाड्रन 'स्वॉर्ड आर्म्स' को रिटायर करने वाली है। ‘स्वॉर्ड आर्म्स’ देश में मिग-21 की बची चार स्क्वाड्रंस में से एक है। इसी स्क्वाड्रन के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने फरवरी 2019 में पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया था।  

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मिग-21 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रंस क्यों रिटायर हो रहीं है? इस ‘स्वॉर्ड आर्म्स’ का क्या इतिहास है? मिग-21 कब से भारतीय सेना का हिस्सा हैं? ये अब तक क्यों सेना का हिस्सा बने हुए हैं? आइये जानते हैं…

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मिग-21 लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रंस क्यों रिटायर हो रहीं है?

रक्षा सूत्रों ने कहा कि इस स्क्वाड्रन को सितंबर के अंत तक सेवानिवृत्त किया जाना है। बीते कई वर्षों से मिग-21 हादसों का शिकार होता रहा है। इन हादसों में कई पायलटों की मौत हो चुकी है। इस तरह की बढ़ती घटनाओं और पुराने होते मिग-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त किया जा रहा है। इसी कड़ी में ये सेवानिवृत्ति हो रही है। इसके बाद मिग-21 के तीन और स्क्वाड्रंस सेवानिवृत्त होने हैं। मिग-21 के बाकी तीन स्क्वाड्रनों को 2025 तक चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। 

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अभिनंदन वर्धमान वीर चक्र से सम्मानित हो चुके हैं। - फोटो : पीटीआई

 इस ‘स्वॉर्ड आर्म्स’ का क्या इतिहास है?

नंबर 51 स्क्वाड्रन या 'स्वॉर्ड आर्म्स' भारतीय वायुसेना के शानदार स्क्वाड्रनों में से एक है। 1999 में ऑपरेशन सफेद सागर (कारगिल संघर्ष) के दौरान इस स्क्वाड्रन ने भाग लिया था। इसे प्रभावी योगदान के लिए एक वायु सेना पदक और तीन मेंशन-इन-डिस्पैच से सम्मानित किया गया था। ऑपरेशन पराक्रम के दौरान स्क्वाड्रन को कश्मीर घाटी की वायु रक्षा का काम सौंपा गया था। इसे 1985 में चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था। स्क्वाड्रन की शिखा तलवार से जकड़े हुए मांसपेशियों वाले हथियारों की एक जोड़ी को चित्रित करती है, जो "विजय प्रक्रम" के आदर्श वाक्य को दर्शाती है, जिसका अर्थ है 'विजय के लिए वीरता'।

26 फरवरी, 2019 को बालाकोट में भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी की थी। पाकिस्तान ने 27 फरवरी को जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (अब ग्रुप कैप्टन) एक हवाई हमले को विफल करने के लिए ऊंची उड़ान पर थे और पाकिस्तानी जेट के साथ हवाई लड़ाई में लगे हुए थे। अपने मिग -21 बाइसन जेट से उन्होंने पाकिस्तान के F-16 फाइटर को मार गिराया था। उन्हें 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर भारत के तीसरे सबसे बड़े युद्धकालीन वीरता पदक वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

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मिग 21 - फोटो : IAF

मिग-21 कब से भारतीय सेना का हिस्सा हैं? 

मिग-21 जेट को करीब छह दशक पहले भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। अब तक करीब 400 मिग क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में 200 से ज्यादा पायलट और करीब 60 आम लोगों की जान जा चुकी है। मिग भारतीय वायुसेना की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले फाइटर जेट हैं।  

 मिग-21 भारत में सबसे ज्यादा समय तक सेवाएं देने वाला फाइटर जेट है। भारत को 1963 में पहली बार सिंगल इंजन मिग-21 मिले थे। तब से अब तक इस रूसी फाइटर जेट के 874 वेरिएंट के जरिए इनकी क्षमता बढ़ाई गई है। देश में सेवारत 60 फीसदी से ज्यादा मिग-21 भारत में हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने बनाए हैं। हालांकि, करीब आधे मिग-21 क्रैश हो चुके हैं जिनमें 200 से ज्यादा पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं। सन 2000 में भारतीय मिग -21 को नए सेंसर और हथियारों के साथ अपग्रेड किया गया। 2000 में अपग्रेड किए गए मिग-21 से ही विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने 2019 में पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था।

क्यों  आती हैं मिग-21 के क्रैश होने की खबरें?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारतीय वायुसेना में मिग-21 लड़ाकू विमानों की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। विमानों की ज्यादा संख्या, उनका ज्यादा इस्तेमाल और लंबे समय से सेना में इनकी भागीदारी इन विमानों के हादसे का ज्यादा शिकार होने का बड़ा कारण है। 

इतने लंबे समय तक इन विमानों को सेना में क्यों रखा गया? 

नए विमानों को सेना में शामिल होने में हुई देरी की वजह से भारतीय वायुसेना को मिग-21 का लंबे समय तक इस्तेमाल करना पड़ा। तेजस विमान हों या राफेल इन सभी के सेना में शामिल होने में हुई देरी ने मिग-21 का सेवाकाल बढ़ाया। अगर सबकुछ सही समय पर होता तो मिग-21 को 1990 के दशक में ही रिटायर हो जाना था।  

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मिग 21 - फोटो : Social Media

भारतीय वायुसेना की मौजूदा लड़ाकू ताकत कितनी है? 

भारतीय वायुसेना के पास 42 फाइटर स्क्वाड्रन की अधिकृत ताकत है। इस वक्त वायुसेना के पास तय स्क्वाड्रन से 10 कम यानी 32 फाइटर स्क्वाड्रन ही हैं। मिग-21 के नंबर 51 स्क्वाड्रन के रिटायर होने के बाद ये घटकर 31 रह जाएगी। 

अभी सुखोई-30 के 12, जगुआर से छह, मिग-21 चार, मिराज-2000 के तीन, मिग-29 के तीन, एलसीए के दो और राफेल के दो स्क्वाड्रन हैं। इस दशक के अंत तक मिग-29 और जगुआर जैसे फाइटर सेना से रिटायर हो जाएंगे।  

लड़ाकू विमानों की ताकत बढ़ाने का रोडमैप क्या है?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि वायुसेना के लिए अधिकृत 42 स्क्वाड्रन की सीमा तक जल्दी पहुंचना मुश्किल है। हालांकि, स्वदेशी विमानों और राफेल के आने से ये अंतर जरूर कम होगा। पिछले साल वायुसेना प्रमुख ने कहा था कि अगले दस साल में उसके पास लड़ाकू विमानों के 35 स्क्वाड्रन होंगे। 

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