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येदियुरप्पा के परिजनों को सलाह, सरकार के मामलों से दूर रहें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: शिल्पा ठाकुर
Updated Sun, 28 Jul 2019 10:52 AM IST
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बीएस येदियुरप्पा
- फोटो : File Photo
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से एक सवाल लोगों के जहन में उठ रहा है। वह सवाल ये है कि क्या अब उनका दो बेटों और तीन बेटियों वाला परिवार भी राज करेगा? येदियुरप्पा के बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र का कहना है कि वह शिवमोगा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान देंगे।
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वहीं येदियुरप्पा की बड़ी बेटी उमादेवी का कहना है कि वह अपने पिता के राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहतीं। येदियुरप्पा के एक अन्य बेटे वीजेंद्र ने हालांकि कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार को हटाने के लिए सीन के पीछे काम किया है लेकिन उन्हें पार्टी के बड़े नेताओं ने सलाह दी है कि वह ऐसा कुछ ना करें जिससे उनके पिता और पार्टी मुसीबत में फंस जाएं। येदियुरप्पा की अन्य दो बेटी पदमावती, अरुणादेवी हैं।
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के कर्नाटक जनरल सेक्रेटरी पी मुरलीधर राओ का कहना है, "वर्तमान स्थिति पहले की तरह नहीं है। भाजपा और नेता दोनों में बदलाव आया है और पार्टी की संख्या भी बढ़ी है। परिवार के सदस्यों को बढ़ने नहीं दिया जाएगा।" उन्होंने आगे कहा, "अगर कोई विवादों में फंस जाता है, तो उसका पार्टी में अच्छा भविष्य नहीं रहेगा। हम उम्मीद करते हैं कर्नाटक में नेताओं के परिवारों सहित ये संदेश सभी तक पहुंचे।" येदियुरप्पा के बच्चे अपने जीवनसाथी के साथ उनके शपथ ग्रहण में भी शामिल हुए थे।
राघवेंद्र का कहना है, "भाजपा सांसद होने के नाते मैं खुश हूं कि हमारी पार्टी सत्ता में आई।" इससे पहले जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे तब उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल उनकी बेटी उमादेवी संभालती थीं। उनका कहना है, "पहले मैं उनकी यात्रा व्यवस्था और अन्य चीजों को देखती थी। उस समय सोशल मीडिया अधिक सक्रिय नहीं था, तो मैंने इसे शुरू किया था। अब इसे भाजपा कार्यालय संभालता है। मैं अपनी बीपीओ कंपनी की देखभाल करना पसंद करती हूं, मेरे पिता के राजनीतिक मामलों में मेरी भागीदारी नहीं होगी।"
मुख्यमंत्री की विश्वासपात्र माने जाने वाली उदुपी-चिक्कामगलुरू से सांसद शोभा करंदलाजे का कहना है, "येदियुरप्पा एक बड़े नेता हैं और वह कभी किसी पर दबाव नहीं बनाते। तो इधर हस्तक्षेप का कोई सवाल ही नहीं है।"
बता दें येदियुरप्पा ऐसे पहले नेता नहीं हैं जो राजनीति में परिवार के हस्तक्षेप को लेकर जाने जाते हैं। बल्कि सिद्दारमैया, जिनका मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल कम विवादों वाला रहा लेकिन उनके परिवार का भी हस्तक्षेप के तौर पर नाम लिया जाने लगा था। खासतौर पर जब उनके बड़े बेटे यथींद्र एस को मैसुरु में हुई औपचारिक बैठक में शिरकत करने की मंजूरी मिल गई थी। हालांकि भाईभतीजावाज का मुद्दा पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के कार्यकाल में भी उठा था। उनकी पार्टी के कई विधायकों और नेताओं ने उनके परिवार पर आरोप लगाए थे, खासतौर पर उनके भाई एचडी रेवेन्ना पर कि वह प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं।