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Afghanistan FM India Visit: भारत पहुंचे अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी, जयशंकर और अजीत डोभाल से करेंगे मुलाकात
न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Thu, 09 Oct 2025 11:31 AM IST
सार
Afghanistan FM India Visit: तालिबान शासन के बाद पहली बार अफगान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी भारत दौरे पर आए हैं। छह दिवसीय यात्रा के दौरान वे विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे। यह भारत-तालिबान संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी का स्वागत करते विदेश मंत्रालय के अधिकारी
- फोटो : एक्स@ANI
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विस्तार
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी गुरुवार को अपने छह दिनों के भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद ये पहली बार है कि कोई अफगान विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया है। इस दौरान मुत्ताकी विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ वे अहम बैठकें करेंगे।
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दरअसल, मुत्ताकी को पहले पिछले महीने भारत आना था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की तरफ से लगाए गए यात्रा प्रतिबंध के कारण दौरा रद्द करना पड़ा था। हालांकि, यूएनएससी ने बीते 30 सितंबर को मुत्ताकी को नौ से 16 अक्तूबर तक भारत यात्रा के लिए अस्थायी छूट दे दी, जिसके बाद उनका भारत दौरा संभव हुआ।
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विदेश मंत्रालय ने किया स्वागत
मुत्ताकी के भारत पहुंचने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर उनका स्वागत किया। जायसवाल ने अपने पोस्ट में कहा कि नई दिल्ली पहुंचने पर अफगान विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी का हार्दिक स्वागत। हम द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा की उम्मीद कर रहे हैं। मुत्ताकी अपने दौरे के दौरान दारुल उलूम देवबंद और आगरा के ताजमहल का भी दौरा करेंगे।
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समझिए मुत्ताकी की भारत यात्रा कितना जरूरी?
बता दें कि अफगान विदेश मंत्री का ये भारत दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है। कारण है कि यह यात्रा भारत और तालिबान शासन के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ सकती है। भारत ने अब तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है और बार-बार अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने की अपील की है। साथ ही भारत यह भी दोहराता रहा है कि अफगान भूमि का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए।
इससे पहले 15 मई को विदेश मंत्री जयशंकर और मुत्ताकी के बीच फोन पर बातचीत भी हुई थी, जो तालिबान शासन के बाद भारत और अफगानिस्तान के बीच सबसे उच्च स्तरीय संपर्क माना गया। जनवरी में तालिबान सरकार ने भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति बताया था, जब मुत्ताकी और भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बीच बातचीत हुई थी।
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भारत से क्या चाहता है तालिबान?
गौरतलब है कि भारत ने वर्षों तक अफगानिस्तान में सड़कें, स्कूल, अस्पताल और संसद भवन बनाकर विकास कार्य किए हैं। ऐसे में अफगानिस्तान में तालिबान के 2021 में सत्ता में आने के बाद भारत ने शुरुआत में उससे दूरी बनाई, लेकिन कुछ समय बाद बातचीत शुरू हो गई। जून, 2022 में भारत ने काबुल में एक तकनीकी मिशन खोला। इस साल जनवरी में विदेश सचिव विक्रम ने दुबई में मुत्ताकी से मुलाकात की।
इसके बाद मई में पहलगाम हमले के बाद जयशंकर ने मुत्ताकी से फोन पर बात की। धीरे-धीरे ही सही लेकिन अफगानिस्तान के साथ संबंधों का दायरा बढ़ा है। हालांकि भारत ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। ऐसे में मुत्ताकी चाहते हैं कि भारत समेत अन्य देश उनकी सरकार को जल्द मान्यता दें। हालांकि भारत के लिए यह बड़ा फैसला लेना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है, लेकिन भारत मुत्ताकी को यह भरोसा दिला सकता है कि वो अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में नए सिरे से साथ देगा।