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LCA Tejas: स्वदेशी फाइटर जेट तेजस पर आया इस अफ्रीकी देश का दिल! अगर बनी बात तो सरकार के होंगे वारे-न्यारे
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सार
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो ने भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके1 खरीदने को लेकर इच्छा जाहिर की है। कांगो अपनी वायसेना को आधुनिक बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है। कांगो की वायु सेना के पास सोवियत युग के सुखोई Su-25s फ्रॉगफुट और MiG-23s का पुराना बेड़ा है और वह अब उसे आधुनिक बनाना चाहता है।

एलएसी तेजस
- फोटो : Amar Ujala

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विस्तार
अगस्त-सितंबर में हुई भारतीय वायुसेना की मल्टीनेशनल एक्सरसाइज तरंग शक्ति में भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट LCA Tejas फाइटर एयरक्राफ्ट ने अपनी क्षमताओं से वहां आए सभी देशों का दिल जीत लिया था। जिसके बाद कई देशों ने इसे खरीदने में रूचि दिखाई थी। वहीं अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो ने तेजस खरीदने की इच्छा जाहिर की है। दरअसल कांगो की वायु सेना अपने सैन्य विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने की कोशिशों में जुटी है। वहीं, उसे भारत का मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट तेजस Mk1 काफी पसंद आ रहा है। वहीं हाल ही में कांगो के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत से तेजस खरीदने को लेकर नई दिल्ली का दौरा भी किया था।
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कांगो के पास पुराने रूसी एयरक्राफ्ट
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो ने भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके1 खरीदने को लेकर इच्छा जाहिर की है। कांगो अपनी वायसेना को आधुनिक बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है। कांगो की वायु सेना के पास सोवियत युग के सुखोई Su-25s फ्रॉगफुट और MiG-23s का पुराना बेड़ा है और वह अब उसे आधुनिक बनाना चाहता है। जिसके लिए उसने भारत के मल्टी रोल फाइटर जेट तेजस Mk1 को शॉर्टलिस्ट किया है। सूत्रों ने बताया कि कांगो को एयर टू एयर कॉम्बैट, ग्राउंट अटैक मिशन के अलावा सर्विलांस जैसे कई ऑपरेशंस के लिए एक एयरक्राफ्ट चाहिए और उसकी निगाह तेजस पर आ कर टिक गई हैं।
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तरंग शक्ति में तेजस ने टाइफून को किया था इंगेज
हाल ही में तमिलनाडु के सुलूर के राजस्थान के जोधपुर में हुई भारतीय वायुसेना की मल्टीनेशनल एयर एक्सरसाइज तरंग शक्ति में कई देशों में हिस्सा लिया था। उनमें कई भागीदार और कई बतौर पर्यवेक्षक इस एक्सरसाइज में शामिल हुए थे। इन ऑब्जर्वर देशों में कई अफ्रीकी देश भी शामिल थे। ये सभी देश तेजस की गजब की क्षमताओं के गवाह बने थे। तरंग शक्ति हवाई अभ्यास के दौरान जब आसमान में तेजस ने अपने हवाई करतब दिखाए, तो वहां बैठी विदेशी सेनाओं के अध्यक्ष भी उसकी क्षमताओं को देख कर आश्चर्य चकित रह गए थे। यहां तक कि सुलूर में तरंग शक्ति अभ्यास के दौरान भारतीय वायु सेना के मौजूदा चीफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने जब एलसीए तेजस में उड़ान भरी थी, तो वे जर्मन एयर फोर्स के यूरोफाइटर टाइफून को रोकने में कामयाब हुए थे। इतनी बड़ी एक्सरसाइज में, जहां अन्य देशों के मॉर्डन फाइटर एयरक्राफ्ट जैसे यूरोफाइटर टाइफून भी अपने हवाई करतब दिखा रहे थे, तो तेजस ने न केवल टाइफून को इंगेज किया, बल्कि अपनी क्षमता से दूसरे देशों के पायलटों और उनके एयर चीफ को भी हैरान कर दिया था।
विद्रोही गुटों से परेशान है कांगो
सूत्रों ने बताया कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो इन दिनों अपने पूर्वी हिस्सों में गृह युद्ध से जूझ रहा है, जहां सरकारी बलों और सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष चल रहा है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पड़ोसी देश रवांडा और युगांडा पूर्वी कांगो में सक्रिय एम23 विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में बड़े संघर्ष का खतरा बढ़ गया है। तनाव इस कदर बढ़ चुका है कि कांगो ने आरोप लगाया है कि रवांडा ने एम23 विद्रोहियों को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अलावा सैन्य मदद भी पहुंचाई है। वहीं, पिछले साल रवांडा ने मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस वेपन (MANPAD) का इस्तेमाल करते हुए कांगो का एक Su-25 ग्राउंड अटैक जेट भी मार गिराया था। उस समय कांगो ने आरोप लगाया था कि रवांडा ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है।
कांगो को चाहिए 6-8 तेजस
सूत्रों के मुताबिक कांगो की वायुसेना को 6 से 8 मल्टी रोल फाइटर जेट की जरूरत है। इस साल अगस्त में भी कांगो के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया था। इस यात्रा के दौरान, कांगो के वायु सेना प्रमुख और अन्य वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने तेजस बनाने वाली नवरत्न कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी। प्रतिनिधिमंडल ने तेजस के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले चीफ एविएशन इंजीनियर डॉ. कोटा हरिनारायण से भी मुलाकात की थी। बता दें कि चार जनवरी, 2001 को डॉ. कोटा हरिनारायण की अध्यक्षता वाली एक टीम ने उनके एलसीए टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर की पहली उड़ान का सफल परीक्षण किया था।
कांगो के हवाई बेड़े को स्पेयर पार्ट्स की कमी
सूत्रों ने बताया कि अफ्रीका की कई वायु सेनाओं की तरह कांगो की वायुसेना के बेड़े में भी सुखोई एसयू-25 फ्रॉगफुट, मिग-23 और मिल एमआई-24 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। लेकिन यूक्रेन-रूस जंग के चलते उन्हें पुर्जों की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते उनके रखरखाव में दिक्कत पेश आ रही है। वहीं, दशकों से कांगो की सेना में शामिल एसयू-25 फ्रॉगफुट को जमीनी हमले के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अपने देश में बढ़ती जरूरतों को देखते हुए अब उसे मल्टी रोल फाइटर जेट की जरूरत है। जिसमें न केवल लेटेस्ट एवियोनिक्स हों, बल्कि वह कम से कम चौथी पीढ़ी का फाइटरजेट हो। वहीं कांगो की वायुसेना ने अन्य विकल्प भी तलाशे थे, लेकिन वे एक गरीब देश के लिए महंगा सौदा साबित हो रहे थे। जिसके बाद कांगो ने भारत का रुख किया।
बोत्सवाना भी कर रहा है तेजस को लेकर बातचीत
सूत्रों का कहना है कि अगर कांगो के साथ तेजस को लेकर समझौता हो जाता है तो अफ्रीकी रक्षा बाजार में भारतीय रक्षा उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। क्योंकि बाकी अफ्रीकी देश भी भारतीय हथियारों में रूचि दिखाएंगे। सूत्रों ने खुलासा किया कि कांगो के अलावा एक और अफ्रीकी देश बोत्सवाना भी मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट तेजस को खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। बोत्सवाना डिफेंस फोर्स (बीडीएफ) भी अपनी रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी करना चाहती है और उसने तेजस में दिलचस्पी दिखाई है, और कई तेजस लड़ाकू विमान खरीदने के लिए वह एचएएल से बातचीत कर रही है।
भारत ने अफ्रीकी देशों में तैनात किए थे डिफेंस अताशे
बता दें कि इस साल अप्रैल में ही भारत सरकार ने कई देशों में डिफेंस अताशे की नियुक्तियों की हरी झंडी दिखाई थी। इनमें कई अफ्रीकी देश तंजानिया, मोजाम्बिक, जिबूती, इथोपिया और आइवरी कोस्ट शामिल थे। अफ्रीकी देशों में डिफेंस अताशे की नियुक्तियों की लेकर सरकार का कहना था कि अफ्रीका में हथियारों की बिक्री की काफी संभावनाएं हैं और मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत जिस तरह से भारत स्वेदशी हथियारों को विकसित कर रहा है, इससे भारत की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है। वहीं अफ्रीकी देश भारत में बने हथियारों को इसलिए प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि भारत के साथ कोई राजनीतिक विवाद जुड़ा नहीं होता है। इथोपिया, मोजाम्बिक और आइवरी कोस्ट में डिफेंस अताशे तैनात करने का फैसला अफ्रीकी देशों के साथ सैन्य रणनीति बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था। वहीं, डिफेंस अताशे की तैनाती से यह संदेश जाएगा कि अफ्रीका भारत के लिए मायने रखता है। साथ ही, इससे सैन्य सहयोग और हथियारों की बिक्री की संभावनाएं भी खुलेंगी, क्योंकि कई अफ्रीकी देश अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
ब्राजील भी चाहता है तेजस!
इससे पहले तरंग शक्ति एक्सरसाइज के दौरान अमर उजाला को ब्राजील के एक प्रतिनिधि ने बताया था कि उनका देश भी तेजस को लेकर इच्छुक है। तरंग शक्ति हवाई अभ्यास के दूसरे चरण में ब्राजील बतौर ऑब्जर्वर शामिल हुआ था। दरअसल ब्राजील अपने पुराने पड़ चुके नॉर्थरॉप F-5 बेड़े को रिटायर करने की सोच रहा है। उन्होंने बताया कि 2030 से नॉर्थरॉप F-5 को रिटायर करने की शुरुआत हो जाएगी। उन्होंने ब्राजील के मौजूदा ग्रिपेन-ई जेट के अलावा एक अन्य फाइटर जेट को भी ब्राजील की जरूरत बताया और कहा कि तेजस उनके लिए विकल्प बन सकता है। ब्राजील के रिप्रेजेंटेटिव ने बताया कि उनके देश के नियमों के मुताबिक, उनके पास कम से कम दो और अधिकतम तीन तरह के फाइटर जेट होने चाहिए। लेकिन 2030 के बाद, जब F-5 के रिटायरमेंट की शुरुआत होगी, तो हमें शायद दो और तरह के जेट्स की जरूरत होगी। इसलिए, ग्रिपेन के अलावा तेजस हमारे दूसरे या तीसरे फाइटर जेट का विकल्प बन सकता है।
मौजूदा और पूर्व वायु प्रमुख जता चुके हैं चिंता
वहीं ऐसे समय में जब दूसरे देश तेजस को अपनी सेना में शामिल करने को लेकर इच्छुक हैं, ऐसे समय में भारतीय वायुसेना भी LCA MK-1A की डिलीवरी में देरी का सामना कर रही है। तेजस को इंजन सप्लाई करने वाली अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस एचएएल को नवंबर से F404 इंजन की डिलीवरी शुरू करने का वादा किया था, जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि तेजस के प्रोडक्शन में तेजी आएगी। इससे पहले पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और मौजूदा एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी तेजस की डिलीवरी में देरी को लेकर चिंता जता चुके हैं। दोनों का कहना था कि तेजस की सप्लाई में हो रही देरी को दूर करने के लिए निजी कंपनियों को आगे आना चाहिए।