इन पांच बातों से आपको मालूम होगा कि कश्मीर में किस तरह आतंक फैला रहा है पाक
पुलवामा हमला और बालाकोट की एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान दुनिया को यह दिखाने का प्रयास कर रहा है कि अब वह आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। इस बात पर कम से कम भारत में तो कोई भी यकीन नहीं करेगा। खासतौर पर उस वक्त, जब एनआईए जैसी जांच एजेंसियां अपनी रिपोर्ट में बता रही हैं कि कश्मीर में आतंकवाद और पत्थरबाजों को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तानी संगठन सीधे तौर पर सक्रिय हैं। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए पत्थरबाजों या आतंक के दूसरे चेहरों को जो धन मिलता है, वह पाकिस्तानी उच्चायोग से आ रहा है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार का विदेश मंत्रालय अब जल्द ही पाकिस्तान को एक डोजियर सौंपने की तैयारी कर रहा है।
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और इसके फ्रंट ग्रुप संगठन जमात-उद-दावा के संस्थापक हाफिज सईद के खिलाफ एनआईए व ईडी की जांच चल रही हैं। एनआईए ने तो पहले ही अपनी चार्जशीट में लिख दिया था कि यह आतंकवादी संगठन भारत में तोड़फोड़ कराने के लिए कश्मीर के युवकों को गुमराह कर उन्हें अपने संगठन में शामिल कर रहा है। अब ईडी ने भी वही कहा है कि यह संगठन पाकिस्तानी सरकार की मदद से कश्मीर में शांति प्रक्रिया को बहाल नहीं होने देने चाहता। इन दोनों जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इन्हीं एजेंसियों के आधार पर अब जानिये वे पांच बातें, जिनसे आपको मालूम हो जाएगा कि पाकिस्तान किस तरह से कश्मीर में आतंकवाद और अशांति फैला रहा है।
पहली बात
पाकिस्तानी आर्मी, आईएसआई और आतंकी संगठन, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा और जैश-ए-मोहम्मद, शामिल हैं, ये सब मिलकर भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित कर रहे हैं। ये संगठन पहले पाकिस्तानी सीमा में चल रहे ट्रेनिंग कैंपों में आतंकियों को हथियार और विस्फोटक सामग्री तैयार करने का प्रशिक्षण देते हैं।
दूसरी बात
अब बारी आती है कि आतंकियों को भारतीय सीमा में धकेलने की। इसके लिए पाकिस्तानी आर्मी और बॉर्डर एक्शन टीम (भारतीय जवानों पर हमले करने वाला आईएसआई व पाक आर्मी द्वारा संचालित संगठन), यह योजना बनाता है कि आतंकियों को कब और कहां से सीमा पार करानी है। इसके लिए पाकिस्तान की ओर से कई बार युद्ध विराम उल्लंघन भी किया जाता है।
तीसरी बात
आतंकियों को कश्मीर या दूसरे हिस्सों में सभी तरह की मदद देने के लिए स्थानीय लोगों को स्लीपर सैल के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। स्लीपर सैल को भारी मात्रा में धन मुहैया कराया जाता है। ये सैल सीमा पार से आने वाले आतंकियों को हथियार, ट्रांसपोर्ट और अन्य तरह की लोकल स्पोर्ट प्रदान करते हैं। कश्मीर में ट्रक चालकों को पैसे देकर आतंकी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते हैं।
चौथी बात
टारगेट तक पहुंचने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए कश्मीर में कुछ बड़े लोगों की मदद ली जाती है। इन लोगों में कई चेहरे ऐसे भी हैं जो सुरक्षा बलों की सूचनाएं आतंकियों तक पहुंचा देते हैं। अगर आतंकियों को लगता है कि वे अपने टारगेट तक नहीं जा सकते तो कथित तौर पर वही सफेदपोश उनके गाइड बन जाते हैं। कश्मीर के युवकों को गुमराह कर आतंकी या पत्थरबाज बनाना भी, काफी हद तक इन्हीं का काम है।
पांचवीं बात
आतंकवादी हाफिज सईद के कथित कैशियर अहमद शाह वटाली जो कि कश्मीर में व्यवसाय करते हैं, हुर्रियर एवं दूसरे अलगाववादी संगठनों की मदद से आतंकियों व पत्थरबाजों को आगे लाते हैं। वटाली अभी तिहाड़ जेल में हैं। जांच एजेंसियों का कहना है कि पहले सीधे तौर पर पाकिस्तान से पैसा इन लोगों के पास आ जाता था, लेकिन जब से भारत ने तमाम वित्तीय संस्थानों पर नजर रखनी शुरु की है, इनके लिए पाकिस्तान से पैसा आना थोड़ा मुश्किल हो गया। इस वजह से आतंकी संगठन पाकिस्तानी दूतावास के माध्यम से पैसा भेजने लगे। दूतावास में दुबई से भी पैसा आया है, इस बात के पुख़्ता सबूत हैं। इसके बाद वह धन कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के पास जाता है और वहां से स्लीपर सैल के जरिए आतंकियों और पत्थरबाजों तक पहुंचा दिया जाता है।