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NSG/Cobra: एनएसजी में डीसी के लिए उम्र 38 वर्ष तो CRPF कोबरा में 45 साल, पदोन्नति में देरी से नुकसान

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 25 Dec 2024 06:23 PM IST
सार
NSG/Cobra:  कोबरा में ज्वाइनिंग के लिए तय आयु सीमा को आगे बढ़ाया जा रहा है। कोबरा इकाई में डिप्टी कमांडेंट के लिए अधिकतम आयु सीमा 43 से 45 वर्ष कर दी गई, जबकि एनएसजी में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट को अगर कमांडो कन्वर्जन कोर्स करना है तो उसके लिए आयु सीमा 38 वर्ष निर्धारित की गई है।
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Age limit for DC in NSG is 38 years and in CRPF Cobra it is 45 years Loss due to delay in promotion
कोबरा कमांडो - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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सीआरपीएफ के 'कोबरा' कमांडो, जिन्हें जंगल युद्ध कला में खासी महारत हासिल है। कई तरह के मुकाबले में कोबरा कमांडो ने अमेरिका के मरीन कमांडों को भी पीछे छोड़ दिया था। जैसे जंगल में 45 किलोमीटर की दूरी तय करने में मरीन कमांडो 18.9 घंटे का समय लेते हैं, जबकि कोबरा कमांडो वह दूरी 15 घंटे में पूरी कर रहे हैं। पहले सीआरपीएफ के अफसरों और जवानों में 'कोबरा' इकाई का हिस्सा बनने के लिए होड़ लगी रहती थी। अब ज्वाइनिंग के लिए अफसरों में वैसा उत्साह नहीं देखा जा रहा। युवा अफसर, कोबरा में आने से कतराने लगे हैं। 


नतीजा, कोबरा में ज्वाइनिंग के लिए तय आयु सीमा को आगे बढ़ाया जा रहा है। कोबरा इकाई में डिप्टी कमांडेंट के लिए अधिकतम आयु सीमा 43 से 45 वर्ष कर दी गई, जबकि एनएसजी में सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट को अगर कमांडो कन्वर्जन कोर्स करना है तो उसके लिए आयु सीमा 38 वर्ष निर्धारित की गई है। कोबरा में आने के इच्छुक डिप्टी कमांडेंट के लिए आयु की सीमा बढ़ाने के पीछे मुख्य वजह, पदोन्नति में देरी होना है। सीआरपीएफ में सहायक कमांडेंट को पहली पदोन्नति मिलने में ही 15 साल लग रहे हैं। ऐसे में कोबरा या एनएसजी में यंग डिप्टी कमांडेंट का आना मुश्किल हो चला है। 


सूत्रों के मुताबिक, एनएसजी द्वारा गुरुग्राम के मानेसर स्थित ट्रेनिंग सेंटर पर 'कमांडो कन्वर्जन कोर्स' कराया जाना है। इसके लिए सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडेंट और सहायक कमांडेंट से आवेदन मांगे गए हैं। खास बात है कि इस कोर्स में एंट्री के लिए आयु सीमा तय की गई है। डिप्टी कमांडेंट के लिए यह आयु सीमा 38 वर्ष है, जबकि सहायक कमांडेंट के लिए आयु सीमा 33 वर्ष है। सर्विस रिकॉर्ड में आवेदक को किसी तरह की कोई सजा नहीं मिली हो। अगर सेवाकाल पांच वर्ष से ज्यादा है तो कम से कम एपीएआर ग्रेडिंग में 'वेरी गुड' मिलना आवश्यक है। मेडिकल केटेगरी शेप 1 हो और बीएमआई 25 से नीचे हो। सहायक कमांडेंट के लिए आयु सीमा 33 साल होनी चाहिए। दूसरी तरफ कोबरा इकाई में ज्वाइनिंग के लिए नवंबर 2023 में डिप्टी कमांडेंट की आयु सीमा 43 साल से बढ़ाकर 45 वर्ष कर दी गई थी। इसके पीछे यह कारण बताया गया कि तय आयु के फोरमेट में डिप्टी कमांडेंट, कोबरा में आने के इच्छुक नहीं थे। 

सूत्रों का कहना है कि एनएसजी ट्रेनिंग के लिए डिप्टी कमांडेंट की आयु सीमा 38 साल निर्धारित करना और कोबरा में इसे 45 वर्ष करना, इसकी एक बड़ी वजह सीआरपीएफ में सहायक कमांडेंट को समय पर पदोन्नति नहीं मिलना है। कोबरा इकाई में 43 साल की आयु वाले डिप्टी कमांडेंट नहीं मिल पा रहे थे, इसलिए आयु सीमा को बढ़ाकर 45 साल कर दिया गया। सूत्रों ने बताया, जब बल में सहायक कमांडेंट को डेढ़ दशक में पहली पदोन्नति नहीं मिल रही है तो कोबरा या एनएसजी को कम आयु के डिप्टी कमांडेंट कहां से मिलेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री कह चुके हैं कि देश में 2026 की पहली तिमाही में नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा। इसके लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार 'फॉरवर्ड आपरेटिंग बेस' स्थापित किए जा रहे हैं। इसमें सीआरपीएफ और कोबरा इकाई के जवानों व अफसरों का बड़ा योगदान है। ऐसे में कोबरा को पर्याप्त संख्या में यंग अफसर नहीं मिल रहे हैं। नतीजा, कोबरा फोर्स ज्वाइन करने की निर्धारित आयु को बढ़ाना पड़ रहा है।

पहले कोबरा में आने की तय आयु 30-35 साल होती थी, अब उसे 48 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है। इससे फोर्स का 'यंग प्रोफाइल' ढांचा बिगड़ रहा है। फोर्स की ऑपरेशनल जरुरतों को ध्यान में रखते हुए कई पदों के लिए यह आयु सीमा बढ़ा दी गई है। बता दें कि चार-पांच वर्ष पहले तक सीआरपीएफ के अफसरों और जवानों में 'कोबरा' इकाई का हिस्सा बनने के लिए होड़ लगी रहती थी। अब नए अफसर और जवान, कोबरा में आने से कतराने लगे हैं। इसके चलते कोबरा फोर्स ज्वाइन करने की निर्धारित आयु को बढ़ाना पड़ रहा है। पहले कोबरा में आने की तय आयु 30-35 साल होती थी, बाद में उसे 48 वर्ष तक बढ़ा दिया गया है। इससे फोर्स का 'यंग प्रोफाइल' ढांचा बिगड़ रहा है। बल ने भी यह बात मानी है कि कोबरा बटालियन के वांछित आयु वर्ग में अफसरों की कमी हो गई है। फोर्स की ऑपरेशनल जरुरतों को ध्यान में रखते हुए कई पदों के लिए यह आयु सीमा बढ़ा दी गई है। पहले 30-35 साल की आयु वाले अधिकारी व जवान कोबरा में आते थे।

पांच छह वर्ष पहले कहा गया कि कोबरा में आने के इच्छुक डिप्टी कमांडेंट के लिए यह आयु सीमा 35 से बढ़ाकर 38 साल कर दी गई। सहायक कमांडेंट के लिए आयु सीमा 30 साल तय की गई थी, लेकिन इसे बढ़ाकर 35 वर्ष कर दिया गया। इसके बाद भी समस्या का हल नहीं हुआ। नतीजा, कोबरा के लिए सहायक कमांडेंट की आयु सीमा 35 से 40 कर दी गई और डिप्टी कमांडेंट की आयु सीमा 38 से 43 हो गई। ये भी कहा गया कि यह व्यवस्था तभी तक है, जब तक कोबरा में निर्धारित आयु वर्ग वाले अफसरों का कोरम पूरा न हो जाए। अब डीसी के लिए वह आयु 45 वर्ष कर दी गई। 

2021 में एक नया आदेश निकला गया। उसमें कहा गया कि बल मुख्यालय ने फोर्स की ऑपरेशनल जरुरत को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया है कि कोबरा में कमांडेंट के पद पर 48 साल से कम आयु वाले अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है। पहले यह आयु सीमा 45 थी। इसी तरह से कोबरा ज्वाइन करने वाले सेकेंड इन कमांड यानी 'टूआईसी' की आयु सीमा को 40 से 43 वर्ष कर दिया गया। 2017 के बाद से कोबरा कमांडो इकाई के प्रति अधिकारियों और जवानों का मोह भंग होने लगा है। पहले हर जवान कोबरा में जाने के लिए उत्साहित रहता था। इसके लिए अधिकारी और जवान, आईजी तक सिफारिश लगवाते थे। तब वहां एक अलग पहचान थी, रिस्क अलाउंस भी ठीक था। 

कई वर्ष पहले आर1एच1 के तहत यह प्रावधान लागू हुआ कि एक ही इलाके में यदि कोबरा और सामान्य ड्यूटी वाले जवान तैनात हैं तो उन्हें बराबर अलाउंस मिलेगा। उस वक्त कोबरा जवानों को अलग से 'कोबरा अलाउंस' मिलता था। यह सामान्य ड्यूटी देने वाले जवान या अधिकारी के लिए नहीं था। बाद में यह प्रावधान लागू कर दिया गया कि जोखिम वाले इलाके जैसे नक्सल प्रभावित जिले, वहां पर कोबरा और सीआरपीएफ की सामान्य ड्यूटी देने वालों को एक जैसा भत्ता मिलेगा। अफसरों को लगभग 25 हजार तो जवानों को 17 हजार रुपये मिलने लगे। 

2015 में गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राष्ट्र के सामने आए थे। कोबरा यूनिट का गठन करने से पहले यूएस मेरिन कमांडो, उनकी ट्रेनिंग, वर्किंग स्टाइल, सर्जीकल स्ट्राइक और दूसरे कई तरह के ऑपरेशन की जानकारी ली गई। इन सबके बाद ही कोबरा यूनिट स्थापित हुई थी। यह विशिष्ट कमांडो फोर्स जंगल में बिना किसी मदद के 11 दिन तक लड़ सकती है। इसी वजह से कोबरा विश्व में पहले स्थान पर है। नक्सलियों, आतंकियों से लड़ने और दूसरे बड़े ऑपरेशनों के लिए इस विशिष्ट फोर्स को खास तरह की ट्रेनिंग दी गई है। हथियार, वर्दी एवं तकनीकी उपकरणों के मामले में भी 'कोबरा' दूसरे सभी बलों से पूरी तरह अलग है। 

बिना किसी मदद के लगातार डेढ़ सप्ताह तक जंगलों में लड़ते रहना इस फोर्स की खासियत है। अलकायदा सरगना लादेन को मार गिराने वाले यूएस मेरिन कमांडो बिना किसी मदद के जंगल में लगातार तीन रातों तक लड़ सकते हैं। दूसरी ओर कोबरा के हर जवान के लिए ट्रेनिंग के दौरान सात दिन तक जंगल में लड़ने की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। सात आठ वर्ष पहले कोबरा ने सारंडा (झारखंड) के घने जंगलों में 11 दिन तक बिना किसी सहायता के एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया था। वजन लेकर जंगल में नियमित रूप से लड़ते रहने का रिकॉर्ड ब्रिटेन के विशिष्ट कमांडो दस्ते 'एसएएस' के नाम पर है। यह दस्ता 30 किलो वजन उठाकर दस रातें जंगल में गुजार सकता है, जबकि कोबरा 23 किलो वजन के साथ 11 रातों तक गहन जंगल से गुजरने में समर्थ है। 

यह है कोबरा कमांडो की खासियत...
-यूएस मेरिन कमांडो की तर्ज पर कोबरा को मरपट (मेरिन पैटर्न) वर्दी मिलती है 
-इसमें सभी तकनीकी उपकरण लगे होते हैं 
-कोबरा कमांडो को यूएस आर्मी जैसा पैसजट (पर्सनल आर्मर सिस्टम-ग्राउंड टू्रप्स) हेलमेट
-यूएस के एम-1 हेलमेट के अलावा जर्मन आर्मी का ‘स्टेहेलम’ हेलमेट भी कोबरा की शान 
-इजराइल निर्मित एमटीएआर व एक्स-95 राइफल 
-खुखरी की तर्ज पर कोबरा कमांडो ‘मैशे’ चाकू से लैस हैं 
-जीपीएस के अलावा रात को दिखने में मदद करने वाला चश्मा 
जंगली सामग्री पर जीवित रहने का प्रशिक्षण... 
चूंकि कोबरा को बाहर से कोई मदद नहीं मिलती, इसलिए इन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाता है। मैगी जैसी कोई खाद्य सामग्री इन्हें प्रदान की जाती है।पानी की बोतल को झरने या तालाब से भरना पड़ता है। खाने का सामान खत्म हो जाता है तो जंगली सामग्री से काम चलाना पड़ेगा।जवानों को ट्रेनिंग में कई जंगली वनस्पतियों की जानकारी दी जाती है। कोबरा कमांडो अपने जूते और वर्दी एक मिनट के लिए भी नहीं उतारते।
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