{"_id":"66c328bbb28b874aa30b4a7c","slug":"agriculture-pusa-s-advisory-on-paddy-cultivation-brown-plant-hopper-can-ruin-the-entire-crop-2024-08-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Agriculture: धान की खेती को लेकर पूसा की एडवाइजरी, ये कीट बर्बाद कर सकते हैं पूरी फसल; किसान ऐसे करें मुकाबला","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Agriculture: धान की खेती को लेकर पूसा की एडवाइजरी, ये कीट बर्बाद कर सकते हैं पूरी फसल; किसान ऐसे करें मुकाबला
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 19 Aug 2024 04:44 PM IST
विज्ञापन
निरंतर एक्सेस के लिए सब्सक्राइब करें
सार
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ सब्सक्राइब्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
फ्री ई-पेपर
सभी विशेष आलेख
सीमित विज्ञापन
सब्सक्राइब करें


धान का दुश्मन है ब्राउन प्लांट हॉपर
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
धान की खेती को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने एक अहम एडवाइजरी जारी की है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की खेती करने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा कि इस समय धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर का आक्रमण हो सकता है, इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौधे के निचले भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें। एडवाइजरी में कहा गया है कि इस वक्त धन की फसल वानस्पतिक वृद्धि की स्थिति में है, इसलिए फसलों में कीटों की निगरानी जरूरी है। किसान तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फिरोमोन ट्रैप लगाएं। एक एकड़ में 3 से 4 ट्रैप काफी हैं। वहीं, अगर धान की खेती में अगर पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4 फीसदी दाने 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें।सितंबर से अक्तूबर तक रहता है असर
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, ब्राउन प्लांट हॉपर कीट का असर सितंबर से लेकर अक्तूबर तक रहता है। इसका जीवन चक्र 20 से 25 दिन का होता है। इसके शिशु और कीट दोनों ही पौधों के तने और पत्तियों से रस चूसते हैं। अधिक रस निकलने की वजह से धान की पत्तियों के ऊपरी सतह पर काले रंग की फफूंदी उग जाती है। इससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया ठप हो जाती है। ऐसा होने से पौधे भोजन कम बनाते हैं और उनका विकास रुक जाता है। यह कीट हल्के भूरे रंग के होते हैं। इस कीट से प्रभावित फसल को हॉपर बर्न कहते हैं।
वैज्ञानिकों ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि संस्थान ने यह भी सलाह दी है कि किसान स्वीट कॉर्न तथा बेबी कॉर्न की बुवाई मेड़ों पर करें। गाजर की बुवाई मेड़ों पर करें। बीज दर 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें। बुवाई से पहले बीज को केप्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। खेत तैयार करते समय खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें।
इस तरीके से करें फसल का बचाव
एडवाइजरी में किसानों से कहा गया है कि वे कीड़ों और बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें। कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें। फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्ढे में दबा दें। फल मक्खी से फसलों को बचाने के लिए खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ (कीटनाशी) का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें। ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके। मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें। इसके बाद यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।