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प्रदूषण संकट: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में स्कूलों की खेल प्रतियोगिताएं टालने का दिया सुझाव, CAQM को सलाह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 19 Nov 2025 03:46 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR की गंभीर प्रदूषण स्थिति को देखते हुए सीएक्यूएम से स्कूलों की खुली हवा में आयोजित खेल प्रतियोगिताएं सुरक्षित महीनों तक टालने पर विचार करने को कहा है। अदालत ने केंद्र और राज्यों को ग्रैप लागू करने में सक्रिय रहने का भी निर्देश दिया है।
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- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को नवंबर और दिसंबर में खुले मैदान में होने वाली प्रस्तावित खेल प्रतियोगिताओं को वायु प्रदूषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए अगले कुछ महीने तक स्थगित करने पर विचार करे। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गंभीर वायु प्रदूषण संकट के मुद्दे पर सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है और शीर्ष अदालत को मासिक आधार पर इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
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मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने आयोग CAQM को सुझाव पर विचार कर निर्णय लेने को कहा। अमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि जब बड़े लोग एयर प्यूरीफायर वाले बंद कमरों में बैठने को मजबूर हैं, तब बच्चे खुले गैस चेंबर जैसे माहौल में खेल अभ्यास कर रहे हैं। कोर्ट ने इसे बच्चों के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि खेल प्रतियोगिताएं फिलहाल स्थगित की जाएं और बाद में सुरक्षित समय में आयोजित हों।
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प्रदूषण पर केंद्र की बैठक और मौजूदा ढांचा
सुप्रीम कोर्ट को केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि मंगलवार को पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) के सचिव की अगुवाई में दिल्ली-NCR के राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक हुई। प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों पर चर्चा की गई। अमिकस ने कहा कि 2018 से दीर्घकालिक नीति और 2015 से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू है, लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिससे जमीनी स्तर पर असर कमजोर पड़ जाता है।
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ग्रैप का पालन और मजदूरों की चिंता
कोर्ट ने कहा कि केवल प्रदूषण बढ़ने पर कदम उठाना समाधान नहीं है, बल्कि हर महीने सुनवाई कर रणनीतियों की निगरानी की जाएगी। कोर्ट ने CAQM और CPCB को कहा कि जरूरत पड़ने पर ग्रैप के तहत और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। निर्माण पर रोक से बेरोजगार बैठे मजदूरों के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि मजदूर ऐसे कामों पर निर्भर हैं जिन्हें रोक दिया जाता है, इसलिए NCR के सभी राज्यों दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान को यह बताना होगा कि वे इन मजदूरों को गुजारा भत्ता देने के लिए क्या व्यवस्था कर रहे हैं।
पराली जलाने पर पंजाब-हरियाणा को सख्त आदेश
अदालत ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा सरकारों को CAQM के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि यदि आयोग के सुझाव पूरी तरह लागू कर दिए जाएं तो पराली पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। नवंबर के पहले सप्ताह में खराब होती हवा का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने दोनों राज्यों से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि अस्थायी कदम या आंशिक उपाय लंबे समय के समाधान नहीं दे सकते।
AQI और ग्रैप स्तरों पर अदालत की टिप्पणी
कोर्ट में CPCB ने AQI और विभिन्न ग्रैप स्तरों की जानकारी दी। 0-50 ‘अच्छा’, 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ श्रेणी बताई गई। ग्रैप-एक: 201-300 पर, ग्रैप-दो: 301-400 पर, ग्रैप-तीन: 401-450 पर और ग्रैप-चार: 451 से ऊपर लागू होता है। अदालत ने कहा कि पराली घटनाओं में कमी दिखने के बावजूद AQI में सुधार नहीं हुआ, जो बताता है कि समस्या बहुस्तरीय है और व्यापक नीति लागू किए बिना स्थिति सुधरना मुश्किल है।