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'देखिए...क्या कर रहा है अमेरिका': सलमान खुर्शीद ने विदेश नीति पर खड़े किए सवाल, दिल्ली विस्फोट पर भी बोले

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Wed, 19 Nov 2025 05:02 PM IST
सार

दिल्ली आतंकी हमले के मुद्दे पर कांग्रेस की मांगों के बारे में बात करते हुए खुर्शीद ने कहा कि उनकी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस पर जल्दी से संसद का सत्र बुलाया जाए।

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Salman Khurshid on Foreign Policy Delhi Car Blast US India Donald Trump Congress PM Modi
वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद - फोटो : ANI
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बुधवार को दिल्ली आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए। सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस घटना से सरकार की सुरक्षा नीति पर बहुत गंभीर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। उन्होंने इसे सुरक्षा में चूक बताते हुए कहा कि मामले पर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए। 

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पूर्व विदेश मंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि जहां तक मोदी सरकार का सवाल है, उसकी रणनीतिक विफलताएं अब साफ तौर पर सबके सामने आ चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने भारत की वर्तमान विदेश नीति पर भी सवालिया निशाना लगाया। 
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व्यक्तिगत विदेश नीति के नुकसान के बारे में बात करते हुए खुर्शीद ने कहा कि अगर व्यक्तिगत संबंध कमजोर पड़ जाते हैं, तो विदेशी संबंधों की पूरी नींव ही गिर जाती है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आज ऐसा नहीं है और यह सब लेन-देन का मामला है, यह 'मैं तुम्हें गले लगाऊं, तुम मुझे गले लगाओ' वाला है। 

उन्होंने कहा, "अमेरिका इसका एक स्पष्ट उदाहरण है। अमेरिका के साथ हमारे रिश्ते कैसे होने चाहिए थे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी दोस्ती के बारे में क्या कहते रहे हैं और देखिए, अमेरिका भारत के साथ क्या कर रहा है।"

पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में सलमान खुर्शीद ने वर्तमान विदेश नीति को 'निजी' और 'प्रकरणीय' बताते हुए एक स्थिर विदेश नीति की वकालत की। उन्होंने हाल ही में प्रकाशित किताब "इंडियाज ट्रिस्ट विद द वर्ल्ड: ए फॉरेन पॉलिसी मेनिफेस्टो" के बारे में बात करते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि हमारी कोई स्थिर विदेश नीति है। हमारी एक छिटपुट, प्रकरणीय, व्यक्तिगत और विचलनपूर्ण विदेश नीति है। यह विदेश नीति (बिल्कुल भी) नहीं है।" 

इस किताब का संपादन उन्होंने और सलिल शेट्टी ने किया है और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का भी एक लेख है। कांग्रेस की ओर से सरकार से 'न्यू नॉर्मल सिद्धांत', जिसमें कहा गया है कि पहलगाम के बाद भविष्य में होने वाले किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा, पर अपना रुख स्पष्ट करने के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, "हम कट्टर राष्ट्रवादी नहीं हैं, लेकिन हमारा मानना है कि देश को उन लोगों का सबसे ज्यादा ध्यान चाहिए जो देश में ध्यान आकर्षित करते हैं, यानी सरकार और विपक्ष।"

उन्होंने कहा, "लाल किले के पास जो कुछ हुआ और देश के अन्य हिस्सों से उसके संबंधों को लेकर हम स्तब्ध हैं। इतने दिनों में सरकार की ओर से एक भी स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिसमें दो बातें कही गई हों: यह खुफिया विफलता कैसे हुई और इसके क्या निहितार्थ हैं?"

खुर्शीद ने सवाल करते हुए कहा, "जो लोग पलटकर कांग्रेस से कहते हैं- आप सरकार पर पर्याप्त दबाव क्यों नहीं डाल रहे हैं? सच कहूं तो अगर विश्वास का संकट है या रणनीतिक प्रकृति का संकट है, तो देश और जनता के प्रति हमारा यह कर्तव्य है कि हम सरकार को सर्वोत्तम संभव निर्णय लेने दें और फिर स्पष्ट रूप से उसका समर्थन करें, लेकिन जो सरकार जनता और विपक्ष पर भरोसा करने को तैयार नहीं है, आप उस सरकार से क्या उम्मीद कर सकते हैं?"

दिल्ली आतंकी हमले के मुद्दे पर कांग्रेस की मांगों के बारे में बात करते हुए खुर्शीद ने कहा कि उनकी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस पर जल्दी से संसद का सत्र बुलाया जाए।

उन्होंने कहा, "एक जिम्मेदाराना तरीके से, एक ज़िम्मेदार जगह पर, हम इस बारे में बात करें कि क्या हो रहा है और इस सरकार की ओर से दिए गए तमाम गंभीर बयानों के बावजूद यह बार-बार क्यों हो रहा है?" यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी यह मांग कर रही है कि प्रधानमंत्री सदन में इस मुद्दे पर जवाब दें, खुर्शीद ने कहा, "क्या उन्हें नहीं देना चाहिए?" जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी की यही मांग है, तो उन्होंने हां में जवाब दिया और कहा, "बिल्कुल।"

खुर्शीद की यह टिप्पणी कांग्रेस की ओर से दिल्ली आतंकी हमले पर पीएम मोदी को तत्काल एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने की मांग के कुछ दिनों बाद आई है। विपक्षी दल ने यह भी पूछा कि क्या पहलगाम हमले के बाद सरकार की ओर से परिभाषित 'न्यू सिद्धांत' कायम है। कांग्रेस ने यह भी मांग की है कि 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र को पहले बुलाया जाए ताकि इस घटना पर बहस हो सके।

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