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SC: संपत्ति अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, कहा- बिना पति-संतान वाली महिलाएं समय रहते वसीयत बनाएं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Wed, 19 Nov 2025 05:54 PM IST
सार

उच्चतम न्यायालय ने उन सभी महिलाओं से अपील की जिनके बेटे, बेटी या पति नहीं हैं, वे अपने माता-पिता और ससुराल वालों के बीच संभावित मुकदमेबाजी विवादों से बचने के लिए वसीयत बनाएं। कोर्ट ने कहा कि हम ऐसा न केवल इस देश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कह रहे हैं, बल्कि विशेष रूप से महिला हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए कह रहे हैं।

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The SC took a tough stand on property rights, saying women without husbands and children should make wills in
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की संपत्ति से जुड़े विवादों पर अहम रुख अपनाया। अदलात ने उन सभी महिलाओं से अपील की है जिनके न बेटे हैं, न बेटियां और न पति, कि वे अपने जीवनकाल में ही वसीयत बनवा लें, ताकि भविष्य में उनके मायके और ससुराल पक्ष के बीच होने वाले संभावित कानूनी विवादों से बचा जा सके।

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महिलाओं की प्रगति को कम नहीं आंका जा सकता

शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 बनाए जाने के समय संसद ने यह माना होगा कि महिलाओं के पास स्वयं अर्जित संपत्ति नहीं होगी, लेकिन पिछले दशकों में महिलाओं ने जो प्रगति की है, उसे कम नहीं आंका जा सकता। 

महिलाओं की संपत्ति केवल पति के वारिसों को मिलना न्यायपूर्ण नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में महिलाओं खासकर हिंदू महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और उद्यमिता में बढ़ोतरी के कारण उनके पास आज बड़ी मात्रा में स्वयं अर्जित संपत्ति है। अदालत ने टिप्पणी की कि अगर ऐसी महिला की मृत्यु बिना वसीयत  के और उसके न पति, न बेटे, न बेटियां हैं,और उसकी खुद की कमाई से बनी संपत्ति केवल पति के वारिसों को ही मिले तो यह स्थिति उसके मायके पक्ष के लिए परेशानी पैदा कर सकती है।


शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी धारा 15(1)(b) को चुनौती देने वाली एक महिला अधिवक्ता स्निधा मेहरा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए यह सुझाव दिए।

यह फैसला देश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है

पीठ ने कहा कि हम ऐसा न केवल इस देश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कह रहे हैं, बल्कि विशेष रूप से महिला हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए कह रहे हैं, ताकि इस संबंध में आगे कोई मुकदमा न हो।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 को लेकर विवाद

कानून के अनुसार, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15(1)(b) में प्रावधान है कि अगर कोई हिंदू महिला की मृत्यु बिना वसीयत के होती है, तो उसकी संपत्ति उसके माता-पिता से पहले उसके पति के उत्तराधिकारियों को मिलती है। दायर याचिका में तर्क दिया गया कि यह प्रावधान मनमाना है, यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करता है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।


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