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Kolkata: 'चुनाव आयोग का नहीं, TMC के टेरर माफिया का दबाव', BLO की मौत पर भाजपा ने ममता सरकार पर साधा निशाना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 19 Nov 2025 07:08 PM IST
सार
Poltics on BLO Death: पश्चिम बंगाल में बीएलओ की मौत पर राजनीति तेज हो गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर के दबाव को कारण बताया, जबकि भाजपा ने इसे जहरीला झूठ बताते हुए टीएमसी के टेरर माफिया को जिम्मेदार ठहराया। भाजपा का कहना है कि कर्मचारियों पर असल दबाव टीएमसी गुंडों का है, जो वोटर सूची में धांधली कराना चाहते हैं।
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अमित मालवीय, नेता बीजेपी
- फोटो : ANI
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विस्तार
पश्चिम बंगाल में एकानगनवाड़ी कार्यकर्ता और बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ की मौत को लेकर सियासत तेज हो गई है। भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे को जहरीला झूठ बताया है। इसमें उन्होंने कहा था कि एसआईआर के अत्यधिक काम के दबाव के चलते बीएलओ ने आत्महत्या की। भाजपा का आरोप है कि असल दबाव चुनाव आयोग से नहीं बल्कि टीएमसी के कथित टेरर माफिया और गुंडों से आ रहा है, जो सरकारी कर्मचारियों को धमकाकर वोटर सूची प्रक्रिया पर असर डालना चाहते हैं।
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राज्य पुलिस के मुताबिक, 48 वर्षीय शांतिमुनी उरांव, जो रंगामाटी ग्राम पंचायत के बूथ संख्या 20/101 की बीएलओ थीं, सुबह अपने घर के पास न्यू ग्लेनको टी गार्डन क्षेत्र में पेड़ से लटकी मिलीं। परिवार का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान लगातार बढ़ते तनाव के कारण उन्होंने आत्महत्या की। वहीं ममता बनर्जी ने इसे चुनाव आयोग की “अमानवीय और अव्यवस्थित प्रक्रिया” का नतीजा बताया और दावा किया कि एसआईआर शुरू होने के बाद से 28 लोगों की मौत हो चुकी है।
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भाजपा का पलटवार
मुख्यमंत्री के आरोपों पर भाजपा ने कड़ा हमला बोला। पार्टी के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी एक और झूठ फैलाकर अपने घुसपैठिया साम्राज्य को बचाना चाहती हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार में एनडीए सरकार के दौरान वही एसआईआर प्रक्रिया समान समय-सीमा में लागू हुई, लेकिन एक भी आत्महत्या नहीं हुई।
मालवीय ने सवाल उठाया कि आखिर बंगाल में ही बीएलओ क्यों मर रहे हैं? साथ ही आरोप लगाया कि टीएमसी गुंडे शिक्षकों, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को धमकाते हैं कि वोटर लिस्ट जल्दी पूरी करो, नहीं तो नौकरी और जान जोखिम में है।
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टीएमसी का वोटर-फ्रॉड सिंडिकेट जिम्मेदार
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि 2021 के बाद से राज्य में अनगिनत राजनीतिक हत्याएं हुई हैं और सैकड़ों शिक्षकों तथा सरकारी कर्मचारियों पर हमले हुए हैं क्योंकि उन्होंने टीएमसी के फर्जी वोटर तैयार करने वाले रैकेट का सहयोग करने से इनकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि शांतिमुनी की मौत भी इसी दबाव के माहौल का परिणाम हो सकती है, जिसकी जांच अभी बाकी है। मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी चुनाव आयोग पर ठीकरा फोड़कर अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं की करतूतों को छिपाना चाहती हैं।
अमित मालवीय ने आगे कहा कि आने वाले समय में वोटर सूची को सही किया जाएगा, फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे और बंगाल के असली नागरिक टीएमसी के सिंडिकेट राज को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे। शांतिमुनी उरांव की मौत की जांच जारी है, लेकिन सियासी टकराव ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जिससे विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति और अधिक गरम हो गई है।