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'लोकतंत्र के लिए खतरा': राहुल गांधी और कांग्रेस पर बरसे देश के पूर्व जज-नौकरशाह, EC की छवि खराब करने का आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 19 Nov 2025 01:27 PM IST
सार

Rahul Gandhi Vs Election Commission: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पर देश की 272 वरिष्ठ हस्तियों ने चुनाव आयोग की छवि खराब करने का आरोप लगाया है। अपने एक खुले पत्र में देश की इन हस्तियों ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। पढ़ें, पत्र में और क्या-क्या लिखा गया है...

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An open letter condemning LoP Rahul and Congress Party’s attempts to tarnish constitutional bodies like ECI
राहुल गांधी, नेता, कांग्रेस - फोटो : X @INCIndia
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विस्तार
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देश के 272 प्रतिष्ठित नागरिक, जिसमें 16 पूर्व जज, 123 रिटायर्ड नौकरशाह (14 पूर्व राजदूत समेत) और 133 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं, ने एक खुला पत्र जारी करके विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। इन हस्तियों ने कहा कि भारत का लोकतंत्र किसी हथियार से नहीं, बल्कि जहरीली बयानबाजी से हमला झेल रहा है।
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ECI पर हमले को बताया 'षड्यंत्रकारी'
इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि सैन्य बलों, न्यायपालिका और संसद पर सवाल उठाने के बाद अब चुनाव आयोग को निशाना बनाया जा रहा है। वरिष्ठ नागरिकों ने लिखा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बार-बार चुनाव आयोग पर वोट चोरी में शामिल होने का आरोप लगाया, 'परमाणु बम' जैसी भाषा इस्तेमाल की और यहां तक कहा कि आयोग देशद्रोह कर रहा है, लेकिन इन दावों के समर्थन में कोई औपचारिक शिकायत या शपथ पत्र नहीं दिया।



'चुनावी हार की हताशा से उपजा क्रोध'
पत्र के अनुसार, बिना सबूत के लगाए जाने वाले आरोप एक 'क्रोध' का रूप हैं, ऐसा गुस्सा जो बार-बार चुनावी हार और जनता से दूरी के कारण पैदा हुआ है। पत्र में आगे कहा गया है कि कुछ राजनीतिक दल विश्लेषण की जगह नाटकीयता को चुन रहे हैं और सार्वजनिक सेवा की जगह राजनीतिक तमाशा कर रहे हैं।



आरोपों में 'चुनिंदा गुस्सा', जब जीत मिले तो चुप्पी
देश की इन हस्तियों ने लिखा कि जब किसी विपक्ष शासित राज्य में चुनाव आयोग के परिणाम विपक्ष के अनुकूल होते हैं, तब उसकी आलोचना गायब हो जाती है। लेकिन जब परिणाम उनके खिलाफ आते हैं, तब आयोग को हर कहानी का खलनायक बना दिया जाता है। उन्हें यह चुनिंगा नाराजगी 'राजनीतिक अवसरवाद' का उदाहरण लगी।



संस्थाओं की परंपरा और उनकी विरासत
इस खुले पत्र में टीएन शेषन और एन गोपालस्वामी जैसे पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि उन्होंने लोकप्रियता या सुर्खियों के बजाय निष्पक्षता और कड़ाई से नियमों का पालन कराया। वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि भारत की संस्थाओं को राजनीतिक हमलों का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए, यही परंपरा देश को मजबूत बनाती है।

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चुनाव आयोग से पारदर्शिता जारी रखने की अपील
वरिष्ठ नागरिकों ने चुनाव आयोग से कहा कि वह पारदर्शिता बनाए रखे, सभी आंकड़े सार्वजनिक करे और आवश्यक होने पर कानूनी तरीकों से अपना बचाव करे। इसके साथ ही राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे 'बिना सबूत वाले आरोपों' की जगह नीतिगत विकल्प और देश के लिए ठोस दृष्टि पेश करें।

'लोकतंत्र मजबूत है, लोग समझदार हैं'
वहीं इस पत्र के आखिरी में देश की वरिष्ठ हस्तियों ने भारतीय सेना, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विशेष रूप से चुनाव आयोग पर अपना अटूट विश्वास जतााया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का लोकतंत्र मजबूत है और अब समय आ गया है कि राजनीति नाटकीयता नहीं, बल्कि सत्य, विचार और सेवा के आधार पर आगे बढ़े।
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