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महाराष्ट्र: 'स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वीवीपैट अनिवार्य नहीं...', चुनाव आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 19 Nov 2025 05:27 PM IST
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बॉम्बे हाईकोर्ट।
- फोटो : ANI
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महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल अनिवार्य नहीं है और यह तकनीकी रूप से भी संभव नहीं है। आयोग ने यह जवाब कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुड्डे द्वारा हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में दायर याचिका पर दिया है, जिसमें महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट का इस्तेमाल न करने के उसके फैसले को चुनौती दी गई थी।
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आयोग ने हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुडाधे द्वारा दायर याचिका का विरोध करते हुए एक हलफनामा दायर किया। याचिका में महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपीएटी का उपयोग नहीं करने के उसके फैसले को चुनौती दी गई थी। गुडाधे ने अपनी याचिका में कहा कि पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) प्रणाली आवश्यक है। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीवीपीएटी मशीनों का उपयोग न करने का कारण जानना चाहा, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वीवीपीएटी का उपयोग अनिवार्य है।
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आयोग ने बताया क्यों वीवीपैट का नहीं कर सकते इस्तेमाल
आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल आम चुनावों पर लागू होता है, स्थानीय निकाय चुनावों पर नहीं। उन्होंने बताया कि 2017 के नगर निगम चुनावों में भी वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया गया था। आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि नगरपालिका चुनावों को नियंत्रित करने वाले स्थानीय निकाय अधिनियमों में वीवीपीएटी के उपयोग को अनिवार्य नहीं किया गया है।
इसमें कहा गया है कि वीवीपीएटी मशीन के डिजाइन और विनिर्माण की तकनीकी व्यवहार्यता के मुद्दे भी हैं, जिसका उपयोग बहु-सदस्यीय और बहु-पोस्ट ईवीएम के लिए किया जा सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि संसदीय और विधानसभा चुनाव एकल सदस्यीय, एकल पद वाले चुनाव होते हैं, जहां मतदाता द्वारा केवल एक उम्मीदवार चुना जाता है और चुनाव आयोग द्वारा उपयोग की जाने वाली ईवीएम विशेष रूप से इसी उद्देश्य के लिए डिजाइन की गई हैं। इसमें कहा गया है कि ग्राम पंचायतें, नगर परिषदें और नगर निगम बहु-सदस्यीय, बहु-पद वाले निर्वाचन क्षेत्र हैं।
याचिका में की गई यह मांग
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बृहस्पतिवार को तय की। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों का पहला दौर दो दिसंबर को होगा।अधिवक्ता पवन दहत और निहाल सिंह राठौड़ के माध्यम से दायर अपनी याचिका में गुडाधे ने कहा कि यदि एसईसी वीवीपीएटी का उपयोग नहीं करने जा रहा है, तो चुनाव मतपत्रों के माध्यम से कराए जाने चाहिए। वीवीपीएटी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ी एक स्वतंत्र प्रणाली है, जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की सुविधा देती है कि उनका वोट उनकी इच्छा के अनुसार ही डाला गया है।