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Kerala: घंटों की कतार...पानी की किल्लत और अफरातफरी; सबरीमला में अव्यवस्था पर हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 19 Nov 2025 04:03 PM IST
सार
Sabarimala Crowd: सबरीमला में भारी भीड़ और अव्यवस्था पर केरल हाई कोर्ट ने अधिकारियों और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि छह महीने पहले पूरी होने वाली तैयारियां अधूरी रहीं और बिना योजना के भक्तों को अंदर आने दिया गया।
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केरल हाईकोर्ट।
- फोटो : ANI
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विस्तार
सबरीमला मंदिर में वार्षिक यात्रा के दौरान भारी भीड़ और अव्यवस्था ने एक बड़ा प्रशासनिक संकट खड़ा कर दिया है। इसी स्थिति को देखते हुए केरल हाई कोर्ट ने मंगलवार को सबरीमला क्षेत्र में हुई भीड़ बढ़ने की घटना पर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने साफ कहा कि यह स्थिति प्रशासनिक समन्वय की कमी, तैयारी में लापरवाही और पिछले आदेशों के पालन न होने का नतीजा है। इधर, विपक्ष ने भी सरकार पर जानबूझकर यात्रा प्रबंधन को अव्यवस्थित करने का आरोप लगाते हुए बड़ा हमला बोला है।
कोच्चि में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि मंगलवार को सबरीमला में उत्पन्न अव्यवस्था पूरी तरह से रोकने योग्य थी, लेकिन अधिकारियों के बीच समन्वय न होने और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा समय पर तैयारी न करने की वजह से भीड़ अनियंत्रित हो गई। अदालत ने सवाल उठाया कि इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं को एक साथ मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति किस आधार पर दी गई। कोर्ट ने सुझाव दिया कि यात्रियों को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर नियंत्रित तरीके से आगे बढ़ाया जाए ताकि अव्यवस्था और दुर्घटनाओं की संभावनाओं को रोका जा सके।
छह महीने पहले पूरी होनी चाहिए थीं तैयारियां
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सबरीमला सीजन से जुड़ी कई तैयारियां छह महीने पहले पूरी हो जानी चाहिए थीं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव दिखाई नहीं देता। कोर्ट की टिप्पणियों से सहमति जताते हुए नव नियुक्त टीडीबी अध्यक्ष के जयकुमार ने माना कि काम समय पर पूरा होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में लगभग दो लाख श्रद्धालु सबरीमला पहुंचे, जिससे पुलिस और देवस्वम बोर्ड के प्रबंध पूरी तरह चरमरा गए। सबसे ज्यादा प्रभावित वे परिवार रहे जो बच्चों के साथ आए थे और घंटों तक फंसे रहे।
ये भी पढ़ें- 'लोकतंत्र के लिए खतरा': राहुल गांधी और कांग्रेस पर बरसे देश के पूर्व जज-नौकरशाह, EC की छवि खराब करने का आरोप
टीवी विजुअल्स में दिखी कुप्रबंधन की तस्वीर
टीवी चैनलों पर प्रसारित दृश्य दिखाते हैं कि श्रद्धालु 18 पवित्र सीढ़ियों के पास और पंबा से सन्निधानम तक के पूरे मार्ग पर बुरी तरह फंसे हुए थे। कई स्थानों पर भक्त बैरिकेड्स पर चढ़ते दिखे। कई लोगों ने शिकायत की कि लंबे समय तक कतार में खड़े रहने के बावजूद उन्हें पीने का पानी नहीं मिला। बच्चों के रोने और तीर्थयात्रियों के धक्कामुक्की की स्थितियों ने यह साफ कर दिया कि भीड़ प्रबंधन किसी भी स्तर पर नियंत्रित नहीं था। इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में नाराज़गी बढ़ रही है और प्रशासन पर कार्रवाई की मांग हो रही है।
सरकार जानबूझकर बिगाड़ रही व्यवस्था- विपक्ष
इस बीच तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ ने आरोप लगाया कि वाम सरकार सबरीमला तीर्थसीजन को जानबूझकर अव्यवस्थित कर रही है। विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि भक्तों को दर्शन के लिए 18 घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ा, साफ पानी नहीं मिला, शौचालय साफ नहीं थे और पंबा नदी प्रदूषित होने से लोग और परेशान हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ग्लोबल अयप्पा संगमम कर झूठी आस्था का प्रदर्शन तो किया, लेकिन असल प्रबंधन के समय लापरवाही बरती। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो यूडीएफ का प्रतिनिधिमंडल सबरीमला का दौरा करेगा।
गंभीर स्थिति, भगदड़ जैसे हालात का दावा
सतीशन ने यह भी कहा कि मंगलवार को हालात भगदड़ जैसी स्थिति तक पहुंच गए थे क्योंकि सभी विभागों में कोई समन्वय नहीं था और किसी ने पर्याप्त तैयारी नहीं की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सबरीमला के स्वर्ण हानि मामले की जांच सही तरीके से हो तो वर्तमान देवस्वम मंत्री, पूर्व मंत्री और टीडीबी के तीन पूर्व अध्यक्ष जेल में होंगे। इधर, भारी भीड़ के चलते मंदिर मार्ग पर देरी और अवरोध बढ़ते जा रहे हैं। भक्तों की लगातार बढ़ती संख्या और अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण सबरीमला यात्रा को लेकर सरकार, अदालत और टीडीबी सभी पर दबाव बढ़ गया है।
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कोच्चि में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि मंगलवार को सबरीमला में उत्पन्न अव्यवस्था पूरी तरह से रोकने योग्य थी, लेकिन अधिकारियों के बीच समन्वय न होने और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा समय पर तैयारी न करने की वजह से भीड़ अनियंत्रित हो गई। अदालत ने सवाल उठाया कि इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं को एक साथ मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति किस आधार पर दी गई। कोर्ट ने सुझाव दिया कि यात्रियों को अलग-अलग सेक्टरों में बांटकर नियंत्रित तरीके से आगे बढ़ाया जाए ताकि अव्यवस्था और दुर्घटनाओं की संभावनाओं को रोका जा सके।
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छह महीने पहले पूरी होनी चाहिए थीं तैयारियां
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सबरीमला सीजन से जुड़ी कई तैयारियां छह महीने पहले पूरी हो जानी चाहिए थीं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव दिखाई नहीं देता। कोर्ट की टिप्पणियों से सहमति जताते हुए नव नियुक्त टीडीबी अध्यक्ष के जयकुमार ने माना कि काम समय पर पूरा होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में लगभग दो लाख श्रद्धालु सबरीमला पहुंचे, जिससे पुलिस और देवस्वम बोर्ड के प्रबंध पूरी तरह चरमरा गए। सबसे ज्यादा प्रभावित वे परिवार रहे जो बच्चों के साथ आए थे और घंटों तक फंसे रहे।
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टीवी चैनलों पर प्रसारित दृश्य दिखाते हैं कि श्रद्धालु 18 पवित्र सीढ़ियों के पास और पंबा से सन्निधानम तक के पूरे मार्ग पर बुरी तरह फंसे हुए थे। कई स्थानों पर भक्त बैरिकेड्स पर चढ़ते दिखे। कई लोगों ने शिकायत की कि लंबे समय तक कतार में खड़े रहने के बावजूद उन्हें पीने का पानी नहीं मिला। बच्चों के रोने और तीर्थयात्रियों के धक्कामुक्की की स्थितियों ने यह साफ कर दिया कि भीड़ प्रबंधन किसी भी स्तर पर नियंत्रित नहीं था। इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में नाराज़गी बढ़ रही है और प्रशासन पर कार्रवाई की मांग हो रही है।
सरकार जानबूझकर बिगाड़ रही व्यवस्था- विपक्ष
इस बीच तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ ने आरोप लगाया कि वाम सरकार सबरीमला तीर्थसीजन को जानबूझकर अव्यवस्थित कर रही है। विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि भक्तों को दर्शन के लिए 18 घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ा, साफ पानी नहीं मिला, शौचालय साफ नहीं थे और पंबा नदी प्रदूषित होने से लोग और परेशान हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ग्लोबल अयप्पा संगमम कर झूठी आस्था का प्रदर्शन तो किया, लेकिन असल प्रबंधन के समय लापरवाही बरती। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो यूडीएफ का प्रतिनिधिमंडल सबरीमला का दौरा करेगा।
गंभीर स्थिति, भगदड़ जैसे हालात का दावा
सतीशन ने यह भी कहा कि मंगलवार को हालात भगदड़ जैसी स्थिति तक पहुंच गए थे क्योंकि सभी विभागों में कोई समन्वय नहीं था और किसी ने पर्याप्त तैयारी नहीं की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सबरीमला के स्वर्ण हानि मामले की जांच सही तरीके से हो तो वर्तमान देवस्वम मंत्री, पूर्व मंत्री और टीडीबी के तीन पूर्व अध्यक्ष जेल में होंगे। इधर, भारी भीड़ के चलते मंदिर मार्ग पर देरी और अवरोध बढ़ते जा रहे हैं। भक्तों की लगातार बढ़ती संख्या और अव्यवस्थित प्रबंधन के कारण सबरीमला यात्रा को लेकर सरकार, अदालत और टीडीबी सभी पर दबाव बढ़ गया है।