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Samwad 2025: 'आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां अभी कायम, नए खतरे भी उभरे', अमर उजाला संवाद में बोले पूर्व सेना प्रमुख
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: नितिन गौतम
Updated Fri, 18 Apr 2025 11:31 AM IST
सार
जनरल (सेवानिवृत्त) मनोज पांडे ने कहा कि 'पिछले कुछ दशकों में युद्ध के चरित्र और प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। तकनीक के आने से युद्ध का स्वरूप बदला है। पारंपरिक युद्ध को हाइब्रिड युद्ध से बदला जा रहा है। साइबर स्पेस डोमेन का महत्व भी बढ़ा है। हमारी सुरक्षा और रक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना अपरिहार्य जरूरत के रूप में उभरा है।'
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पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अमर उजाला संवाद के दूसरे दिन पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) मनोज पांडे ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान पूर्व सेना प्रमुख ने भारतीय सेना की तैयारियों और विकसित भारत में सशस्त्र बलों के योगदान पर अपनी बात रखी। अपने संबोधन में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि 'हम सब जानते हैं कि हमारा देश कई क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। हमारा आर्थिक विकास मजबूत हो रहा है। तकनीक के क्षेत्र में हम इनोवेशन की नई क्रांति देख रहे हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर, स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में प्रगति शामिल हैं। विश्व में उभरती भौगोलिक स्थिति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। हमारे पड़ोस में भी हालात बदले हैं, जिसका हमारी सुरक्षा पर सीधा असर होता है। आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां अभी भी कायम हैं। साथ ही नए खतरे भी उभर रहे हैं।'
'आज युद्ध का स्वरूप बदला'
जनरल मनोज पांडे ने कहा कि 'साल 2047 तक हमने विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लिया है तो सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है ताकि विकास की यात्रा प्रभावित न हो। पिछले कुछ दशकों में युद्ध के चरित्र और प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। तकनीक के आने से युद्ध का स्वरूप बदला है। पारंपरिक युद्ध को हाइब्रिड युद्ध से बदला जा रहा है। साइबर स्पेस डोमेन का महत्व भी बढ़ा है। हमारी सुरक्षा और रक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना अपरिहार्य जरूरत के रूप में उभरा है। एकेडमिक, रिसर्च, रक्षा उद्योगों का विकास और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय बेहद अहम है। इससे हमारी रक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। सरकार की नीतियों से भी सुरक्षा बलों को फायदा मिला है। यूपी में डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। ड्रोन्स और सैटेलाइट्स के निर्माण के लिए भी निवेश की दिशा में काम जारी है।'
'युवा देश के विकास के ध्वजवाहक'
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि 'सेना एक विशाल परिवार है, जिसके रिश्ते सेवा के बाद भी उतने ही प्रभावी होते हैं। युवाओं के लिए मेरा संदेश होगा कि कार्यक्षेत्र में लीडरशिप रोल निभाने के लिए तैयार करें। इसके लिए कैरेक्टर, कंपटीशन, कंडक्ट पर ध्यान दें। कोई भी राष्ट्र युवाओं की आस्था और बलिदान के बिना तरक्की नहीं कर सकता। युवा ही देश के विकास के ध्वज वाहक होते हैं। बड़े सपने देखें और नए अवसरों की तलाश करें। आत्मविश्वास के साथ अपने सपनों को साकार करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। सेना भी राष्ट्रीय प्रयासों को आगे बढ़ाने और समर्थन देने की अच्छी स्थिति में हैं। आज सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सड़क कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। लोगों का सशक्तिकरण सेना का उद्देश्य है। डिफेंस डिप्लोमैसी के माध्यम से मित्र देशों के साथ अपने संबंधों को मजूबत करने, संयुक्त सैन्याभ्यास और यूएन पीस कार्यक्रमों पर सेना के प्रयास केंद्रित हैं।'
पूर्व सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा कि 'आत्मनिर्भर और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार सशस्त्र बल देश के विकास में योगदान देते रहेंगे। भारतीय सेना ने देश के नागरिकों के दिल में एक विशेष स्थान बनाया है। देशवासियों द्वारा सेना पर जताया गया भरोसा सशस्त्र बलों के विश्वास को और मजबूत बनाता है। ये सेना को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।' जनरल मनोज पांडे ने कहा कि 'मेरे परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन स्कूल के माहौल से मैं सेना में जाने के लिए प्रेरित हुआ। सेना में सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलते हैं। सेना में मेरिट के आधार पर तरक्की मिलती है।'
अग्निपथ योजना को लेकर क्या बोले पूर्व सेना प्रमुख
अग्निपथ योजना को लेकर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि 'जब कोई नया परिवर्तन होता है तो शुरू में उसे लेकर लोगों के मन में बहुत से विचार होते हैं, लेकिन जैसे जैसे समय बीता और लोगों को इस योजना के फायदों के बारे में पता चला, तो अब वो परेशानी दूर हो गई है। अग्निवीर जब चार वर्ष के कार्यकाल के बाद वापस आएंगे तो उस युवा में अनुशासन, समर्पण जैसी खूबियां उस युवक को जीवन में आगे लेकर जाएंगी। राज्य सरकारों में मेरा ये सुझाव है, सरकार ऐसे युवाओं को सरकार के विभिन्न विभागों में उन्हें शामिल कर उनकी क्षमता का पूरा उपयोग करे।'
जनरल (सेवानिवृत्त) मनोज पांडे ने कहा कि 'हमारी सुरक्षा चुनौतियां अलग तरह की हैं। थिएटर कमांड के तहत तीनों सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इनके बीच समन्वय जरूरी है। थिएटर कमांड उस दिशा में बड़ा कदम है और भविष्य में इसके फायदे उभरकर सामने आएंगे।'
'भविष्य की लड़ाई साइबर, सर्विलांस, डिजिटल वर्ल्ड आधारित होगी'
युद्ध के बदलते स्वरूप पर उन्होंने कहा कि भविष्य की लड़ाई डिजिटल मीडिया, सर्विलांस, साइबर युद्ध जैसे अलग-अलग क्षेत्र उभरकर सामने आए हैं। हमें जरूरत है कि हम जल्द से जल्द अपने सैन्य एप्लीकेशन में इन चीजों को शामिल कर पाएं। पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर पूर्व सेना प्रमुख ने खुलकर बात नहीं की लेकिन कहा कि हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। एक सवाल के जवाब में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि आज सेना के हथियारों में बड़ा बदलाव आया है। अच्छी बात ये है कि पहले हम हथियार आयात करते थे, वे आज हमारे देश में बन रहे हैं। मशीन लर्निंग, ड्रोन्स तकनीक में आज के युवा भी इसमें योगदान कर रहे हैं। पूर्व सेना प्रमुख ने अमर उजाला के मंच पर साइंस ओलंपियाड के विजेताओं को सम्मानित भी किया।
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'आज युद्ध का स्वरूप बदला'
जनरल मनोज पांडे ने कहा कि 'साल 2047 तक हमने विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लिया है तो सुरक्षा को मजबूत करना जरूरी है ताकि विकास की यात्रा प्रभावित न हो। पिछले कुछ दशकों में युद्ध के चरित्र और प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है। तकनीक के आने से युद्ध का स्वरूप बदला है। पारंपरिक युद्ध को हाइब्रिड युद्ध से बदला जा रहा है। साइबर स्पेस डोमेन का महत्व भी बढ़ा है। हमारी सुरक्षा और रक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना अपरिहार्य जरूरत के रूप में उभरा है। एकेडमिक, रिसर्च, रक्षा उद्योगों का विकास और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय बेहद अहम है। इससे हमारी रक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी। सरकार की नीतियों से भी सुरक्षा बलों को फायदा मिला है। यूपी में डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। ड्रोन्स और सैटेलाइट्स के निर्माण के लिए भी निवेश की दिशा में काम जारी है।'
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'युवा देश के विकास के ध्वजवाहक'
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि 'सेना एक विशाल परिवार है, जिसके रिश्ते सेवा के बाद भी उतने ही प्रभावी होते हैं। युवाओं के लिए मेरा संदेश होगा कि कार्यक्षेत्र में लीडरशिप रोल निभाने के लिए तैयार करें। इसके लिए कैरेक्टर, कंपटीशन, कंडक्ट पर ध्यान दें। कोई भी राष्ट्र युवाओं की आस्था और बलिदान के बिना तरक्की नहीं कर सकता। युवा ही देश के विकास के ध्वज वाहक होते हैं। बड़े सपने देखें और नए अवसरों की तलाश करें। आत्मविश्वास के साथ अपने सपनों को साकार करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। सेना भी राष्ट्रीय प्रयासों को आगे बढ़ाने और समर्थन देने की अच्छी स्थिति में हैं। आज सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सड़क कनेक्टिविटी बेहतर हुई है। लोगों का सशक्तिकरण सेना का उद्देश्य है। डिफेंस डिप्लोमैसी के माध्यम से मित्र देशों के साथ अपने संबंधों को मजूबत करने, संयुक्त सैन्याभ्यास और यूएन पीस कार्यक्रमों पर सेना के प्रयास केंद्रित हैं।'
पूर्व सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा कि 'आत्मनिर्भर और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार सशस्त्र बल देश के विकास में योगदान देते रहेंगे। भारतीय सेना ने देश के नागरिकों के दिल में एक विशेष स्थान बनाया है। देशवासियों द्वारा सेना पर जताया गया भरोसा सशस्त्र बलों के विश्वास को और मजबूत बनाता है। ये सेना को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।' जनरल मनोज पांडे ने कहा कि 'मेरे परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि नहीं है, लेकिन स्कूल के माहौल से मैं सेना में जाने के लिए प्रेरित हुआ। सेना में सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलते हैं। सेना में मेरिट के आधार पर तरक्की मिलती है।'
अग्निपथ योजना को लेकर क्या बोले पूर्व सेना प्रमुख
अग्निपथ योजना को लेकर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि 'जब कोई नया परिवर्तन होता है तो शुरू में उसे लेकर लोगों के मन में बहुत से विचार होते हैं, लेकिन जैसे जैसे समय बीता और लोगों को इस योजना के फायदों के बारे में पता चला, तो अब वो परेशानी दूर हो गई है। अग्निवीर जब चार वर्ष के कार्यकाल के बाद वापस आएंगे तो उस युवा में अनुशासन, समर्पण जैसी खूबियां उस युवक को जीवन में आगे लेकर जाएंगी। राज्य सरकारों में मेरा ये सुझाव है, सरकार ऐसे युवाओं को सरकार के विभिन्न विभागों में उन्हें शामिल कर उनकी क्षमता का पूरा उपयोग करे।'
जनरल (सेवानिवृत्त) मनोज पांडे ने कहा कि 'हमारी सुरक्षा चुनौतियां अलग तरह की हैं। थिएटर कमांड के तहत तीनों सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इनके बीच समन्वय जरूरी है। थिएटर कमांड उस दिशा में बड़ा कदम है और भविष्य में इसके फायदे उभरकर सामने आएंगे।'
'भविष्य की लड़ाई साइबर, सर्विलांस, डिजिटल वर्ल्ड आधारित होगी'
युद्ध के बदलते स्वरूप पर उन्होंने कहा कि भविष्य की लड़ाई डिजिटल मीडिया, सर्विलांस, साइबर युद्ध जैसे अलग-अलग क्षेत्र उभरकर सामने आए हैं। हमें जरूरत है कि हम जल्द से जल्द अपने सैन्य एप्लीकेशन में इन चीजों को शामिल कर पाएं। पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर पूर्व सेना प्रमुख ने खुलकर बात नहीं की लेकिन कहा कि हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। एक सवाल के जवाब में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि आज सेना के हथियारों में बड़ा बदलाव आया है। अच्छी बात ये है कि पहले हम हथियार आयात करते थे, वे आज हमारे देश में बन रहे हैं। मशीन लर्निंग, ड्रोन्स तकनीक में आज के युवा भी इसमें योगदान कर रहे हैं। पूर्व सेना प्रमुख ने अमर उजाला के मंच पर साइंस ओलंपियाड के विजेताओं को सम्मानित भी किया।